जानें क्‍या है विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन और क्‍यूं भड़के हैं अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप

जानें क्‍या है विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन और क्‍यूं भड़के हैं अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप
हाइलाइट्स
  • कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहे अमेरिका के निशाने पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठनआ गया है
  • अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने आरोप लगाया है कि डब्‍ल्‍यूएचओ ‘चीन केंद्रीत’ हो गया है
  • नाराज डोनाल्‍ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह इस वैश्विक संस्‍था की फंडिंग को रोकने जा रहे हैं
  • इस बीच डब्‍ल्‍यूएचओ ने कहा है कि यह आग से खेलने जैसा है, भगवान की खातिर…ऐसा न करें

वाशिंगटन
कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहे अमेरिका के निशाने पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) आ गया है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने आरोप लगाया है कि डब्‍ल्‍यूएचओ ‘चीन केंद्रीत’ हो गया है। इस पूरे महासंकट को लेकर डब्‍ल्‍यूएचओ से काफी नाराज चल रहे ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह इस वैश्विक संस्‍था की फंडिंग को रोकने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि क्‍या है विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन और ट्रंप का ऐलान कितना महत्‍वपूर्ण…

क्‍या है विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन, कैसे करता है काम

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (World Health Organisation) स्‍वास्‍थ्‍य के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेषज्ञ एजेंसी है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो आमतौर पर सदस्‍य देशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालयों के जरिए उनके साथ मिलकर काम करता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) दुनिया में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामलों में नेतृत्‍व प्रदान करने, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान अजेंडा को आकार देने, नियम और मानक तय करने, प्रमाण आधारित नीतिगत विकल्‍प पेश करने का काम करता है।

डब्‍ल्‍यूएचओ देशों को तकनीकी समर्थन प्रदान करने और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी रुझानों की निगरानी और आकलन करने के लिए भी जिम्‍मेदार है। इसकी स्‍थापना 7 अप्रैल 1948 को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने की थी। भारत के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के कंट्री कार्यालय का मुख्‍यालय दिल्‍ली में है और देशभर में इसकी उपस्थिति है। यह संगठन मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्‍वास्‍थ्‍य, संचारी रोग नियंत्रण, असंचारी रोग आदि की रोकथाम की दिशा में काम करता है। इसका मुख्यालय स्वि‍टजरलैंड के जेनेवा में स्थित है। वर्तमान समय में डब्ल्यूएचओ के हेड टेड्रोस एडहानॉम (Tedros Adhanom) हैं जो चीन को लेकर काफी विवादों में चल रहे हैं।

डब्‍ल्‍यूएचओ से क्‍यों नाराज हैं डोनाल्‍ड ट्रंप
अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने पिछले दिनों ट्वीट करके आरोप लगाया, ‘डब्‍ल्‍यूएचओ को मिलने वाले वित्तपोषण का अधिकांश या सबसे बड़ा हिस्सा हम उन्हें देते हैं। जब मैंने यात्रा प्रतिबंध लगाया था तो वे उससे सहमत नहीं थे और उन्होंने उसकी आलोचना की थी। वे गलत थे। वे कई चीजों के बारे में गलत रहे हैं। उनके पास पहले ही काफी जानकारी थी और वे काफी हद तक चीन केंद्रित लग रहे हैं।’ ट्रंप इतने पर ही नहीं रुके और उन्‍होंने डब्‍ल्‍यूएचओ को दिए जाने वाले अमेरिकी फंड पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया।

ट्रम्प ने कहा था, ‘हम डब्ल्यूएचओ पर खर्च की जाने वाली राशि पर रोक लगाने जा रहे हैं। हम इस पर बहुत प्रभावशाली रोक लगाने जा रहे हैं।’ अमेरिकी राष्‍ट्रपति के इस ऐलान के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक एकता की अपील की है। डब्‍ल्‍यूएचओ के मुखिया टेड्रोस ने अमेरिका से आरोप-प्रत्यारोप के खेल में लिप्त होने के बजाय चीन के साथ मिलकर बीमारी का मुकाबला करने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा, ‘यदि आप और लाशें नहीं देखना चाहते हैं, तो आप इसका राजनीतिकरण न करें। यह आग से खेलने जैसा है। भगवान की खातिर… कृपया ऐसा न करें।’

