नकुड़ विधानसभा: चुनावी वादो व नारो में खो गये जनहित के मुददे, 20 वर्षों का हिसाब गायब

नकुड़ विधानसभा: चुनावी वादो व नारो में खो गये जनहित के मुददे, 20 वर्षों का हिसाब गायब

नकुड [इंद्रेश त्यागी]। नकुड विधानसभा चुनाव के प्रचार के अंतिम चरण में भी जनहित व विकास के मुददे चुनावी नारो व वादो के शोर में खो गये है। जिसके चलते जनप्रतिनिधियों के लिये जनता के प्रति जवाबदेही से बचना आसान हो गया है। वर्तमान माहौल मे नेता अपने कार्यो का हिसाब देने के बजाये चुनावी वादो, जाति व मजहब के नाम पर मतो का धुर्वीकरण कर चुनाव की नैया पार लगाने की कोशिश में है।

नकुड विधानसभा क्षेत्र में विकास के नाम पर पिछले बीस वर्षो का हिसाब मांगने के बजाये मतदाता जातिवादी राजनीति में फंसकर रह गया है। मुस्लिम मतदाता जंहा भाजपा को हराने के लिये लामबंद होने का प्रयास कर रहा है वंही हिंदु मतदाता जातिगत आधार पर बंटा हुआ नजर आ रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलो के चुनावी वादो व नारो के शोर में राजनीति के धुंरधर चुनावी दांव चलकर अपनी जवाबदेही से साफ बच जाये तो आश्यचर्य नहीं होगा।

उद्यौगिक विकास की सभी संभावनाओ के बावजूद नंही बढे उद्यौग

चुनावी माहौल में पहले इस क्षेत्र के मुद्दों की चर्चा कर ले। रोजगार यंहा का सबसे बडा मुददा रहा है। हर वर्ष बेरोजगारो की बढती फौज या तो छोटी-मोटी मजदूरी करने का मजबूर होते है या फिर गैर कानूनी कार्यो मे लगकर अपना व दुसरो का जीवन यापन करने को मजबूर होते है। मोहाली मे अपना बिजनस कर रहे प्रवीण शर्मा का कहना है कि नकुड क्षेत्र में उद्योगिक विकास के सभी महत्वपूर्ण संभावनाऐं विद्यमान है। हरियाणा, हिमाचल व उत्तराखंड से सीमा लगी होने तथा शामली व मुजफ्फरनगर व दिल्ली से अच्छा सपंर्क व कम दूरी इस क्षेत्र को उद्योगिक विकास के लिये महत्वपूर्ण बनाता है। उद्यौगिक विकास के साथ ही रोजगार के अवसर बढने के साथ ही क्षेत्र की अर्थव्वस्था का भी विकास होता है। पंरतु राजनीतिक ईच्छाशक्ति की कमी व सरकारी व प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यहां उद्योगों का समुचित विकास नहीं हो पाया। यंहा पर गन्ने पर आधारित क्रेशर दर्जनो की संख्या मे मौजूद थे जो क्षेत्र के गन्ने से खांडसारी का उत्पादन कर जंहा किसान की अर्थव्यवस्था बढाने का काम करते थे साथ ही प्रदेश सरकार का राजस्व भी बढाते थे। परंतु प्रदेश सरकारो की गलत नीतियो के चलते ये सभी खांडसारी उद्यौग बंद हो गये। अब पूरे क्षेत्र मे एक भी खांडसारी प्लांट नंही है।

मुंसिफ कोर्ट की कमी

सबसे पूरानी तहसील होने के बावजूद नकुड मे मुंसिफकोर्ट न होना इस क्षेत्र का दुर्भाग्य है। एक ओर जंहा जनपद की चार मे से तीन तहसील मुख्यालयो पर सिविल कोर्ट काम कर रही है। सैंकडो वर्ष पूरानी यह तहसील आज तक मुसिफकोर्ट तक से महरूम है। लोग छोटे-छोटे मुकदमो के लिये जिलामुख्यालय के चक्कर लगाते है। कुछ वर्ष पूर्व बनी बेहेट तहसील मे भी दो वर्षो से ग्रामीण न्यायालय काम कर रहा है। परंतु नकुड तहसील इस सुविधा से वंचित है।

