स्पर्श कार्यशाला में पहले दिन बच्चों ने सीखा संतूर वादन

स्पर्श कार्यशाला में पहले दिन बच्चों ने सीखा संतूर वादन
  • सहारनपुर में स्पिक मैके की स्पर्श कार्यशाला में प्रतिभागी बच्चे।

सहरनपुर। स्पिक मैके के तत्वावधान में आयोजित स्पर्श कार्यशाला में पहले दिन कोलकाता से पधारे पं. तरूण भट्टाचार्य द्वारा बच्चों को भारतीय शास़्त्री वाद्य संतूर बजाने का प्रारम्भिक प्रशिक्षण दिया गया। स्पिक मैके की समन्वयक शैफाली मल्होत्रा ने बताया कि बच्चों में वाद्यों के प्रथम स्पर्श के लिए उत्साह दिखाई दिया और कार्यशाला में विभिन्न विद्यालयों के 60 बच्चों का चयन किया गया। बच्चों ने तरूण भट्टाचार्य से आज संतूर की रचना के बारे में तकनीकी जानकारी प्राप्त की। आज पहले ही दिन बच्चों ने शुद्ध स्वरों की पहचान कर संतूर पर अवरोह बजाया। कुछ बच्चों ने अन्य सरोद, इसराज व सितार के बारे में तरूण भट्टाचार्य से जानकारी प्राप्त की।

विद्यालय की प्रधानाचार्य बबीता मलिक ने कहा कि यह बच्चों के लिए अद्भुत कार्यशाला है जिसमें वह वाद्य बजाना सीख रहा है जिसमें उनमें शास्त्रीय संगीत के प्रति रूझान बढ़ेगा। राष्ट्रीय समन्वयक पंकज मल्होत्रा ने बताया कि अधिकतर विद्यालयों में पहले हारमोनियम एवं तबला से कम से कम प्रार्थना व राष्ट्रीय गान होता था परंतु आज आधुनिकता के नाम पर अधिकतर विद्यालय पाश्चात्य वाद्यों का चलन बढ़ा रहे हैं जिससे भारतीय संस्कृति कला की विरासत उपेक्षित हो रही है। उन्होंने बताया कि स्पिक मैके की स्पर्श कार्यशाला युवाओं को परम्परागत वाद्यों के प्रति सचेत करने में अग्रणी भूमिका निभाएगी। कार्यशाला में प्रतीक पंवार, शुभम, दीपाक्षी व सुमित का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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