मऊ : योगी सरकार में माफियाराज पर शिकंजा कसता जा रहा है। पहले जिलाबदर की जो कार्रवाई महज फाइलों की शोभा बनकर रह जाती थी, अब बाकायदा ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ सार्वजनिक हो रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव व शिवपाल यादव के करीबी रहे बड़रांव के पूर्व ब्लाक प्रमुख विद्युत यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ।

सोशल मीडिया पर हो रहा ट्रेंड

मुनादी कराते हुए पुलिस फोर्स उन्हें जिले की सीमा तक ले गई और माइक से सख्त चेतावनी दी गई कि अगर छह माह से पहले जिले की सीमा में दिखे तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा। मऊ के अपर जिलाधिकारी भानु प्रताप सिंह के आदेश पर गुंडा एक्ट में यह कार्रवाई तो गत 27 अप्रैल को हुई लेकिन इसका वीडियो सोमवार को इंटरनेट मीडिया पर ट्रेंड करता रहा।

इस सख्ती के साथ जिला बदर करने का व्यापक संदेश यह था कि कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी रसूखदार हो, अगर अपराध और अपराधियों से जुड़ाव रखता है तो उसके साथ ऐसा ही सलूक किया जाएगा। मऊ में ही इस वर्ष जनवरी माह से अब तक 147 लोगों को गुंडा एक्ट में जिलाबदर किया गया है।

यही नहीं, 67 लोगों के खिलाफ जिला प्रशासन ने गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करते हुए 109 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति कुर्क की है।

सपा से बगावत के बाद थामा था शिवपाल का दामन

घोसी कोतवाली क्षेत्र के बलभद्रपुर निवासी विद्युत यादव ने वर्ष 2006 में बड़रांव ब्लाक के प्रमुख का चुनाव जीता था। इसके बाद 2018-19 में ब्लाक प्रमुख के उप चुनाव में अपनी बहू विमला को जीत दिलाई थी। 2019 में दूसरी पुत्रवधू को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी जिताया था।

पहले वह सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी थे। वर्ष 2018-19 में सपा के जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने में सक्रिय भूमिका निभाई तो सपा से निष्कासित कर दिए गए। इसके बाद वह शिवपाल यादव के साथ हो गए थे। वर्ष 2006 से लेकर ब्लाक प्रमुख के हर चुनाव में उनके विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज होते रहे। इससे इतर मामलों में भी विद्युत पर मुकदमे होते रहे।

इसी बीच निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हुई और अपर जिलाधिकारी भानु प्रताप सिंह ने गुंडा एक्ट के तहत दर्ज मुकदमों के आधार पर 25 अप्रैल को उन्हें जिला बदर किए जाने का आदेश पारित किया। इसके बाद भी विद्युत ने जिला नहीं छोड़ा तो पुलिस ने उन्हें 27 अप्रैल को जिले की सीमा के बाहर तक गाजे-बाजे के साथ छोड़ा।

पूर्वांचल में कानून का वार,1027 आरोपित ‘तड़ीपार’

पूर्वांचल के जिलों में साल भर में कानून व्‍यवस्‍था को बेहतर बनाने के लिए पुलिस की सक्रियता की वजह से जिलाबदर या निर्वासन (तड़ीपार) करने के एक हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। वाराणसी सहित सोनभद्र, बलिया, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, मीरजापुर, भदोही और चंदौली आदि जिलों में पुलिस ने उपद्रवियों और कई बवालियों के मामलों में कड़ा निर्णय लेते हुए उनको जिला बदर करने का फैसला लिया है।

इस कड़ी में पुलिस की कार्रवाई की जद में कई सियासी चेहरे भी आए हैं। इस प्रकार जिले में कुल 1017 लोगों को पुलिस ने अपने जिले से बाहर का रास्‍ता दिखाकर शांति स्‍थापित करने की कवायद को अमलीजामा पहनाया है। कार्रवाई का आधारकिसी आपराधिक गतिविधि में सक्रिय रहे व्‍यक्ति को जिलाबदर या तड़ीपार करने का अभिप्राय जिला स्‍तर से उस प्रशासनिक कार्यवाही से है जिसके तहत आपराधिक गतिविधियों में लिप्‍त व्यक्तियों जिनसे कानून व्‍यवस्‍था प्रभावित होने की संभावना हो उनको कुछ निर्धारित समय के लिए उनके निवास स्‍थान वाले जिले से बाहर कर दिया जाता है।

यह पूरी प्रक्रिया पुलिस और प्रशासन की ओर से अधिकारियों द्वारा विधिक तौर पर पूरी की जाती है।

अधिकारी जिला बदर से मतलब वह प्रशासनिक कार्रवाई है, जिसमें आपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त व्यक्तियों को कुछ निर्धारित समय के लिए जिला से बाहर कर दिया जाता है। यह कार्रवाई जिला के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा किया जाता है। किसी खास इलाके में दहशत फैलाने और आर्थिक लाभ लेने वाले बदमाशों को भी अब जिला बदर किया जाता है।- आरएस गौतम, डीसीपी वाराणसी।