ट्रंप और रामाफोसा की मीटिंग में हुआ जबरदस्त ड्रामा, जेलेंस्की जैसी स्थिति होते-होते रह गई

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ मुलाकात के दौरान तीखी बहस की और इस दौरान भरपूर ड्रामा देखने को मिला। ट्रंप ने इल्जाम लगाया कि साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों की व्यवस्थित ढंग से हत्या हो रही है। उन्होंने ओवल ऑफिस की लाइट्स धीमी करके एक वीडियो भी चलाया, जिसमें एक कट्टरपंथी नेता ‘किल द फार्मर’ (किसान को मारो) के नारे वाला गाना गा रहा था। ट्रंप ने कुछ न्यूज़ आर्टिकल्स भी दिखाए और कहा कि गोरे किसानों को ‘भयानक मौत’ का सामना करना पड़ रहा है।
‘साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों का हो रहा नरसंहार’
ट्रंप ने पहले ही साउथ अफ्रीका को दी जाने वाली सारी अमेरिकी मदद रोक दी थी और कई गोरे साउथ अफ्रीकन किसानों को अमेरिका में शरणार्थी के तौर पर बुलाया था। उनका दावा है कि साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों का ‘नरसंहार’ हो रहा है। ट्रंप ने साउथ अफ्रीका की अश्वेत नेतृत्व वाली सरकार पर कई इल्जाम लगाए, जिसमें गोरे किसानों की जमीन छीनने, गोरों की विरोधी नीतियां लागू करने और अमेरिका विरोधी विदेश नीति अपनाने जैसे आरोप शामिल हैं।
ट्रंप के इल्जामों का रामाफोसा ने सख्ती से किया खंडन
रामाफोसा ने ट्रंप के इल्जामों का सख्ती से खंडन किया। उन्होंने कहा, ‘हम इन इल्जामों के पूरी तरह खिलाफ हैं। यह हमारी सरकार की नीति नहीं है।’ रामाफोसा इस मुलाकात में दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने और सच सामने लाने की कोशिश में आए थे। रामाफोसा ने पूरी मीटिंग के दौरान कई बार हल्की-फुल्की बातों से माहौल को सही करने की भी कोशिश की। बता दें कि साउथ अफ्रीका और अमेरिका के रिश्ते 1994 में रंगभेद (अपारथाइड) खत्म होने के बाद से सबसे खराब दौर में हैं।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में चलवाया जूलियस मालेमा का वीडियो
ट्रंप ने मुलाकात की शुरुआत में ही पत्रकारों के सामने एक बड़ा टीवी सेट लगवाया और उसमें एक वीडियो चलाया। वीडियो में साउथ अफ्रीका की विपक्षी पार्टी के नेता जूलियस मालेमा एक पुराना रंगभेद-विरोधी गाना गा रहे थे, जिसमें ‘किल द बोअर’ और ‘शूट द बोअर’ जैसे बोल थे। ‘बोअर’ शब्द का मतलब गोरा किसान होता है। यह गाना साउथ अफ्रीका में सालों से विवाद का विषय रहा है। मालेमा की पार्टी साउथ अफ्रीका की सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है।
ट्रंप ने सड़क किनारे सफेद क्रॉस का वीडियो भी दिखाया
ट्रंप ने एक और वीडियो दिखाया, जिसमें सड़क किनारे सफेद क्रॉस दिखाए गए, जिन्हें उन्होंने गोरे किसानों की कब्रों का मेमोरियल बताया। रामाफोसा ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘मुझे नहीं पता यह कहां है, मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा।’ वहीं, साउथ अफ्रीका के एक्सपर्ट्स का कहना है कि व्हाइट लोगों को उनके रंग की वजह से निशाना नहीं बनाया जा रहा। उनका कहना है कि साउथ अफ्रीका में क्राइम रेट बहुत ज्यादा है, और सभी नस्लों के किसान हिंसक चोरी और हमलों का शिकार होते हैं।
‘लोग जान बचाने के लिए साउथ अफ्रीका से भाग रहे’
