नई दिल्ली। हौजखास में खोदाई के दौरान जमीन में सुरंग मिली है, इसलिए इस क्षेत्र में खोदाई का काम रोक दिया गया है।यह सुरंग हौजखास में बाल संग्रहालय के पुनर्विकास के लिए चल रहे काम के लिए हो रही खोदाई में मिली है।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) सुरंग का अध्ययन कर रहा है। प्राथमिक स्तर पर की गई जांच में सुरंग को 13 वीं सदी का अलाउद्दीन खिलजी के समय का बताया जा रहा है।

यह सीरीफोर्ट के पास स्थित है जिसे खिलजी ने बनवाया था। एएसआइ सीरीफोर्ट से संबंधित पुराने दस्तावेजों का भी अध्ययन कर रहा है जिससे सुरंग के बारे में पता चल सके।कुछ साल पहले इसी इलाके में जमीन में सीरीफोर्ट की दीवार दबी मिली थी। जिसे संरक्षित किया जा चुका है। जिसे सीरीफोर्ट कहा जाता है अब इसके बहुत कम अवशेष बचे हैं।यहां का अधिकतर भाग लंबे समय से डीडीए के अधीन है।

2007-8 के करीब डीडीए द्वारा बनाई गई एक इमारत अदालती आदेश पर एएसआइ को दे दी गई थी।इसी इमारत के परिसर में कुछ समय पहले खोदाई का काम चल रहा था।यह कार्य यहां बने बाल संग्रहालय की विस्तार योजना के तहत हो रहा है। इसी के तहत परिसर के एक भाग को खोद कर समतल किए जाने के लिए काम शुरू हुआ तो श्रमिकों को जमीन में पक्का निर्माण होने के बारे में पता चला।

इसके बाद सावधानीपूवर्क खोदाई को विस्तार दिया गया तो आर्च होने के बारे में पता चला उसके अंदर सुरंग है जो नीचे की ओर बढ़ती हुई उत्तर और पूर्व की दिशा में जा रही है।एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी इसके बारे में अध्ययन किया जा रहा है और इसके भविष्य के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।उन्होंने बताया कि अध्ययन के निष्कर्ष के बाद इस बारे में आगे की खोदाई के बारे में फैसला लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यह सीरीफोर्ट का हिस्सा है। सीरी का किला मुख्य रूप से एक दुर्ग के रूप में था, जिसकी तुलना राय पिथौरा किले से करी जा सकती थी। खिलजी वंश दिल्ली सल्तनत के पांच मुख्य वंश में से एक था जो गुलाम वंश के समाप्त होने के बाद जलालुद्दीन खिलजी के द्वारा स्थापित किया गया था।

सीरी का किला मुख्य रूप से मंगोलों के द्वारा होने वाले आक्रमण से दिल्ली सल्तनत को महफूज रखना था। अलाउद्दीन खिलजी को “खिलजी वंश” का सबसे बड़ा सम्राट माना जाता है क्यूंकि इसने ही अपना प्रभुत्व दक्षिणी भारत में बढ़ाया था और दिल्ली में सीरी नामक दूसरे शहर की स्थापना की थी। अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले का निर्माण में 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत को मंगोलो के हमलों से बचाने के लिए किया था।