कोरोना से डरो मत, लड़ो ना! बिहार के एक और शख्‍स ने यूं दी इस वायरस को मात

कोरोना से डरो मत, लड़ो ना! बिहार के एक और शख्‍स ने यूं दी इस वायरस को मात
हाइलाइट्स
  • कोरोना पॉजिटिव पाए गए रेलवे कर्मचारी ने जीती बीमारी से जंग
  • पटना सिटी निवासी फैयाज अहमद को NMCH से मिली छुट्टी
  • दो बार कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद किया गया डिस्‍चार्ज
  • अब अगले 14 दिन तक होम क्‍वारंटीन में रहना होगा

पटना
कोरोना वायरस से जंग जीतना कितना सुखद एहसास होता होगा। पूरी दुनिया जब इसके कहर से त्राहि-त्राहि कर रही है, कुछ लोग हैं जो इससे डरने की बजाय मजबूती से इसका सामना कर रहे हैं। सावधान रहने की जरूरत सबको है, ये बात उन्‍हें भी पता है। जब शरीर में ये वायरस घुसता है तो बदन का पोर-पोर कमजोर होने लगता है। ऐसे हालत में जरूरत होती है संबल की, उस हिम्‍मत की कि इस नामाकूल दुश्‍मन को भी हराना है। पटना के फैयाज अहमद ऐसे ही एक शख्‍स हैं जिन्‍होंने कोरोना से लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। आज पटना के NMCH से डिस्‍चार्ज हो गए हैं। दो दिन पहले उनकी दूसरी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। तीसरी रिपोर्ट में भी कोरोना नेगेटिव आया और डॉक्‍टरों ने उन्‍हें घर जाने की इजाजत दे दी। इस हिदायत के साथ कि अगले 14 दिन वो खुद को आइसोलेट करके रखेंगे।

30 मार्च 2020 को फैयाज की दूसरी टेस्‍ट रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। तब उनसे नवभारत टाइम्‍स ने बातचीत की थी और यह समझना चाहा था कि सबकुछ हुआ कैसे। बकौल फैयाज, वो पिछले तीन साल से गुजरात में रेलवे ट्रैक मेंटेनेंस का काम देखते हैं। कुछ दिन ही छुट्टी लेकर 8 मार्च को पटना शहर अपने घर आए थे। परिवार के साथ हंसी-खुशी वक्‍त गुजार रहे थे। 21 मार्च का वो दिन जब उन्‍हें हल्‍का बुखार महसूस हुआ। सूखी खांसी आने लगी। अगले दिन का सूरज डूबते-डूबते सांस लेने में तकलीफ होने लगी। पहले लगा कि नॉर्मल बुखार है। मगर हल्‍के में नहीं लिया। पापा को साथ लेकर नजदीकी डॉक्‍टर के पास गए। ये वो वक्‍त था जब पूरी दुनिया से होता हुआ कोरोना वायरस भारत में अपने पैर तेजी से पसार रहा था। डॉक्‍टर ने देखा और सही सलाह दी। कहा कि नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (NMCH) में दिखाओ। वहां फैयाज का ब्‍लड सैंपल लिया गया। एहतियातन उन्‍हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर किया गया था।

कोरोना से बचना है तो ठीक हुए इस युवक की बात सुनें

कोरोना से बचना है तो ठीक हुए इस युवक की बात सुनेंकोरोना की जंग जीतकर घर लौटे बिहार के एक युवक ने  अपने अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने बताया है कि कैसे कोरोना की जंग को कुछ बातों का ध्यान रखकर आसानी से जीता जा सकता है। 

मन के हार हार है, मन के जीते जीत
अगले दिन रिपोर्ट आई कि फैयाज कोरोना वायरस से ग्रस्‍त हैं। वो बताते हैं कि पहले तो यह जानकर वह बहुत डर गए थे, मगर हिम्‍मत बरकरार रखी। सबकुछ डॉक्‍टरों के भरोसे छोड़ दिया। मन ही मन खुद को समझाते रहे कि ठीक होकर फिर से काम पर लौटेंगे। शायद मन की यही जिद थी और ऊपरवाले की नेमत, फैयाज कुछ ही दिन में रिकवर होने लगे। 30 मार्च की रिपोर्ट में उन्‍हें नेगेटिव पाया गया यानी शरीर से वायरस खत्‍म हो चुका था। कन्‍फर्म करने के लिए 48 घंटे में दूसरा टेस्‍ट हुआ। उसकी रिपोर्ट से फैयाज और उनके पूरे परिवार के चेहरे की खोई मुस्‍कान लौट आई।

बड़ा जरूरी है कोरोना से संभलकर रहना
इन दिनों में लॉकडाउन है। लोगों को घरों में कैद रहने को कहा गया है। मुश्किल जरूर है मगर फैयाज कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये फैसला बिल्‍कुल दुरुस्‍त है। बकौल फैयाज, बचाव ही कोरोना से लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार है। पर पलायन कर रहे मजदूरों का क्‍या? इसपर फैयाज कहते हैं कि ‘मैं भले ही ट्रैक मेंटनेंस का काम करता हूं पर हूं तो मैं भी एक मजदूर ही। मैं समझता हूं कि इस वक्‍त मजदूर कैसा महसूस करते होंगे लेकिन सरकार सारी कोशिशें कर रही है। मेरे ख्‍याल से मजदूरों को वहीं रहना चाहिए, जहां वे अभी हैं। उनके रहने-खाने की व्‍यवस्‍था सरकार कर रही है। कोरोना से बचना ज्‍यादा जरूरी है।’

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