कोरोना वायरस ने दिलाई देश भर में हजारों कैदियों को अस्‍थायी रिहाई, जयपुर में संक्रमण से चिंता

कोरोना वायरस ने दिलाई देश भर में हजारों कैदियों को अस्‍थायी रिहाई, जयपुर में संक्रमण से चिंता

 

  • सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एहतियाती कदम के रूप में जेलों से कैदियों को अस्‍थायी तौर पर रिहा करने को कहा था
  • इसके बाद देश की कई जेलों में कोरोना पॉजिटिव कैदी पाए गए, इससे पूरे देश की जेलों में भय का माहौल बना
  • इसे देखते हुए देश भर के लगभग सभी राज्‍यों ने अपनी जेलों से हजारों को कैदियों को अस्‍थाई रिहाई दे दी है

जयपुर/चेन्नई
राजस्थान में खासकर राजधानी जयपुर की जेलों मे कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से चिंता बढ़ गई है। इस बीच देश की विभिन्न जेलों से अधिकारियों ने भीड़भाड़ कम करने के लिए हजारों कैदियों को छोड़ा है ताकि ऐसे स्थानों पर संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मार्च के अंतिम हफ्ते से एहतियाती तौर पर कैदियों को जेलों से छोड़ना शुरू किया गया था और अगले कुछ दिनों में और कैदी बाहर आ सकते हैं।

इन कैदियों को जमानत या पैरोल शुरुआत के 45 से 60 दिन के लिए दी जा रही है और यह अवधि बढ़ाई जा सकती है। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मार्च के दूसरे पखवाड़े में उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे उच्च स्तरीय समितियों का गठन कर जेलों में भीड़ कम करने के लिए सात साल की जेल की अवधि वाले कैदियों और विचाराधीन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करें।

जयपुर जेल में 140 कैदी कोरोना पॉजिटिव
सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को कहा था कि जेलों में भीड़भाड़ चिंता का विषय है और कहा कि ‘कैदियों के लिए सामाजिक दूरी का पालन कठिन है।’ राजधानी जयपुर की जिला जेल और केन्द्रीय कारागृह में 140 से अधिक कैदियों और कर्मचारियों में कारोना वायरस संक्रमण की पुष्टि होने के बाद राजस्थान की अन्य जेलों में बंदियों के नमूने रैंडम तरीके से लिये जाने के बारे में सोमवार को निर्णय होने की संभावना है।

जयपुर सेंट्रल जेल से लिए जाएंगे नमूने
एक शीर्ष जेल अधिकारी ने बताया कि जयपुर की जिला जेल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आने के बाद जेल प्रशासन ने सभी कैदियों और कर्मियों के नमूने जांच के लिये भेजे है और अब जयपुर की केन्द्रीय जेल में भी रैंडम रूप से नमूने लिए जाएंगे। जयपुर जिला जेल के अधीक्षक और 133 कैदी कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं। जयपुर केन्द्रीय जेल में भी कुछ कैदियों में संक्रमण पाया गया है। अधिकारी ने बताया कि राज्य के 156 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जा चुका है जबकि 21 कैदियों की पैरोल की अवधि बढ़ा दी गई है और 11 कैदियों की जेल की सजा को कम करके उन्हें रिहा कर दिया गया है।

आगरा में हुई थी एक कैदी की मौत
आगरा केंद्रीय जेल में कोविड-19 से एक कैदी की मौत के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन एवं सुधार विभाग ने राज्य की सभी जेलों से नमूने लेकर कोरोना वायरस संक्रमण की जांच शुरू कर दी है। विभाग के डीजी आनंद कुमार ने बताया कि आठ मई को कैदी की मौत हुई थी। उसके बाद से 14 कैदियों को पृथक किया गया है। उन्होंने बताया कि जिस बैरक में उस कैदी को रखा गया था उसकी जिम्मेदारी जिन 13 जेल अधिकारियों की थी, उनकी भी जांच की जा रही है।

