उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के आरोपों पर भड़के पूर्व CJI चंद्रचूड़, कहा-‘क्या एक पार्टी बताएगी क्या फैसला करें’
नई दिल्ली: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के हालिया आरोपों पर जवाब दिया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरा जवाब बहुत सरल है। क्या किसी एक पक्ष (पार्टी) या व्यक्ति को यह तय करना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए? क्या एक पार्टी तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला करे। क्षमा करें। यह काम मुख्य न्यायाधीश का है।
संजय राउत ने डी वाई चंद्रचूड़ पर लगाया था ये आरोप
अभी हाल के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता पर याचिकाओं पर फैसला न करके राज्य में राजनेताओं के मन से कानून का डर खत्म कर दिया। इससे राजनीतिक दलबदल के लिए दरवाजे खुले रहे और बाद में हार हुई। संजय राउत ने कहा था कि इतिहास कभी भी डी वाई चंद्रचूड़ को माफ नहीं करेगा।
संजय राउत को दिया जवाब
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में संजय राउत के आरोपों से जुड़े एक सवाल जवाब देते हुए डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस पूरे वर्ष हम मौलिक अधिकारों, नौ-न्यायाधीशों की पीठ के फैसलों, सात न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आए केसों को निपटा रहे थे। क्या एक व्यक्ति या पक्ष को यह तय करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामलों में सुनवाई करना चाहिए। यह अधिकार जज के पास होता है।
एकनाथ शिंदे की बगावत से गिर गई थी उद्धव की सरकार
बता दें कि वर्ष 2022 में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद अविभाजित शिवसेना को विभाजन का सामना करना पड़ा था। इसने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन सत्तारूढ़ एमवीए सरकार को गिरा दिया और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का गठन हुआ। इसके बाद ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के साथ पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को प्रतिद्वंद्वी गुटों की अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए कहा था। इस साल जनवरी में स्पीकर ने शिंदे गुट को ‘असली’ शिवसेना घोषित किया था।शिवसेना मामले पर निर्णय में देरी पर सेना यूबीटी के आरोप के बारे में पूछे जाने पर सीजेआई ने कहा कि आप देखिए, यही समस्या है। वास्तविक समस्या यह है कि राजनीति का एक वर्ग ऐसा महसूस करता है। हमने चुनावी बांड का फैसला किया। क्या यह कम महत्वपूर्ण था? हमने इस वर्ष संघीय ढांचे से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय दिया है, और ये सभी मामले हैं जिन पर हमने इस वर्ष निर्णय लिया है। हमने नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए की संवैधानिक वैधता पर निर्णय लिया है, जिसने कुछ लोगों को नागरिकता दी है।