लंदन: कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण में अभी देरी! आदेश के बावजूद क्यों अड़चन, जानें

लंदन: कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण में अभी देरी! आदेश के बावजूद क्यों अड़चन, जानें

 

  • कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण में हो सकती है देरी
  • प्रत्यर्पण के खिलाफ माल्या 14 मई तक सभी केस हारे थे
  • माल्या के सिविल मामले आ रहे यूके होम ऑफिस के आड़े
  • ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण का दिया था आदेश

नाओमी कैंटन, लंदन
भारतीय बैंकों से हजारों करोड़ का कर्ज लेने के बाद फरार कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का इंतजार लंबा हो चला है। कई महीनों पहले ही माल्या को भारत लाया जा सकता था। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यूके (यूनाइटेड किंगडम) होम ऑफिस कानूनी वजहों से माल्या को सौंपने में देरी कर रहा है।

ऐसी भी चर्चा है कि विजय माल्या ब्रिटेन में शरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। एक बात यह सामने आ रही है कि ब्रिटेन में वह जो सिविल मामले लड़ रहे हैं, वे भी माल्या को भारत भेजने से पहले होम ऑफिस के आड़े आ रहे हैं। माल्या को तब तक भारत को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है, जब तक होम सेक्रटरी प्रीति पटेल दस्तखत नहीं करती हैं। प्रत्यर्पण के खिलाफ माल्या यूके की अदालतों में 14 मई तक सभी केस हार चुके हैं। इसके बावजूद प्रीति पटेल ने अब तक दस्तखत नहीं किए हैं।

भारतीय हाई कमीशन (उच्चायोग) के एक अधिकारी ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ’14 मई 2020 के बाद 28 दिन की मियाद जिसके अंदर माल्या का प्रत्यर्पण होना है, वह शुरू नहीं हुई है। निश्चित रूप से कुछ देरी है। यह पूरी तरह से यूके की सरकार के हाथ में है।’

इस अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि माल्या ने क्या ब्रिटेन में शरण लेने के लिए आवेदन दिया है। लंदन में भारतीय उच्चायोग रोजाना अपडेट के लिए होम ऑफिस पर दबाव डाल रहा है।

एक अन्य भारतीय सूत्र ने बताया, ‘अब भी कुछ मुद्दे हैं, जिन्हें हल किया जाना बाकी है। ये यूके की अदालतों में लंबित केस हो सकते हैं, ये शरण के लिए आवेदन हो सकता है। भारत की सरकार अभी पूरी तरह चीन के साथ लद्दाख में विवाद और कोरोना पर केंद्रित है इसलिए अगर दो महीने की देरी भी होती है तो उन्हें समस्या नहीं होगी।’

उधर होम ऑफिस से जब इस मामले पर टीओआई ने प्रतिक्रिया मांगी तो कोई जवाब नहीं मिला। 2 मार्च 2016 को भारत से फरार होने के बाद से शराब कारोबारी माल्या यूके में हैं। होम ऑफिस में शरण लेने से संबंधित मामलों में नुमाइंदगी का अनुभव रखने वाली बैरिस्टर करिश्मा वोरा का कहना है, ‘मुझे संदेह है कि अब इस स्थिति में वह शरण लेने के लिए आवेदन करेंगे। क्योंकि अगर किसी प्रत्यर्पण के मामले में अपील खारिज होने के बाद आप शरण लेने के लिए अप्लाई करते हैं तो मंजूरी मिलना नामुमकिन है।’ अगर उन्हें आवेदन देना था तो काफी पहले ऐसा करना चाहिए था। उन्हें शरण लेने के लिए दो इंटरव्यू देने होंगे, फिर इस पर होम ऑफिस विचार कर सकता है।

वोरा का कहना है कि अगर होम ऑफिस उनके आवेदन को खारिज करता है तो माल्या फर्स्ट टियर ट्राइब्यूनल (इमिग्रेशन ऐंड असाइलम चैंबर) में अपील कर सकते हैं। यहां नाकाम रहने पर वह अपर ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं। बैरिस्टर वोरा ने आगे कहा, ‘अगर वह इसमें भी नाकाम रहते हैं तो वह हाई कोर्ट में मामले पर पुनर्विचार की अर्जी लगा सकते हैं।’ इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम दो साल लग सकते हैं।

यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स ने बुधवार को टीओआई से कहा कि उसे माल्या की तरफ से भारत भेजे जाने से रोकने के लिए नियम-39 के तहत कोई आवेदन नहीं मिला है। यूके की सिविल कोर्ट्स में माल्या कम से कम दो केस लड़ रहे हैं। एसबीआई की अगुआई में भारतीय बैंकों का समूह 10,623 करोड़ के कर्ज के मामले में माल्या के खिलाफ अदालती आदेश तामील कराने की कोशिशें कर रहा है।

इस सिलसिले में बैंक अपनी लॉ फर्म TLT LLP के जरिए दिवालियापन याचिका पर माल्या से केस लड़ रहे हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी। लंदन हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कारोबारी विजय माल्या ने भारतीय बैंकों से धोखाधड़ी की, लिहाजा उन्हें प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए।

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