ट्रंप ने रामाफोसा से कहा, ‘लोग अपनी जान बचाने के लिए साउथ अफ्रीका से भाग रहे हैं। उनकी ज़मीन छीनी जा रही है और कई मामलों में उनकी हत्या हो रही है।’ रामाफोसा ने जवाब दिया कि उनकी सरकार ऐसी किसी नीति का समर्थन नहीं करती। ट्रंप ने मुलाकात की शुरुआत में रामाफोसा को ‘कई हलकों में सम्मानित नेता’ बताया, लेकिन साथ ही कहा कि ‘कुछ जगहों पर वे थोड़े विवादास्पद हैं।’ रामाफोसा ने हल्के अंदाज में जवाब दिया, ‘हम सब ऐसे ही हैं’। दरअसल, उनका इशारा ट्रंप से जुड़े विवादों की तरफ था।
अमेरिका की नाराजगी की और भी वजहें हैं
ट्रंप प्रशासन साउथ अफ्रीका की कुछ नीतियों से नाराज है। फरवरी में ट्रंप ने एक आदेश जारी कर साउथ अफ्रीका को दी जाने वाली सारी मदद रोक दी थी। उन्होंने साउथ अफ्रीका की सरकार पर श्वेत विरोधी नीतियां अपनाने और हमास व ईरान का समर्थन करने का इल्जाम लगाया था। इसके अलावा, साउथ अफ्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इजरायल के खिलाफ गाजा में नरसंहार का इल्जाम लगाया, जिससे ट्रंप प्रशासन और नाराज है। रामाफोसा का ईरान की टेलीकॉम कंपनी MTN ग्रुप से पुराना रिश्ता भी विवाद का कारण बना।
जेलेंस्की जैसी स्थिति से बचना चाहते थे रामाफोसा
रामाफोसा इस मुलाकात में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की जैसी स्थिति से बचना चाहते थे, जिन्हें फरवरी में ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने व्हाइट हाउस में अपमानित किया था और उन्हें वहां से जाने को कहा गया था। रामाफोसा ने अपनी डेलिगेशन में मशहूर गोल्फर अर्नी एल्स और रेटीफ गूसन को शामिल किया, क्योंकि ट्रंप को गोल्फ बहुत पसंद है। उन्होंने ट्रंप को साउथ अफ्रीका के गोल्फ कोर्स की एक बड़ी किताब भी भेंट की। रामाफोसा ने हल्के अंदाज में कहा कि वे अपनी गोल्फ स्किल्स सुधार रहे हैं।
अपने साथ कई ‘खास’ लोगों को लेकर गए थे रामाफोसा
रामाफोसा के डेलिगेशन में अफ्रीकनर बिजनेसमैन जोहान रूपर्ट भी थे, ताकि ट्रंप के जमीन छीनने के आरोपों पर जवाब दिया जा सके। रामाफोसा ने साउथ अफ्रीका की ट्रेड यूनियनों की अध्यक्ष जिंगिस्वा लोसी को भी बुलाया, जिन्होंने ट्रंप को बताया, ‘साउथ अफ्रीका में हिंसा कई कारणों से है। यह सिर्फ रंग का मसला नहीं, बल्कि क्राइम का मसला है।’ लोसी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में अश्वेत पुरुष और महिलाएं भी भयानक अपराधों का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने दोनों देशों से मिलकर निवेश और क्राइम कम करने पर काम करने की बात कही।
रामाफोसा के साथ ट्रंप की मीटिंग में मौजूद थे मस्क
दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात में साउथ अफ्रीका में जन्मे एलन मस्क भी मौजूद थे, जो ट्रंप के सलाहकार हैं। मस्क ने साउथ अफ्रीका की सरकार पर श्वेत विरोधी नीतियों का इल्जाम लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा था कि उनकी कंपनी स्टारलिंक को साउथ अफ्रीका में लाइसेंस नहीं मिला, क्योंकि वे ब्लैक नहीं हैं। साउथ अफ्रीका के अधिकारियों का कहना है कि स्टारलिंक ने औपचारिक रूप से आवेदन ही नहीं किया। साउथ अफ्रीका की अफर्मेटिव एक्शन नीतियां विदेशी कंपनियों को 30% हिस्सेदारी अश्वेत या अन्य वंचित समूहों को देने के लिए कहती हैं, जो रंगभेद के दौर में पीड़ित थे।