समान नागरिक संहिता: 2024 चुनाव से पहले पूरे देश में मॉडल कानून को लागू करने की तैयारी

समान नागरिक संहिता: 2024 चुनाव से पहले पूरे देश में मॉडल कानून को लागू करने की तैयारी

राम मंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 खत्म करने संबंधी अपने दो सबसे अहम वादे निभा चुकी भाजपा अब आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अपनी विचारधारा से जुड़ा तीसरा अहम वादा पूरा करने की तैयारी में है। देश भर में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सरकार और विधि आयोग को उत्तराखंड सरकार द्वारा जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है।

सरकार इसी रिपोर्ट के आधार पर समान नागरिक संहिता को पूरे देश में लागू करने के लिए मॉडल कानून बनाने की तैयारी में है। गौरतलब है कि देसाई कमेटी रिपोर्ट पेश करने से पहले अंतिम चरण की बैठकें कर रही है।

कमेटी ने इस संदर्भ में मिले करीब ढाई लाख सुझावों का अध्ययन कर लिया है। इसके अलावा करीब-करीब सभी हितधारकों से संवाद के बाद कमेटी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए बैठकें कर रही हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि कमेटी मई या जून महीने के मध्य  तक रिपोर्ट पेश कर देगी।

गुजरात-मध्यप्रदेश को भी रिपोर्ट का इंतजार
उत्तराखंड की तर्ज पर गुजरात और मध्यप्रदेश सरकार ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है। केंद्र सरकार की तरह इन दो राज्य सरकारों को भी जस्टिस रंजना कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। समान नागरिक संहिता कानून पर गुजरात कैबिनेट मुहर भी लगा चुकी है।

पहले कुछ राज्यों में लागू करने की रणनीति
भाजपा इस मामले में जनसंख्या नियंत्रण कानून की तर्ज पर कदम उठा सकती है। गौरतलब है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए पहले पार्टी शासित राज्यों असम और उत्तर प्रदेश ने कदम उठाए। इसके बाद कई और पार्टीशासित राज्यों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। सूत्रों का कहना है कि समान नागरिक संहिता मामले में भी भाजपा यही रणनीति अपना सकती है। इसके तहत पहले कुछ राज्य इसे लागू करें और बाद में इसे पूरे देश में लागू किया जाए।
नहीं है सांविधानिक अड़चन
भाजपा की विचारधारा से जुड़े राम मंदिर और अनुच्छेद 370 की राह में कई कानूनी अड़चनें थी, मगर समान नागरिक संहिता मामले में ऐसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से ले कर कई राज्यों के हाईकोर्ट ने कई बार इसकी जरूरत बताई है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। इसी संदर्भ में केंद्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत में कहा था कि वह समान कानून के पक्ष में है। संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धांतों में समान नागरिक संहिता की वकालत की गई है।
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