शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर अड़ी, कहा-लिखकर दे बीजेपी
हाइलाइट्स
- हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनाने की तस्वीर साफ होने के बाद महाराष्ट्र में दांवपेच फंसता नजर आ रहा है
- शिवसेना ने तल्ख तेवर अपनाते हुए बीजेपी से लिखित आश्वासन मिलने ही सरकार को समर्थन देने की बात कही है
- शिवसेना का कहना है कि ढाई-ढाई साल के फॉर्म्युले पर बीजेपी लिखित आश्वासन दे तभी सरकार को समर्थन होगा
नई दिल्ली/मुंबई
हरियाणा में बीजेपी ने सरकार बनाने का गणित तो साध लिया है, लेकिन महाराष्ट्र में उसके लिए परेशानी खड़ी हो गई है। चुनाव में उसकी सहयोगी शिवसेना के नई सरकार में बराबर की हिस्सेदारी मांगने से भगवा दल के लिए संतुलन साधना बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है। शनिवार को शिवसेना ने अपने तेवर और तल्ख करते हुए कहा कि उसे ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहिए और बीजेपी नेतृत्व को यह लिखित में देना होगा। बता दें कि महाराष्ट्र में साथ मिलकर चुनाव लड़ी बीजेपी को 105, जबकि शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। इस तरह गठबंधन के पास बहुमत के लिए जरूरी 145 का आंकड़ा मौजूद है, लेकिन शिवसेना के बदले रुख ने सरकार गठन पर सस्पेंस पैदा कर दिया है।
मुंबई उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री में शनिवार दोपहर शिवसेना के विधायक दल की बैठक हुई। शिवसेना नेता प्रताप सरनायक ने बैठक के बाद मीडिया को बताया, ‘हमारी मीटिंग में तय हुआ है कि जैसा कि अमित शाह जी ने लोकसभा चुनाव से पहले 50-50 फॉर्म्युले का वादा किया था, उसके हिसाब से दोनों दलों को 2.5-2.5 साल सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। शिवसेना का सीएम भी होना चाहिए। उद्धव जी को बीजेपी से लिखित आश्वासन मिलना चाहिए।’
कांग्रेस ने शिवसेना को दिया ग्रीन सिग्नल
बीजेपी-शिवसेना के रिश्तों में तनाव को देख महाराष्ट्र कांग्रेस ने संकेत दिया कि वह शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दे सकती है। कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वाडेत्तिवार ने शनिवार को कहा, ‘गेंद बीजेपी के पाले में है। शिवसेना को फैसला लेना है कि क्या वह अपना पांच साल का सीएम चाहती है या 2.5 साल के सीएम की मांग पर बीजेपी की प्रतिक्रिया का इंतजार करेगी। अगर सेना हमें कोई प्रस्ताव देती है तो हम उस पर अपने आलाकमान के साथ बात करेंगे।’
इससे पहले इसी प्रकार का प्रस्ताव राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल व कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद हुसैन दलवी द्वारा दिया गया था। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘हम से इस पर अब तक शिवसेना से कोई बातचीत नहीं हुई है। हालांकि, अगर ऐसा होता है तो हम इस मामले पर निर्णय के लिए पार्टी आलाकमान के समक्ष रखेंगे।’कांग्रेस, एनसीपी और इसके दूसरे सहयोगियों ने 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 117 सीटें हासिल की हैं। ऐसे में अगर शिवसेना भी साथ आ जाती है तो आकंड़ा आराम से बहुमत तक पहुंच जाएगा।
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तब BJP ने रखी थी शिवसेना के सामने फिफ्टी-फिफ्टी की शर्त
महाराष्ट्र में शिवसेना की ओर से उछाला गया फिफ्टी-फिफ्टी का फॉर्म्युला नया नहीं है। वक्त का फेर है कि यह फॉर्म्युला 1999 में बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने शिवसेना को दिया था। जिस पर तब शिवसेना राजी नहीं हुई थी। ऐसे में गठबंधन सरकार नहीं बनी थी। इस बार फिफ्टी-फिफ्टी की यह शर्त शिवसेना की ओर से रखी गई है और बीजेपी इस पर सहमत नहीं दिख रही है।
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