नई दिल्ली। आम जनता अगले कुछ दिनों में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में और गिरावट की उम्मीद कर सकती है। कच्चे तेल की कीमतों को कम करने में आनाकानी दिखा रहे तेल उत्पादक देशों पर दबाव बनाने के लिए भारत ने अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के साथ हाथ मिलाया है। इन सभी देशों ने अपने रणनीतिक भंडार में मौजूद कच्चे तेल (क्रूड) के एक हिस्से को घरेलू इस्तेमाल में प्रयोग करने का फैसला किया है। यानी बाजार से कच्चे तेल की खरीद नहीं की जाएगी बल्कि खास हालात के लिए संचित करके रखे गए क्रूड का इस्तेमाल किया जाएगा। पहली बार भारत इस मद में पचास लाख बैरल क्रूड जारी करेगा। इससे कच्चे तेल की कीमतों के घटने की संभावना है। पिछले महीने क्रूड की कीमतें 86 डालर प्रति बैरल थी जो अभी 79 डालर प्रति बैरल के आसपास है।

भारत सरकार ने इस बारे में एलान करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाइड्रोकार्बन की कीमत यथोचित तरीके से तय होनी चाहिए। तेल उत्पादक देश मांग को नजरअंदाज कर जिस कृत्रिम तरीके से कीमत तय करते हैं, भारत उसका हमेशा से विरोध करता रहा है। भारत के इस फैसले के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी पांच करोड़ बैरल अपने रणनीतिक भंडार से जारी करने का एलान कर दिया। अमेरिका ने भी कहा है कि वह इस बारे में भारत, जापान, चीन के साथ विमर्श कर सामूहिक फैसला कर रहा है। ओपेक देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाए जाने की अपील नहीं मानने के बाद यह कदम उठाया गया है।

72 डालर प्रति बैरल तक आ सकती है क्रूड की कीमत

यह पहला मौका है कि भारत, अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन जैसे दुनिया के सबसे बड़े क्रूड खरीदार देशों ने एकमत होकर तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह फैसला क्रूड बाजार में मांग पर बहुत असर नहीं डालेगा लेकिन इससे बाजार में जो माहौल बनेगा उससे क्रूड की कीमत घटकर 72 डालर प्रति बैरल तक आ सकती हैं। क्रूड खरीददार देशों की तरफ से यह मांग की जा रही है कि ओपेक देशों को क्रूड की कीमतों को 70 डालर के आसपास स्थिर रखने की कोशिश करनी चाहिए। अगर क्रूड इससे ज्यादा महंगा होगा तो उससे कोरोना महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार पर असर पड़ेगा। पेट्रो उत्पादों की कीमतों में तेजी का असर अमेरिका, चीन, भारत पर दिखाई दे रहा है जहां महंगाई दर काफी ज्यादा है। अमेरिका के फेडरल बैंक ने भी महंगाई को देख ब्याज दरों को बढ़ाने का संकेत दे दिया है। आरबीआइ भी लगातार महंगाई को लेकर चेतावनी दे रहा है।

देश में क्रूड रखने के लिए तीन रणनीतिक भंडार

भारत में विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलुरु (कर्नाटक) और पादूर (कर्नाटक) में रणनीतिक भंडार हैं। यहां पर कुल 3.8 करोड़ टन कच्चा तेल संचित करके रखा जा सकता है। इसमें से भारत फिलहाल 50 लाख टन इस्तेमाल करेगा जो मोटे तौर पर उसके रोजाना की खपत के बराबर है। सरकार के इस फैसले से घरेलू जनता को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नई राहत मिलने की उम्मीद है। हाल ही में केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर विशेष उत्पाद शुल्क में क्रमश: पांच रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर ग्राहकों को कुछ राहत पहुंचाई थी

किसी भी देश ने नहीं बताई तारीख

भारत सहित किसी भी देश ने अब तक यह नहीं बताया है कि रणनीतिक भंडार से कच्चा तेल आम इस्तेमाल के लिए कब जारी किया जाएगा। चीन और जापान ने अभी तक क्रूड जारी करने का कोई एलान तो नहीं किया है, लेकिन पहल का समर्थन किया है। इसी तरह दक्षिण कोरिया ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह अपने रणनीति भंडार से कितना तेल जारी करेगा। ब्रिटेन ने अब तक इस संबंध में किसी तरह की टिप्पणी नहीं की।

अमेरिका में गैस की कीमत पिछले साल के मुकाबले 50 प्रतिशत अधिक

अमेरिका में इस समय गैस की कीमत 3.40 डालर प्रति गैलन (3.785 लीटर) है। एक साल पहले की तुलना में इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। महंगाई के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन की अप्रूवल रेटिंग गिरी है। अगले साल चूंकि वहां मध्यावधि चुनाव होने हैं, इसके चलते भी मौजूदा सरकार परेशान है।