शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में श्री नरेंद्र सेवा पखवाड़े के अंतर्गत ‘पंच प्रण’ “औपनिवेशिक मानसिकता के सभी निशानों से मुक्ति” पर संगोष्ठी का आयोजन

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में श्री नरेंद्र सेवा पखवाड़े के अंतर्गत ‘पंच प्रण’ “औपनिवेशिक मानसिकता के सभी निशानों से मुक्ति” पर संगोष्ठी का आयोजन

गंगोह [24CN] : दिनांक 28-09-2022 को श्री जे.पी. माथुर चैरिटेबल ट्रस्ट दिल्ली के तत्वाधान में चल रहे श्री नरेंद्र सेवा सेवा पखवाड़े के बारहवें दिन शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में देश के यशस्वी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा चिन्हित ‘पंच प्रण’ लक्ष्यों में “औपनिवेशिक मानसिकता के सभी निशानों से मुक्ति” पर चतुर्थ दिवस चतुर्थ प्रण शैक्षिक सम्मेलन संगोष्ठी कार्यशाला का आयोजन किया गया तथा सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा जागरूकता रैली का भी आयोजन किया गया, जिसकी थीम “संवहनीय खपत और उत्पादन” रही। श्री नरेंद्र सेवा सेवा पखवाड़े के अंतर्गत चल रहे प्रतिदिन निशुल्क चिकित्सा शिविर को गांव गुरुनानकपुरा एवं योगाभ्यास क्रिया को गांव देधनौर में आयोजित किया गया।

आज के कार्यक्रमों की शुरुआत शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह, कुलसचिव प्रो.(डॉ.) महिपाल सिंह, मुख्य अतिथि पद्मश्री भारत भूषण जी एवं संस्था के केयर टेकर सूफी जहीर अख्तर द्वारा मां सरस्वती एवं बाबू विजेंद्र जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) प्रशांत कुमार ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया।

सर्वप्रथम शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह ने मुख्य अतिथि पद्मश्री भारत भूषण जी को पुष्प-गुच्छ एवं शॉल भेंट कर उनका स्वागत किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्मश्री भारत भूषण जी ने सभागार में उपस्थित सभी छात्र एवं छात्राओं से योग, अध्यात्म एवं आधुनिक युग पर चर्चा करते हुए अपने उध्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में अधिकांश व्यक्ति विलासिता की वस्तुओं पर अधिक निर्भर हो गया है, बदलते हुए इस परिवेश में हमें आगे बढ़ने के लिए इन सब वस्तुओं का प्रयोग कम कर अपने ज्ञान एवं आंतरिक शक्तियों को उजागर करना होगा जिससे यथासंभव राष्ट्र के निर्माण में हम सहभागिता कर पाएंगे और भविष्य में आने वाली दुविधाओं का हल करने में सक्षम हो सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के अनेक विद्वान यह मानते हैं कि निकट भविष्य में भारत ही विश्व का नेतृत्व करेगा लेकिन यह तभी संभव होगा जब सभी जातिवाद को बढ़ावा न देकर मानवतावाद को अपनाएंगे और मानसिक गुलामी से मुक्ति के द्वारा एक सशक्त भारत का निर्माण करेंगे। अपनी प्राचीन विरासत पर आधारित और भविष्योन्मुखी सभ्यता की निर्मिति स्वभाषा और स्वबोध से यह कार्य संभव है ।

इस अवसर पर संस्था के केयर टेकर सूफी जहीर अख्तर ने कहा कि भारत भूमि संतो एवं महापुरुषों की धरती रही है और ऐसे महान संतो से शोभित विश्वविद्यालय समय-समय इनके शुभाशीष से अनुग्रहित होता है। उन्होंने कहा व्यक्ति जहां जन्म लेता है वहां की आबोहवा, वहां की वनस्पती, नदियां एवं अन्य सभी प्रकृति प्रदत्त संसाधन मिलकर हमारे जीवन को विकास के पथ पर अग्रसर करती है, जिसका हमें हर परिस्थिति में सम्मान एवं आदर करना चाहिए।

इस अवसर पर शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह एवं कुलसचिव प्रो.(डॉ.) महिपाल सिंह ने कार्यक्रम के आयोजकों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम के अंत में यूटीडीसी डायरेक्टर प्रो.(डॉ.) श्रीकांत गुप्ता ने मुख्य अतिथि पद्मश्री भारत भूषण जी एवं सभा में उपस्थित सभी सम्मानित अतिथिगणों का धन्यवाद प्रेषित किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

इस अवसर पर डॉ. नवीन कुमार, डॉ. जसवीर राणा, शोएब हुसैन, डॉ. योगेश शर्मा, धुर्व जोशी, संदीप कुमार, हामिद अली, अजय शर्मा, मुकेश कुमार गौतम, महेंद्र कुमार आदि शिक्षकगण उपस्थित रहे।

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