कर्म मार्ग से भक्ति मार्ग श्रेष्ठ है: लाला शास्त्री                                

कर्म मार्ग से भक्ति मार्ग श्रेष्ठ है: लाला शास्त्री                                
Pandit Lala Shastri Ji Maharaj

देवबंद [24CN] । सराय मालियान स्थित श्री शिव शिवेश्वर मन्दिर में श्रीमद् भागवत कथा के चैथे दिन श्रद्धालुओं को भागवत कथा रसपान कराते हुए पंडित लाला शास्त्री जी महाराज (वृन्दावन) ने कहा कि कलयुग में कर्म मार्ग की अपेक्षा भक्ति मार्ग सबसे व श्रेष्ठ है, जहां ज्ञानी व कर्मी ईश्वर प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के उपाय करते है और असफल रहते है।

उन्होने कहा कि भक्ति मार्ग पर चलने वालों को भगवान् स्वयं दर्शन देते है और उसके कष्ट हरने के लिए भगवान स्वयं आते हैं । गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते है, कि जब दुर्वासा ऋषि ने भक्त अम्बरीष को कष्ट देना चाहा,  तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्त अम्बरीष की रक्षा के लिए तुरंत सुदर्शन चक्र भेज दिया और सुदर्शन ने दुर्वासा ऋषि का पीछा किया, दुर्वासा ऋषि तीनों लोकों में जान बचाने के लिए दौडे  आखिर दुर्वासा ऋषि को  अम्बरीष से अभय दान मांगना पडा क्योंकि भगवान भी भक्त के आधीन होते हैं।

शास्त्री जी ने कहा भगवान भक्तों की रक्षा करने व धर्म की स्थापना के लिए ही पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। इसलिए भगवान ने माता देवकी के गर्भ से अवतार लेकर कंस का वध किया, कंस अंहकार का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि उस समय  जो दुष्ट प्रवर्तिया थी उनका भगवान श्रीकृष्ण ने नाश कर सत्य प्रवर्तियों को विकसित किया । कथा का संचालन सन्दीप सैनी ने किया। कथा में भाजपा के जिलाध्यक्ष डां महेन्द्र सिंह सैनी, कालू सैनी मजीत सैनी, सुरजभान सैनी, कर्मसिह सैनी, धर्म सिंह सैनी, प्रेम सैनी, मदन लाल सैनी, रकम सैनी, देशराज सैनी, रामपाल सैनी, राजेन्द्र सैनी, राजेन्द्र, सोमपाल सैनी, लीलू कश्यप, दीपक सैनी, गौतम, रजत सैनी, बबीता सैनी, चंद्री सैनी आदि उपस्थित रहे।

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