बिलासपुर। कोयले की कमी से जूझ रहे देश के बिजली संयंत्रों के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को आश्वासन दिया कि बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति में कोई संकट नहीं आएगा। जोशी ने बिलासपुर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद पत्रकारों से बात की। उनका कार्यक्रम पड़ोसी कोरबा जिले जाना का है, जहां वे कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा, दीपका और कुसमुंडा खदानों का जायजा लेने गए हैं और वे बाद में अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे।

यह पूछे जाने पर, ‘कांग्रेस कोयले की कमी का दावा कर रही है’, इसपर कोयला और खान मंत्री ने कहा, ‘मैं इस पर राजनीति नहीं करना चाहता। हम पहले से ही कुल आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आज बिजली उत्पादन के लिए 11 लाख टन कोयले की जरूरत है और हम पहले ही 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर चुके हैं। इसकी वजह से स्टाक भी चढ़ रहा है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि देश में बिजली उत्पादन के लिए आपूर्ति को पूरा करने में कोई समस्या नहीं होगी।’

जोशी ने कहा कि वह एसईसीएल की खदानों का जायजा लेने और वहां उत्पादन में तेजी लाने के लिए चर्चा करने जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक आवश्यकता का सवाल है, बिजली मंत्रालय ने 19 लाख टन (बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए) और 20 (अक्टूबर) के बाद 20 लाख टन की आपूर्ति की मांग रखी थी। आज ही हमने 20 लाख टन की आपूर्ति की है और बाकी चीजों पर मैं (खदानों की) समीक्षा के बाद चर्चा करूंगा।

बता दें कि मंगलवार को, प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कोयला आपूर्ति और बिजली उत्पादन परिदृश्य की समीक्षा की। सरकार के समक्ष कई राज्यों द्वारा ऊर्जा संकट की परेशानी सामने रखी गई है, जिसपर केंद्र सरकार कई तरीकों पर विचार कर रही है।

सूत्रों ने पहले कहा था कि कोयला मंत्रालय को कोयले की आपूर्ति में तेजी लाने के लिए कहा गया है, जबकि रेलवे को ईंधन को बिजली संयंत्रों तक पहुंचाने के लिए रेक उपलब्ध कराने को कहा गया है। कोयले की कमी – जो भारत में बिजली बनाने के लिए लगभग 70 फीसद तक काम आता है- ने राजस्थान से लेकर केरल तक राज्यों में घूर्णी बिजली कटौती को मजबूर किया है। वहीं, मांग को पूरा करने के लिए राज्यों को एक्सचेंजों से उच्च दरों पर बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा है।