अमेरिका पर निर्भर है डब्‍ल्‍यूएचओ, सबसे बड़ा दानदाता
अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने बताया कि चीन ने डब्‍ल्‍यूएचओ को 4.2 करोड़ डॉलर की मदद दी है, वहीं अमेरिका ने डब्‍ल्‍यूएचओ को 45 करोड़ डॉलर से ज्‍यादा की मदद की है। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस ने इस वित्‍तीय वर्ष के लिए 12.2 करोड़ डॉलर की मदद का ऐलान किया था। वहीं ट्रंप ने मात्र 5.8 करोड़ के बजट का प्रस्‍ताव दिया था। अब ट्रंप ने डब्‍ल्‍यूएचओ को दी जानी वाली सहायता पर बैन लगाने जा रहे हैं। दरअसल, डब्‍ल्‍यूएचओ की फंडिंग का अमेरिका सबसे बड़ा जरिया है और कुल खर्च का 22 प्रतिशत हिस्‍सा देता है।

डब्ल्यूएचओ ने 2019-2023 के लिए 14.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है। इसके बाद दूसरे नंबर पर चीन है जो 12 प्रतिशत की राशि का योगदान करता है। इस सूची में तीसरे नंबर पर जापान है जो 8.56 प्रतिशत, जर्मनी 6 प्रतिशत, ब्रिटेन 4.56 प्रतिशत राशि का योगदान करता है। भारत का योगदान मात्र 0.8341 प्रतिशत है। डब्‍ल्‍यूएचओ को बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन तथा कई अन्‍य संगठनों से भी काफी पैसा मिलता है।

कोरोना को लेकर दुनियाभर में डब्‍ल्‍यूएचओ की आलोचना
कोरोना महामारी के इस दौर में डब्‍ल्‍यूएचओ की दुनियाभर में जमकर आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि अगर डब्‍ल्‍यूएचओ ने सही समय पर सूचना दी होती तो कोरोना संकट को रोका जा सकता था। दरअसल, 14 जनवरी को डब्‍ल्‍यूएचओ ने एक ट्वीट करके कहा था कि कोरोना वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैल रहा है। वह भी त‍ब जब चीन के बाहर थाइलैंड में एक मामला सामने आया था। वैश्विक संस्‍था की यह गलती आजतक दुनिया चुका रही है। उधर, अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जिम रिच ने कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ के तौर तरीकों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है।

उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ न केवल अमेरिकी लोगों के लिए नाकाम हुआ बल्कि वह कोविड-19 से निपटने में घोर लापरवाही के साथ विश्व के मोर्चे पर भी नाकाम हुआ।’ करीब 24 सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्ररेयेसुस के इस्तीफा देने तक डब्ल्यूएचओ की निधि रोकने वाला प्रस्ताव लाने का मंगलवार को एलान किया है।

COVID-19: ट्रंप की WHO को दो टूक, फंडिंग पर विचार करेगा अमेरिका

COVID-19: ट्रंप की WHO को दो टूक, फंडिंग पर विचार करेगा अमेरिकाकोरोना वायरस की वजह से अमेरिका की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लेकर बड़ा फैसला किया है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर गंभीर आरोप लगाते हुए फंडिंग रोकने की बात कही। ट्रंप ने कहा, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका से बड़ी मात्रा में धन प्राप्त होता है, उन्होंने मेरे द्वारा लगाये गये यात्रा पर प्रतिबंध की आलोचना की और असहमती जताई। वे बहुत सारी चीजों के बारे में गलत थे। वे बहुत चीन-केंद्रित लगते हैं। हम डब्ल्यूएचओ पर खर्च होने वाली रकम पर विचार करने जा रहे हैं।

 

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