अजब खेल: जिस शख्स की तीन माह पहले हो चुकी मौत, वो बना रहा था नकली शराब, ऐसे खुली पोल

मुजफ्फरनगर में आबकारी विभाग की लापरवाही का बड़ा खेल सामने आया है। जनपद में मंसूरपुर के नावला कोठी स्थित सरकारी शराब ठेके पर नकली शराब बिक्री के मामले में आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।

जिस शराब ठेका संचालक को आबकारी विभाग ने नकली शराब बनाकर ठेके पर बिकवाने के आरोप में मुकदमे में नामजद कराया है, उसकी तीन माह पूर्व ही मौत हो चुकी है। आबकारी विभाग तीन माह तक ठेका संचालक की मौत से अनभिज्ञ रहा। यही नहीं ठेका संचालक की मौत के बावजूद ठेके का संचालन जारी रहा।

जिला आबकारी विभाग एवं मंसूरपुर थाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई के तहत बुधवार को नावला कोठी के पास स्थित शराब ठेके पर छापा मारा। जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश ने प्रेस नोट जारी कर बताया था कि शराब ठेके से बड़ी तादाद में नकली शराब बरामद की गई।

ठेका संचालक नरेश पुत्र त्रिलोक राम निवासी गांव हुसैनपुर बोपाड़ा द्वारा खुद ही नकली शराब बनाने के बाद उस पर फर्जी रेपर एवं क्यूआर कोड लगाकर अपने शराब ठेके पर बिकवाई जा रही थी। मामले में आबकारी इंस्पेक्टर कमलेश कश्यप की ओर से मंसूरपुर थाने में ठेका संचालक नरेश पुत्र त्रिलोक राम के साथ ही सेल्समैन आशीष के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

नकली शराब पकड़कर वाहवाही लूट रहे आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली रात होते-होते सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल, जिस शराब ठेका संचालक नरेश पर खुद नकली शराब बनाकर अपने ठेके पर बिकवाने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, उसकी तीन माह पूर्व ही मौत हो चुकी है। ग्राम प्रधान हुसैनपुर बोपाड़ा शकुंतला देवी के बेटे अजयवीर ने ठेका संचालक नरेश की मौत की पुष्टि की है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर आबकारी विभाग को ठेका संचालक की मौत की जानकारी कैसे नहीं मिली ? किस आधार पर ठेका संचालक पर नकली शराब बनाने और उसे बिकवाने का आरोप लगाकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई। हर माह रिकॉर्ड चेक करने के बाद ही शराब आवंटित की जाती है तो आखिर किसके हस्ताक्षर पर तीन माह से शराब ठेके पर शराब आवंटित कराई जा रही थी ?

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