बड़ा खुलासा: सोते रहे अधिकारी, गन्ना विभाग में एक करोड़ का गबन, ऐसा हुआ भंडाफोड़

मेरठ में गन्ना विकास परिषद मलियाना में करीब एक करोड़ रुपये के गबन का मामला पकड़ में आने के बाद से विभाग में हड़कंप मचा है। मामला लखनऊ तक गूंज गया है। जिला गन्ना अधिकारी की रिपोर्ट पर उप गन्ना आयुक्त ने चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। समिति एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी।

अधिकारियों के अनुसार गन्ना विकास परिषद मलियाना के खाते पीएनबी और सिंडिकेट बैंक में हैं। 13 मार्च को अकाउंटेंट नरेश शर्मा द्वारा बैंक में 13.29 लाख रुपये का चेक लगाया गया। इस चेक पर बैंक मैनेजर को शक हुआ तो वह चेक परिषद कार्यालय लेकर पहुंच गए। जिला गन्ना अधिकारी डॉ. दुष्यंत कुमार के सामने मामला आया तो वे हैरान रह गए। उन्होंने चेक की जांच की तो अकाउंटेंट द्वारा किए गए गबन की पोल खुल गई।

वहीं शुरुआती जांच में अब तक करीब एक करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आ रहा है। डीसीओ की रिपोर्ट के बाद उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्र ने एससीडीआई दौराला, गन्ना सचिव मवाना और दो अकाउंटेंट समेत चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है। इस मामले में उप गन्ना आयुक्त मेरठ परिक्षेत्र का कहना है कि अकाउंटेंट द्वारा बड़ी रकम गबन की गई है। जांच रिपोर्ट आने पर दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

किसानों की सड़कों का पैसा भी हजम

मलियाना गन्ना विकास परिषद का अकाउंटेंट नरेश शर्मा गन्ना किसानों की सड़कों का करीब एक करोड़ रुपया गटक गया। पिछले छह सालों से नरेश शर्मा इस भ्रष्टाचार को अंजाम देता रहा और गन्ना विभाग के अधिकारी सोते रहे। यहां तक कि हर साल ऑडिट करने वाले विभाग के ऑडिट सेल को भी इस मामले का पता नहीं लगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जांच में यह घोटाला एक करोड़ से भी ज्यादा का निकल सकता है।

शुगर मिलों और गन्ना किसानों के बीच गन्ना विभाग सेतु का काम करता है। किसान शुगर मिलों को अपना गन्ना सीधे आपूर्ति न करके गन्ना विभाग के अंतर्गत आने वाली गन्ना विकास समितियों के माध्यम से देते हैं। इसके लिए गन्ना समितियां किसानों को सदस्य बनाकर उनका बांड बनाती हैं। शुगर मिलें क्षेत्र में गन्ना विकास के लिए गन्ना विकास समितियों को कमीशन देती है। समिति इस कमीशन का 25 फीसदी हिस्सा गन्ना विकास परिषद को देती है। इस पैसे से परिषद गन्ना किसानों के गांवों के संपर्क मार्ग को बनवाने, उनकी मरम्मत कराने और पुलिया आदि का निर्माण कराने में खर्च करती है। गन्ना विकास के लिए मिलने वाले धन को अकाउंटेंट नरेश शर्मा पिछले छह सालों से ठिकाने लगाता रहा और विभाग सोता रहा। निरीक्षण करने वाले अधिकारियों और ऑडिटरों आदि को भी यह भ्रष्टाचार नहीं मिला।

अपने और पत्नी के खातों में डाला विभाग का रुपया 
नरेश शर्मा विभाग का पैसा आईसीआईसीआई बैंक में खोले गए अपने और पत्नी के खाते में भेजता रहा और किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये काम वह इतने शातिर अंदाज में करता था कि असली एडवाइस को फाड़कर कंप्यूटर से फर्जी एडवाइस जनरेट करके उस पर एससीडीआई के कूटचरित हस्ताक्षर करके पैसा अपने खाते में भेज देता था।