हरा भरा हो रहा दुनिया का सबसे ठंडा क्षेत्र अंटार्कटिका, अंतरिक्ष से दिखी हरियाली
दुनिया का सबसे ठंडा स्थान अंटार्कटिका हरा भरा हो सकता है। दरअसल, अंटार्कटिका की सतह पर फैली अनंत बर्फ एक शैवाल के लिए ‘घर’ बन गई है और यह बहुत तेजी से अपने पैर पसार रही है। अंटार्कटिका की सतह पर हो रहे इस आश्चर्यजनक बदलाव के लिए वहां पाई जानी वाली पेंग्विन को भी आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला…
तटीय इलाकों में फैल रहा है शैवाल
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञानियों ने पहली बार अतिसूक्ष्म शैवालों का एक नक्शा तैयार किया है जिससे पता चलता है कि अंटार्कटिका के तटीय इलाके में यह शैवाल फल-फूल रहा है। शोधकर्ताओं ने सैटलाइट से मिले डेटा और दक्षिणी ध्रुव पर गर्मियों के दौरान दो बार रहकर शैवाल की जांच की और उसके प्रसार का नक्शा तैयार किया।
अंतरिक्ष से भी दिख रही है हरियाली
शोधकर्ताओं ने पाया कि एक शैवाल तो आकार में बहुत छोटा है लेकिन सामूहिक तौर पर मिलकर यह दक्षिणी ध्रुव को हराभरा बना रहा है। यही नहीं इस शैवाल की हरियाली को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। यह शैवाल अंटार्कटिका के पिघलती बर्फ वाले इलाके में तेजी से फैल रहा है। माना जा रहा है कि यह शैवाल अन्य प्रजातियों के लिए पोषण का स्रोत बन सकता है।
जलवायु परिवर्तन से शैवाल को मिली ऊर्जा
इस शोध का नेतृत्व करने वाली ब्रिटिश टीम का मानना है कि यह हरियाली और बढ़ेगी क्योंकि वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और इससे अंटार्कटिका में कीचड़ की मात्रा और बढ़ेगी। इससे शैवाल को और पनपने का मौका मिलेगा। अंटार्कटिका के इस नक्शे का इस्तेमाल यह पता लगाया जाएगा कि बर्फ की चादर से ढंका अंटार्कटिका कितनी तेजी से हरा भरा हो रहा है।
हरियाली के लिए पेंग्विन भी जिम्मेदार
दक्षिणी ध्रुव पर फैल रहे शैवाल के लिए पेंग्विन को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। असल में शैवाल का विकास पक्षियों और पशुओं के मल से फैल रहा है। करीब 60 फीसदी यह शैवाल 5 किलोमीटर के उस दायरे में पाए गए हैं जहां पेग्विन रहते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि 1679 अलग-अलग शैवाल क्षेत्रों का विकास हो रहा है। यह करीब 1.9 किलोमीटर का इलाका है।
अंटार्कटिका में तेजी से पिघल रही है बर्फ
अंटार्कटिका में अब तक जितनी बर्फ पिघल चुकी है उससे समुद्रस्तर 6 मिलीमीटर या एक-चौथाई इंच तक बढ़ सकता है। बर्फ पश्चिम अंटार्कटिका और अंटार्कटिक पेनिनसुला में कम हुई है, पूर्व में परतें मोटी हुई हैं। इन बदलावों से फिलहाल क्लाइमेट चेंज को नहीं जोड़ा जा रहा है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक तापमान बढ़ने पर ऐसे ही बदलाव दखने को मिलेंगे
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