कुमार ने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 71 जेलें संचालित हैं जिनमें 94,000 से अधिक कैदी हैं। अब तक 16,000 से अधिक कैदियों को या तो जमानत पर या पैरोल पर रिहा कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘आज भी जेलों में 94,000 कैदी हैं जबकि क्षमता 60,000 कैदियों की है। जेलों में भीड़भाड़ परेशानी की बात है। अब भी जेलों में क्षमता से 1.5 गुना अधिक कैदी हैं।’

पंजाब में 9,773 कैदी रिहा किए
पंजाब की जेल में कोविड-19 के पहले मामले में, लुधियाना की जेल की 48 वर्षीय महिला कैदी संक्रमित पाई गई है। उसे 28 अप्रैल को संगरूर जेल से यहां लाया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि पंजाब सरकार ने अब तक जेलों से 9,773 कैदियों को रिहा किया है।

दिल्‍ली में 3,500 कैदी रिहा
राष्ट्रीय राजधानी में, रोहिणी जेल में कोरोना वायरस का मामला सामने आने के बाद से अधिकारी काफी सतर्क हैं। दिल्ली में तीन जेल हैं- तिहाड़, रोहिणी और मंडोली। रोहिणी जेल के 28 वर्षीय व्यक्ति में कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद उसके साथ बैरक साझा करने वाले 15 अन्य कैदियों तथा हेड वार्डन में भी संक्रमण हो गया। एक बैरक में सामान्यत: 20 से 25 कैदी होते हैं। सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए जेलों में भीड़भाड़ कम करने के कदम उठाए जा रहे हैं। अभी तक 3,500 कैदियों को रिहा किया गया है और आगामी दिनों में और कैदियों को रिहा किया जाएगा। जेल अधिकारियों ने कहा कि मार्च में जब उन्होंने जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए कदम उठाने शुरू किए थे जब इन तीन जेलों में कैदियों की संख्या 17,500 थी, जबकि इनकी क्षमता 10,000 कैदियों की है। अब इन जेलों में लगभग 14,200 कैदी हैं तथा और कैदियों को छोड़ने की प्रक्रिया चल रही है।

महाराष्ट्र में जेलों में भीड़ कम करने के लिए अब तक 7,200 से ज्यादा कैदियों को रिहा किया जा चुका है। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि करीब 10,000 और कैदियों को जल्द रिहा किया जाएगा। कारावास विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन से पहले राज्य की 60 जेलों में 35,000 से ज्यादा कैदी थे और हमने 7,200 से अधिक कैदियों को अस्थायी रूप से छोड़ दिया है ताकि जेलों में भीड़ कम हो जाए। उन्होंने कहा कि करीब 17,000 कैदियों को अस्थायी जमानत या पैरोल पर रिहा किया जाएगा। मध्य मुंबई की आर्थर रोड जेल में 100 से ज्यादा कैदियों और स्टाफ के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद समिति का यह फैसला आया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले आर्थर रोड जेल में 2,300 कैदी थे जिनमें से करीब 700 को रिहा कर दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि वहां अब 1,572 कैदी हैं।

तमिलनाडु में रिहा हुए 6 हजार से ज्‍यादा कैदी
तमिलनाडु की विभिन्न जेलों से छह हजार से अधिक कैदियों को रिहा किया गया जिनमें से अधिकतर विचाराधीन कैदी और रिमांड कैदी थे। जेल सूत्रों ने बताया कि इसका परिणाम यह हुआ कि राज्य की 135 से अधिक जेलों में कैदियों की संख्या घटकर करीब 13,500 रह गई है जबकि अधिकृत क्षमता करीब 23 हजार है। इन जेलों में नौ केंद्रीय जेल और महिलाओं के लिए पांच जेल भी शामिल हैं। जेल अधिकारियों ने मार्च से ही न्यायपालिका और पुलिस के साथ मिलकर रिमांड कैदियों और विचाराधीन कैदियों को जमानत देने और सजायाफ्ता कैदियों को छुट्टी पर जाने देने की तैयारी शुरू कर दी थी। आगंतुकों की भीड़ को कम करने के लिए केंद्रीय जेलों में कैदियों को स्मार्टफोन मुहैया कराए गए ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों को वीडियो कॉल कर सकें।

