यूपी की इस सीट से 6 बार से सांसद हैं बृजभूषण शरण सिंह, जानिए WFI अध्यक्ष कैसे फंसे पहलवानों के दांवपेंच में
नई दिल्ली : दिल्ली के जंतर-मंतर पर देश के कई दिग्गज पहलवानों का पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शन जारी है। यह पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। पहलवानों का आरोप है कि बृजभूषण ने कई महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बृजभूषण के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज की हैं। इस प्रदर्शन में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया जैसे कई बड़े पहलवान शामिल हैं। पिछले कई दिनों से यह मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है। जानते हैं कौन हैं बृजभूषण शरण सिंह, उसका सियासी रसूख क्या है और कैसे सियासत का महारथी पहलवानों के अखाड़े में फंसा।
यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट से हैं सांसद
बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश के गोंडा में रहने वाले दबंग नेता हैं और पूर्वांचल की राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ है। यूपी की कैसरगंज लोकसभा से वर्तमान में वह सांसद हैं और 6 बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। बृजभूषण की छवि एक कट्टर हिंदूवादी के नेता के तौर पर मानी जाती है।
बृजभूषण को किशोरावस्था से ही कुश्ती करने का शौक था और स्थानीय स्तर पर कुश्ती लड़ने जाते थे। आगे चलकर बृजभूषण ने छात्र राजनीति से अपने सियासी करियर की शुरूआत की। 1991 में राम मंदिर के आंदोलन के दौरान उन्हें भाजपा की ओर लोकसभा का टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज की।
राम मंदिर आंदोलन में थे अभियुक्त
राम मंदिर आंदोलन में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह समेत 40 लोगों को अभियु्क्त बनाया गया। जिसमें बृजभूषण शरण सिंह का नाम भी शामिल था। इस आंदोलन के बाद बृजभूषण की सियासी ताकत में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई और वह तेजतर्रार नेता बनकर उभरे। इसके बाद उन्होंने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता।
2009 में थामा सपा का दामन
2009 में बृजभूषण ने भाजपा छोड़ सपा का दामन थाम लिया और एक बार फिर अपनी सीट से जीत दर्ज की। हालांकि 2014 में वो एक फिर भाजपा में शामिल हो गए और कैसरगंज से सांसद बने। इसके बाद वह लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं।
बृजभूषण शरण सिंह 2011 कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं, 2019 में वह तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए हैं। हालांकि कुछ ही दिनों में इनका इस पद से कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
महिला पहलवानों का आरोप
विनेश ने कहा, ‘जंतर मंतर पर बैठने से तीन-चार महीने पहले, हम एक अधिकारी से मिले थे, हमने उन्हें सब कुछ बताया था कि कैसे महिला एथलीटों का यौन उत्पीड़न और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, जब कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो हम धरने पर बैठ गए।’
WFI के खिलाफ आर-पार की लड़ाई
बजरंग पूनिया ने कहा “डब्ल्यूएफआइ मनमाने ढंग से चलाया जा रहा है और जब तक डब्ल्यूएफआइ अध्यक्ष को हटाया नहीं जाता तब तक यहां बैठे खिलाड़ी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेंगे हमारी लड़ाई सरकार या भारतीय खेल प्राधिकरण से नहीं है। हम डब्ल्यूएफआइ के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। यह भारतीय कुश्ती को बचाने की लड़ाई है।”
बृजभूषण का इस्तीफा से इनकार
इस बीच, बृजभूषण ने कुश्ती संघ से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, यह कहते हुए कि इसका मतलब यह होगा कि उन्होंने आरोपों को स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने कहा, ‘अगर मैं इस्तीफा देता हूं तो इसका मतलब है कि मैंने उनके आरोप को स्वीकार कर लिया है, मेरा कार्यकाल खत्म होने वाला है। जब तक नई पार्टी नहीं बनती और सरकार आईओए कमेटी का गठन नहीं करती, तब तक उस कमेटी के तहत चुनाव होते रहेंगे और उसके बाद मेरा कार्यकाल खत्म हो जाएगा।’