लॉकडाउन: सरकार ने दी तमाम सहूलियतें पर ट्रकों के किराये 80% तक बढ़े, सब्जियों की ढुलाई पर बढ़ा बोझ

लॉकडाउन: सरकार ने दी तमाम सहूलियतें पर ट्रकों के किराये 80% तक बढ़े, सब्जियों की ढुलाई पर बढ़ा बोझ
हाइलाइट्स
  • सरकार ने दी तमाम सहूलियतें तब भी ट्रकों के किराये पर लगाम नहीं
  • हर मार्ग पर ट्रकों के किराये में 80 पर्सेंट तक की बढ़ोतरी कर दी गई है
  • फलों और सब्जियों की ढुलाई पर बोझ गया है, आम आदमी की जेब पर अंतिम असर पड़ रहा है
  • ट्रकवालों का कहना है कि ट्रक किराया उन्होंने जानबूझ कर नहीं बढ़ाया है बल्कि मजबूरी है

नई दिल्ली
कोरोनावायरस की वजह से देशभर में हुए लॉकडाउन के बीच आवश्यक वस्तुओं पर ट्रक के बढ़े हुए किराये की मार पड़ गई है। इस समय ट्रकवालों ने सभी मार्गों के किराये में 80 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। पहले, किसी मार्ग पर जितने किराये में ट्रक का आना और जाना, दोनों हो जाता था, उसकी 80 फीसदी राशि अभी एक तरफ के लिए ही ली जा रही है। हालांकि इस बीच सरकार की तरफ से उन्हें तीन महीने के लिए टोल चुकाने से छूट मिल गई है, उनका परमिट भी 30 जून 2020 तक एक्सटेंड हो गया है। तब भी ट्रक वाले लॉकडाउन की दुहाई देते हुए ऐसे कर रहे हैं। बढ़े किराये का असर इन ट्रकों से ढुलने वाले सामानों पर पड़ रहा है, जिसकी भरपाई आम आदमी कर रहे हैं।

लॉकडाउन के बहाने बढ़ा किराया
परिवहन क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन का भय दिखा कर इन दिनों ट्रक वाले आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करवाने वाले व्यापारियों का कुछ ज्यादा ही दोहन कर रहे हैं। इंडियन फांउडेशन फोर ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) के सीनियर फेलो एस पी सिंह के मुताबिक अभी देश के लिए संकट का समय है। इसलिए ऐसे समय ट्रकवालों को जरूरी चीजों की ढुलाई में मदद करनी चाहिए लेकिन वे लॉकडाउन में पुलिस ज्यादती और इंटर स्टेट बॉर्डर सीलिंग का भय दिखाकर ज्यादा किराया ले रहे हैं जबकि सरकार ने आवश्यक वस्तु तो छोड़िए, अन्य वस्तुओं की ढुलाई को भी नहीं रोक रही है।

क्यों बढ़ा ट्रकों का किराया?

ट्रकवालों का कहना है कि ट्रक किराया उन्होंने जानबूझ कर नहीं बढ़ाया है बल्कि मजबूरी है। उनका कहना है कि इस समय मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियां ठप है इसलिए वापसी में लोडिंग नहीं मिलती। मजबूरी में उन्हे ट्रक खाली लाना पड़ता है। ट्रक चाहे खाली लायें या भरा हुआ, डीजल तो जलेगा ही। ड्राइवरों और हेल्पर को तो वेतन देना ही पड़ेगा।

तेजी से बढ़ा किराया
आईएफटीआरटी से मिली जानकारी के अनुसार इस लॉकडाउन से पहले दिल्ली से नासिक के बीच एक ट्रक का आने-जाने का किराया 90 हजार रुपये था। अभी एक तरफ, मतलब सिर्फ नासिक से दिल्ली से आने के लिए 80 हजार रुपये का किराया वसूला जा रहा है। इसी तरह हैदराबाद से आम और भिंडी आती है लेकिन हैदराबाद से दिल्ली आने का ट्रक का किराया एक लाख रुपये हो गया है। पहले इस रूट पर दोनों तरफ का किराया 1.10 लाख रुपये था। दिल्ली बेंगलुरू मार्ग पर पहले दोनों तरफ का किराया 1.29 लाख रुपये थो जबकि अभी एक तरफ का किराया 1.10 लाख रुपये है।

दिल्ली नागपुर मार्ग पर पहले दोनों तरफ का किराया 90 हजार रुपये था और अभी एक तरफ का 80 हजार रुपये वसूला जा रहा है। यही वजह है कि प्याज की कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट के बावजूद दिल्ली के खुदरा बाजारों यह अभी 40 से 60 रुपये किलो के बीच बिक रहा है। एपीएमसी से मिली जानकारी के मुताबिक बीते सोमवार को महाराष्ट्र में लासलगांव के पास विंचुर मंडी में एक्सपोर्ट क्वालिटी प्याज की कीमत 9 रुपये प्रति किलो थी जबकि पूअर क्वॉलिटी प्याज की कीमत 3 रुपये प्रति किलो।

सरकार से मिली तीन सहूलियत
ट्रकवालों को इस समय कम से कम तीन सहूलियतें मिली हुई हैं। पहला कि उन्हें तीन महीने तक लोन का ईएमआई नहीं चुकानी पड़ रही है क्योंकि रिजर्व बैंक के उन्हें तीन महीने का मोराटोरियम दे दिया है। दूसरा, इन दिनों राष्ट्रीय राजमार्गों पर देशभर में टोल नहीं चुकाना पड़ रहा है। इसके अलावा ट्रकों के परमिट के नवीकरण पर भी 30 जून 2020 तक मोहलत मिल गई है। परमिट मद में भी उन्हें हर महीने करीब 1500 रुपये चुकाने पड़ते हैं।

टोल भी है बड़ी लागत
एस पी सिंह का कहना है कि ट्रकवालों के लिए टोल फी भी बड़ी लागत है। उदाहरण के लिए दिल्ली में नागपुर से संतरा आता है। इस मार्ग पर ट्रक वालों को दोनों तरफ के लिए करीब 8000 रुपये का टोल चुकाना पड़ता है। दिल्ली-हैदराबाद मार्ग पर दोनों तरफ के लिए एक ट्रक को करीब 8500 रुपये का टोल चुकाना पड़ता है। दिल्ली-नासिक मार्ग पर करीब 6600 रुपये का टोल तो दिल्ली-बेंगलुरू मार्ग पर करीब 14500 रुपये का टोल देना पड़ता है।

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