‘कभी हां कभी ना’ वाला रवैया: सर्वदलीय बैठक से महबूबा मुफ्ती कर सकती हैं किनारा

‘कभी हां कभी ना’ वाला रवैया: सर्वदलीय बैठक से महबूबा मुफ्ती कर सकती हैं किनारा
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वदलीय बैठक के आह्वान के बाद सभी की नजरें जम्मू-कश्मीर की ओर गढ़ने लगी हैं.

नई दिल्ली/श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की सियासत में उठापटक का दौर शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वदलीय बैठक के आह्वान के बाद सभी की नजरें जम्मू-कश्मीर की ओर गढ़ने लगी हैं. दिल्ली में होने वाली इस सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को शामिल होने का न्योता दिया गया है, जिसमें तत्कालीन राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. मगर सर्वदलीय बैठक में पीडीपी की मुखिया और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के शामिल होने पर संशय बन गया है. खबरें हैं कि महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर पर होने वाली इस बैठक से किनारा कर सकती हैं.

सूत्रों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली कश्मीरी नेताओं की बैठक में महबूबा मुफ्ती ने शामिल होने से इनकार कर दिया है, जबकि फारूक अब्दुल्ला गुपकार के नेता के रूप में इस बैठक में शामिल होंगे. बैठक में फारूक अब्दुल्ला पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन का नेतृत्व करेंगे. उधर, पार्टी के नेताओं का कहना है कि बैठक में महबूबा मुफ्ती की उपस्थिति पर अंतिम फैसला मंगलवार को उनकी पार्टी के सहयोगियों के साथ चर्चा के बाद किया जाएगा.

पीडीपी प्रवक्ता सैयद सुहैल बुखारी ने कहा कि पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की आज (दिल्ली में सभी जम्मू-कश्मीर पार्टियों की सर्वदलीय बैठक से पहले) बैठक हुई. सभी सदस्यों ने तय किया है कि इस संबंध में अंतिम फैसला महबूबा मुफ्ती ही लेंगी, सभी सदस्यों ने उन्हें अधिकृत किया है. सुहैल बुखारी ने यह भी बताया है कि दो दिन में पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन की बैठक होगी. इस मामले पर वहां भी चर्चा होगी.

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को 24 जून को केंद्रशासित प्रदेश के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने का आह्वान मिला है, जिसकी पुष्टि करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें बैठक में भाग लेने के लिए केंद्र से फोन आया था. जिसके बाद उनके बैठक में शामिल होने की संभावनाएं थीं. मगर अब बैठक में मुफ्ती के शामिल होने पर संशय बना हुआ है.

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को धारा 370 खत्म होने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लगभग दो साल बाद एक यह पहला महत्वपूर्ण कदम है. सूत्र कहते हैं कि केंद्रशासित प्रदेश में राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए केंद्र मुख्यधारा के राजनीतिक दलों तक पहुंच बना रहा है. जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने की अटकलों के बीच यह बैठक हो रही है.

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