बड़ा फैसला: निजी शिक्षण संस्थाओं में एससी-एसटी को निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था खत्म

बड़ा फैसला: निजी शिक्षण संस्थाओं में एससी-एसटी को निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था खत्म

अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को निजी शिक्षण संस्थानों में अब निशुल्क प्रवेश (जीरो फी) नहीं मिलेगा। प्रदेश सरकार ने शुल्क भरपाई योजना में गड़बड़ियों की शिकायतों को देखते हुए निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था खत्म करने का फैसला किया है। वहीं, सरकारी और सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में इन दोनों ही वर्गों के सभी विद्यार्थियों को निशुल्क प्रवेश मिलेगा।

नए नियम से निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने वाले इन वर्गों के 2-3 लाख विद्यार्थी प्रभावित होंगे। अब ये छात्र निजी शिक्षण संस्थानों में फीस देकर एडमिशन लेंगे। बाद में शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि सरकार उनके खातों में भेजेगी। वर्ष 2002-03 में केंद्र सरकार ने सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति व जनजाति के शत-प्रतिशत छात्रों को निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था लागू की थी। इसे यूपी में भी लागू किया गया, क्योंकि इस मद में जरूरी बजट का बड़ा हिस्सा केंद्र से ही मिलता है।

हालांकि वर्ष 2014-15 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने एससी/एसटी छात्रों के निशुल्क प्रवेश के लिए सीटों की संख्या 40 प्रतिशत निर्धारित कर दी। यानी, अपनी कुल सीट संख्या की 40 प्रतिशत तक सीटों पर एससी-एसटी छात्रों को निशुल्क प्रवेश दिया जा सकता था।

अब जीरो-फी की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। हालांकि सरकारी व सहायता प्राप्त सरकारी संस्थानों में एससी-एसटी वर्ग के सभी छात्रों को निशुल्क प्रवेश मिलेगा। भले ही यह संख्या कुल सीटों के 40 प्रतिशत से ज्यादा क्यों न हो।

सरकार को इसलिए लेना पड़ा फैसला

– शुल्क भरपाई की रकम हड़पने के लिए संस्थानों ने दिखाए फर्जी एडमिशन।

– पिछले कई वषों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें शिक्षण संस्थानों ने शुल्क भरपाई की राशि हड़पने के लिए अपने यहां एससी-एसटी के फर्जी छात्र दिखा दिए।

– इन शिक्षण संस्थानों में चल रहे कई पाठ्यक्रमों में शत-प्रतिशत सीटें एससी-एसटी छात्रों से ही भरी दिखाई गईं। व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं था।

– कई संस्थानों की जांच में 50 फीसदी तक छात्र फर्जी मिले थे। इनमें स्थानीय सरकारी अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आई।

भ्रष्टाचार रूकेगा, बढ़ेगी पारदर्शिता
मामले पर समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव मनोज सिंह का कहना है कि छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निजी शिक्षण संस्थानों में एससी-एसटी छात्रों को निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था खत्म की गई है, पर इन सभी छात्रों को बाद में नियमानुसार शुल्क की भरपाई की जाएगी।

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