बिहार में एक भी कैदी रिहा नहीं
बिहार सरकार ने अत्यधिक भीड़भाड़ वाली जेलों से करीब 4,500 कैदियों को कम भीड़भाड़ वाली जेलों में भेज दिया है लेकिन किसी भी कैदी को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा नहीं किया है। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। यह पूछने पर कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद किसी भी कैदी को अंतरिम जमानत पर रिहा क्यों नहीं किया गया तो महानिरीक्षक (कारागार) मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि कैदियों को पैरोल पर इसलिए नहीं रिहा किया गया कि वे कोरोना वायरस से पीड़ित हो सकते हैं और बाद में जेल में लौटने पर वे महामारी फैला सकते हैं।

एमपी में 6,500 को पैरोल
मध्य प्रदेश में करीब 6,500 कैदियों को पैरोल एवं अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया है। उन्होंने कहा कि इनमें से करीब 3,900 सजायाफ्ता कैदियों को 60 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया है, जबकि अन्य करीब 2,600 विचाराधीन बंदियों को 45 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया है। पाण्डेय ने बताया कि हमने पैरोल पर रिहा किए गये इन कैदियों की रिहाई का समय 60 दिन और बढ़ा दिया है, जबकि अंतरिम जमानत पर छोड़े गये इन बंदियों की रिहाई का समय 45 दिन के लिए और बढ़ा दिया है। इस प्रकार पेरोल पर रिहा कैदियों को 120 दिन और अंतरिम जमानत पर रिहा इन बंदियों को 90 दिन तक की रिहाई मिल गई है।

इसी बीच, मध्य प्रदेश जेल विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में करीब 131 जेल हैं, जिनमें से 75 प्रतिशत से अधिक जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की जेलों में 28,500 कैदी रखने की क्षमता है, जबकि वर्तमान में करीब 39,000 कैदी रह रहे हैं। जिन 6,500 कैदियों को कोविड-19 के चलते भीड़ कम करने के लिए छोड़ा गया है, वे अलग हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार कुल मिलाकर मध्य प्रदेश की जेलों में क्षमता से बहुत ज्यादा कैदी हैं।

असम में डिटेंशन सेंटर से भी लोग रिहा हुए
असम में 3,550 कैदियों को जेल से रिहा किया गया है, जिनमें डिटेंशन शिविरों में रखे गए 300 लोग भी शामिल हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। असम के जेल महानिरीक्षक दशरथ दास ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद लगभग 1,700 कैदियों को रिहा कर दिया गया, जबकि अन्य को सामान्य कानूनी प्रक्रिया के अनुसार जेल से बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य की 31 जेलों में 8,938 की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 8,510 कैदी हैं।

गुजरात में 2,500 को छोड़ा गया
गुजरात की जेलों से अभी तक करीब 2,500 कैदियों को रिहा किया गया है। यह जानकारी रविवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जेल) के. एल. एन. राव ने कहा कि राज्य की विभिन्न जेलों में करीब 14 हजार कैदी थे। हरियाणा में जमानत पर रिहा दो विचाराधीन कैदी कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि प्रदेश की 19 जेलों के 20,000 कैदियों में से करीब 4,000 को छोड़ा गया है।

केरल में जांच के बाद रिहा
छत्तीसगढ़ से 3,418 कैदियों को छोड़ा गया जिनमें से ज्यादातर विचाराधीन थे। केरल की जेलों में कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के प्रयास में राज्य सरकार रिमांड पर भेजे गये कैदियों को जेलों में तभी रखेगी जब उनकी कोविड-19 जांच रिपोर्ट में संक्रमण नहीं होने की पुष्टि होगी। सरकार पहले ही कई अन्य कैदियों को पैरोल दे चुकी है। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रिमांड पर भेजे गये कैदियों के नमूने लिये जायेंगे और जांच होने तथा रिपोर्ट आने तक उन्हें या तो अस्पतालों में या जिला प्रशासन द्वारा बनाये गये पृथक-वास केन्द्रों में रखा जायेगा।
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