Hindi Diwas 2020: अब विदेशों में भी समझी जा रही है हिंदी की उपयोगिता

Hindi Diwas 2020: अब विदेशों में भी समझी जा रही है हिंदी की उपयोगिता

नई दिल्ली : हमारे देश भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं। हर भाषा का राज्य व क्षेत्र के अनुसार अपना-अपना महत्व है, परन्तु पूरे देश की एक भाषा अर्थात राष्ट्रभाषा होना अत्यंत आवश्यक है, जो उस राष्ट्र की पहचान बने। सन् 1947 में जब भारत को आजादी मिली तो राष्ट्रभाषा को लेकर सवाल खड़ा हो गया कि किस भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित किया जाए। ऐसे में 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा की सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया कि राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी ही सर्वोच्च भाषा होगी।

इस अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय के साथ हिंदी भाषा के सम्पूर्ण भारत में प्रसार के लिए ‘राष्ट्रभाषा प्रचार समिति’ के अनुरोध पर 1953 से हर वर्ष 14 सितम्बर को ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाने लगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के कई जाने-माने साहित्यकारों, कवियों, और लेखकों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए अनेकों प्रयास और संघर्ष किए। हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में चुने जाने की प्रमुख वजह लोगों को यह एहसास दिलाना था कि जब तक हिंदी का इस्तेमाल नहीं होगा, तब तक हिंदी भाषा का विकास असंभव है। आज भी सरकारी कार्यालयों में अधिकतर कार्य हिंदी में ही होता है। हिंदी भाषा के विकास में योगदान देने वालों को सम्मानित भी किया जाता है। हिंदी भाषा भारत में सबसे अधिक बोली जाती है, शायद इसीलिए इसने देश को एकता की डोर में बांध कर रखा है।

किसी भी राष्ट्र की भाषा उसकी पहचान होती है। भाषा की सरलता, सहजता और शालीनता उसकी अभिव्यक्ति को सार्थकता प्रदान करती है। अत: प्रत्येक भारतवासी को अपनी मातृभाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिएं। सभी स्कूल, कॉलेज, ऑफिस व अन्य संस्थाएं बड़ी धूमधाम से ‘हिंदी दिवस’ मनाती हैं। हिंदी से जुड़ी विविध प्रकार की प्रतियोगिताएं व कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हिंदी भाषा के महत्व को दिखाने के लिए कविताएं, लेख व कहानियों से जुड़े तथ्य पेश किए जाते हैं। आमतौर पर हमारे घरों में व स्कूलों में भी हिंदी में बातचीत को अधिमान दिया जाता है। हिंदी दिवस पर ‘राजभाषा गौरव पुरस्कार’ और ‘राजभाषा र्कीत पुरस्कार’ नामक दो अवार्ड गृह मंत्रालय द्वारा हिंदी के क्षेत्र में अविस्मरणीय कार्य हेतु प्रदान किए जाते हैं।

अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान प्रत्येक इंसान के लिए आवश्यक है लेकिन आज के बदलते समय के साथ हर इंसान अंग्रेजी भाषा बोलने व लिखने में अपनी शान समझता है और इसे सफलता की सीढ़ी भी मानता है। मगर अपनी मातृभाषा को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। अगर हमें किसी स्थान पर या किसी से बातचीत करते वक्त अंग्रेजी बोलने में असुविधा हो तो बेहिचक हिंदी में बात कीजिए। आप स्पष्ट तौर पर सम्मान के साथ कह सकते हैं कि कृप्या हिंदी में बात कीजिए। इसमें कोई शर्म वाली बात नहीं है, बल्कि गर्व महसूस करना चाहिए। हर वर्ष ‘हिंदी दिवस’ मनाने के पीछे सरकार का यही मानना होता है कि आने वाली पीढ़ी अपनी मातृभाषा को समझे व उसका आदर करे। यह दिन हिंदी भाषा के प्रति हमारे गर्व को दर्शाता है।

‘‘राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।’’     —महात्मा गांधी

आज अपने देश के साथ-साथ विदेशों में भी हिंदी की उपयोगिता को समझा जा रहा है। कई विदेशी भी हिंदी बोलने व समझने को प्राथमिकता देने लगे हैं। अन्य भाषाओं में छपने वाले विश्व प्रसिद्ध साहित्य भी हिंदी में छपने के कारण अब आम इंसान भी इन्हें पढ़ सकता है। हमारे देश में कई उपन्यासकार हैं, जिनकी अंग्रेजी से अनुवादित हिंदी किताबों ने बिक्री के रिकॉर्ड तोड़ दिए। टैलीविजन पर प्रसारित होने वाले विभिन्न चैनलों के कार्यक्रम भी 90 प्रतिशत तक हिंदी भाषा में हैं। कई समाचारपत्र व पत्रिकाएं भी आज हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं। रेडियो चैनल्स भी हिंदी के प्रचार व प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो हिंदी भाषा का भविष्य बहुत ही विस्तृत एवं समृद्ध है।

‘‘हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है, जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।’’    —मैथिलीशरण गुप्त

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