मध्य प्रदेश: भाजपा में बढ़ रही उमा की सक्रियता, सिंधिया का दबदबा कम करने की कोशिश

मध्य प्रदेश: भाजपा में बढ़ रही उमा की सक्रियता, सिंधिया का दबदबा कम करने की कोशिश

भोपाल । भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की सक्रियता तेजी से बढ़ रही है। मलहरा से विधायक रहे प्रद्युम्न सिंह लोधी के बाद उमा ने अपने दूसरे समर्थक राहुल सिंह लोधी से इस्तीफा दिलवाकर उन्हें भाजपा में शामिल कराया है। तीसरे विधायक के इस्तीफे की तैयारी आखिरी दौर में बताई जा रही है। भाजपा नेता इन दांव-पेच का जरिये एक तीर से कई निशाने लगा रहे हैं। विधायकों से इस्तीफा दिलवाकर पार्टी सिंधिया समर्थक विधायकों पर निर्भरता को भी कम कर रही है ताकि राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा कम किया जा सके। इससे भविष्य में वे पार्टी में दमखम दिखाने की स्थिति में नहीं होंगे।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हाल के बयानों से भी यही ध्वनि निकल रही है। कांग्रेस विधायकों को तोड़कर भाजपा कमल नाथ के मनोबल को भी कमजोर करने की कोशिश कर रही है। बता दें कि तोमर कह चुके हैं कि सिंधिया को भाजपा की रीति-नीति में ढलने में समय लगेगा।

उपचुनाव से पहले भाजपा खास रणनीति के तहत काम कर रही है। अभी तक वह इस दिशा में कुछ हद तक कामयाब भी होती दिख रही है। मध्य प्रदेश में भाजपा की रणनीति से कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है। कांग्रेस का कुनबा बिखरता जा रहा है, लेकिन सिंधिया पर भी उतना ही असर पड़ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी रणनीति से मप्र में ‘आत्मनिर्भर’ होने की दिशा में बढ़ रहे हैं।

ग्वालियर—चंबल अंचल के नेताओं में बेचैनी

सिंधिया के साथ 22 विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे। जुलाई में भी तीन कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दिया है। अब अक्टूबर में एक और विधायक राहुल सिंह लोधी इस्तीफा देकर भाजपा में आ गए। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि सिंधिया के साथ आए विधायकों में 14 उनके समर्थक हैं, बाकी आठ विधायक शिवराज और नरोत्तम मिश्रा द्वारा भाजपा में लाए गए थे। इसलिए भाजपा नेता इस कोशिश में हैं कि सरकार में सिंधिया समर्थक विधायकों की संख्या कम रहे।

खासतौर से ग्वालियर-चंबल के नेताओं में सिंधिया के वर्चस्व को लेकर काफी बेचैनी है। जब सिंधिया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय जाकर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की तो कई नेताओं के कान खड़े हो गए। यही वजह है कि भाजपा नेता उपचुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में तोड़फोड़ जारी रखे हुए हैं।

सूत्रों का यह भी कहना है कि फिलहाल शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की संख्या 14 है। भाजपा नेताओं को डर है कि यदि इनमें से कुछ मंत्री चुनाव हारते हैं तो सिंधिया जीते विधायकों को उनके स्थान पर समायोजित करने की बात कह सकते हैं। भाजपा के रणनीतिकार अब कैबिनेट में सिंधिया समर्थकों की संख्या बढ़ाना नहीं चाहते। वे चाहते हैं कि जितने समर्थक जीते, वे तो कैबिनेट में रहें, नए नहीं आएं।

उमा के बगैर चुनाव अभियान अधूरा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सिंधिया के मामले में तो मौन साध लेते हैं, लेकिन कहते हैं कि उमा भारती हमारी राष्ट्रीय स्तर की नेता हैं। हमारा कोई भी चुनाव अभियान उनके बगैर अधूरा है। वे जितना समय दें, उतना कम पड़ता है। उनके राजनीतिक कार्यक्रमों के और कोई मायने निकालना न्यायोचित नहीं लगता है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता, रजनीश अग्रवाल ने कहा, भाजपा एक परिवार है और इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित हर किसी का भी पूरा सम्मान है। उनका महत्व कम करने जैसी बातें निराधार हैं।

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