Hindu Nav Varsha: 5 प्वाइंट्स में जानें हिंदू नववर्ष भारत के लिए कैसा रहेगा
चैत्र के महीने में जब सूर्य और चन्द्रमा मीन राशि में एक अंश पर आ जाते हैं तो उस समय की ग्रह स्थिति के अनुसार बनने वाली कुंडली से अगले एक वर्ष के विषय में किसी राष्ट्र विशेष के लिए फलित किया जाता है यानी अगले एक साल के भविष्य को जाना जाता है। 24 मार्च को दोपहर 2 बजकर 58 मिनट पर जब सूर्य और चंद्रमा मीन राशि में एक अंश पर मिलेंगे तब भारतीय मानक समय अनुसार कर्क लग्न उदित हो रहा होगा। हिंदू नववर्ष की कुंडली में भारत के लिए क्या कुछ खास रहने वाला है जनिए ज्योतिषशास्त्री सचिन मल्होत्रा से…
कर्क राशि, आजाद भारत की वृष लग्न की कुंडली का तीसरा भाव होकर इस वर्ष भारत के पराक्रम भाव में वृद्धि का योग बता रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की इस कुंडली के दशम भाव में शुभ ग्रह शुक्र बैठे हैं जिन पर रोग स्थान (छठे भाव) से गुरु की पांचवी दृष्टि पड़ रही है जो इस बात का संकेत है कि भारत सरकार के कोरोना को फैलने से रोकने से प्रयास सफल होंगे।
भाग्य भाव में सूर्य और चंद्रमा दोनों शुभ कर्तरी योग में हैं, क्योंकि उससे एक घर आगे शुक्र और एक घर पीछे शुभ ग्रह बुध स्थित हैं। इस योग के प्रभाव से भारत में कोरोना के बड़ी महामारी बनने का खतरा बेहद कम है और अप्रैल के अंत तक इस रोग पर पूरी तरह नियंत्रण कर लेने में सरकार सफल हो सकती है। इस वर्ष के राजा बुध और मंत्री चंद्र हैं जो कि चैत्र प्रतिपदा कुंडली में पीड़ित न होने के कारण इस वैश्विक बीमारी के नियंत्रण में आने की उम्मीद दिखा रहे हैं।
हिन्दू नववर्ष की कुंडली में सप्तम भाव में बैठे शनि और मंगल की अशुभ युति के कारण आगामी एक वर्ष व्यापार जगत, वैवाहिक संबंधों और पड़ोसी देशों से राजनयिक संबंधों के मामले में उतार-चढाव भरा रहेगा। अप्रैल में शनि-गुरु के संयोग के बाद वैश्विक आर्थिक मंदी का प्रभाव और तेजी से प्रभावित करेगा। चीन से भारत सहित बहुत देशों के राजनयिक संबंध तनावपूर्ण होने लगेंगे।
जून और जुलाई के महीने में पड़ रहे तीन बड़े ग्रहण भारत चीन के संबंध को काफी प्रभावित करने वाले हैं। हिंदू नववर्ष की कुंडली के नवांश में लग्न में बैठे शनि और हानि स्थान यानी बारहवें घर में बैठे मंगल दोनों की दृष्टि युद्ध स्थान यानी सातवें घर पर है। ग्रहों की यह स्थिति अच्छी नहीं है, पड़ोसी देशों से तनावपूर्ण और युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं।
हिन्दू नववर्ष की कुंडली के अष्टम भाव में बैठे बुध और नवम भाव में बैठे सूर्य और चंद्र दोनों विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिलने का संकेत दे रहे हैं। भारत के वैज्ञानिक गंभीर रोगों की दवा तैयार करके पूरे विश्व को चकित कर सकते हैं। भारत के किसी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बड़ा सम्मान मिल सकता है। हिन्दू नववर्ष कुंडली के नवम और दशम भाव पर पड़ रहे शुक्र के प्रभाव के कारण यह वर्ष महिलाओं के लिए बहुत शानदार रहेगा। भारत की महिला खिलाड़ियों और वैज्ञानिकों के लिए यह वर्ष विशेष शुभ है। जापान में होने वाले ओलंपिक में भारत शानदार प्रदर्शन कर सकता है।