शिक्षा के क्षेत्र मे पिछडा

नकुड विधानसभा क्षेत्र शिक्षा के क्षेत्र मे प्रदेश के सर्वाधिक पिछडे क्षेत्रो मे से एक है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में एक भी सरकारी डिग्री कालेज नंही है। दो वर्ष पूर्व अध्याना में एक सरकारी डिग्री कालेज बनाने के काम चल रहा है। वह कब पूरा हेागा किसी को कुछ पता नंही। युवा वर्ग स्नातक शिक्षा के लिये मोटी फीस देकर निजि शिक्षण संस्थाओ मे जाने को मजबूर है।

इलाज के लिये भी जाना पडता है दुसरे प्रदेशो में

इस क्षेत्र में चिकित्सा की व्यवस्था बेहद जर्जर हाल मे है। नकुड व सरसवा व चिलकाना के सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों व चिकित्सको का अभाव है। स्पेसलिस्ट चिकित्सको की तो बात करना ही बेमानी है। सामान्य चिकित्सको के पद भी खाली है। हांलाकि पिलखनी में कुछ वर्ष पहले मेडिकल कालेज बनाया गया परंतु सुविधा के नाम पर इस मेडिकल कालेज में कुछ नहीं है। कोरोना के समय मरीजो को ठीक से इस मेडिकल कालेज में इलाज तक उपलब्ध नहीं हो पाया। यंहा चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न होने के कारण क्षेत्र मे मरीजो को दिल्ली हरियाणा उत्तराखंड व चंडिगढ तक जाना पडता है। गौरतलब है कि यंहा से स्र्वगीय रसीद मसूद केंद्र सरकार मे जंहा केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री रह चुकें है वहीं मौजुदा विधायक धर्मसिंह सैनी प्रदेश सरकार में आयुष मत्री थे। इसके बावजूद नकुड विधानसभा क्षेत्र के लोगो को चिकित्सा सुविधा के लिये भी दर-दर भटकना पडता है।

नही बना यमुना पुल से संपर्क मार्ग

हरियाणा सरकार ने तीन वर्ष पूर्व नकुड क्षेत्र से संपर्क बढाने के उददेश्य से नगंली घाट मे यमुना नदी पर पुल बनाने का काम शुरू किया था। हरियाणा में इस पुल से रादौर तक सडक बनाने का काम भी चल रहा है। उत्तर प्रदेश में नकुड तहसील मुख्यालय को जोडने के लिये पुल से नकुड तक दस किमी लंबी संपर्क सडक भी प्रस्तावित है। पंरतु तीन वर्षो में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि शासन स्तर से इसका स्टीमेट स्वीकृत नही करा पाये। जिससे इस संपर्क मार्ग का निर्माण शुरू ही नंही हो पाया। गौरतलब है कि यदि यह संपर्क मार्ग बनता है तो नकुड से करनाल, व कुरूक्षेत्र की दूरी पचास किमी कम हो जायेगी।

स्मैक के नशे की गिरफत मे जा रहा है युवा वर्ग

इस क्षेत्र में स्मेक व अवैध शराब क्षेत्र के युवा वर्ग को बरबाद करने के काम कर रही है। परंतु जनप्रतिधियो ने इस समस्या का समाधान करने के प्रति कोई रूचि नंही दिखायी। कई युवा नशे की गिरफ्त में है। जो अपने घरो केा आर्थिक रूप से खोखला कर रहे है। साथ ही चोरी व लूट जैसे अपराधो का कारण भी बन रहे है।
वर्तमान विधानसभा चुनाव मे मतदाता पूरी तरह से बिरादरी व मजहब के आधार पर बंटे नजर आते है। यही वजह है कि बीस वर्षो तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अपनी जनता के प्रति जवाबदेही से साफ बच रहे है। उनसे केाई भी विकास व जनसमस्याओ पर बात नही कर रहा है। बल्कि जनभावनाओ को उभारकर राजनेता अपना काम निकालने का पर्यत्न कर रहे है। क्षेत्र के लोग एक बार फिर उसी पुरानी स्थिति को दोहराकर पाँच वर्ष तक अपनी समस्याओ को गले लगाकर जीने के लिये तैयार है।

 

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