अमरनाथ यात्रा के दुर्गम 6 पड़ाव पार और फिर बाबा बर्फानी का दरबार
जालंधर। अमरनाथ यात्रा हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण यात्रा मानी जाती है। देश भर से हजारों श्रद्धालु जान जोखिम में डालकर ऊंचे पहाड़ों और खतरनाक रास्तों को पार कर बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ गुफा तक पहुंचते हैं। जोखिम भरी यात्रा के दौरान उनमें गहरी आस्था और विश्वास उन्हें डगमगाने नहीं देता। भगवान शिव के जयकारे श्रद्धालुओं में एक ऐसी दैवीय ऊर्जा पैदा करते हैं, जो उन्हें बाबा बफार्नी के दरबार में नतमस्तक करती है। इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से प्रारम्भ होगी, जोकि 15 अगस्त तक चलेगी। इसी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं अमरनाथ यात्रा के बारे में जो दुर्गम रास्तों से होकर गुजरती है।
पहलगाम
श्रीनगर से यात्री अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर पहलगाम पहुंचते हैं। इस शिविर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा का पूर्ण रूप से जायजा लिया जाता है। प्रशासन और धार्मिक संस्थाएं यहां पर श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाती है और उनके रुकने का पूर्ण प्रबंध करती हैं। यहां से चंदनबाड़ी के लिए सुबह यात्रा शुरू होती है। यहां राह में बेताब घाटी आती है। बेताब फिल्म की शूटिंग यहां पर होने के कारण ही इसे बेताब घाटी कहा जाता है। यहां आपको यह भी बता दें कि पहले पहलगाम को बैलगांव कहा जाता था।
चंदनवाड़ी से शेषनाग झील
अमरनाथ यात्रा की दुर्गम यात्रा चंदनवाड़ी से शुरू होती है। खड़े पहाड़ पर टेढ़े मेढ़े सर्पीले रास्ते पर चढ़ाई चढ़ना शुरू करते हैं। इस इलाके में हरियाली कम है और पेड़-पौधे तो दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं। कठिन चढाई चढ़कर यात्री पिस्सू टॉप पहुंचते हैं। श्रद्धालु चंदनवाड़ी से यहां तक पहुंचने के लिए खच्चर का इस्तेमाल भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर देवताओं और राक्षसों के बीच हुए युद्ध में देवताओं ने राक्षसों को पीस-पीसकर उनका ढेर लगा दिया। उस ढेर को ही लोगों ने पिस्सू टॉप की संज्ञा दी।
शेषनाग झील से महागुनस दर्रा 4 किलोमीटर पैदल
पहलगांव से करीब 32 किमी की दूरी पर शेषनाग झील अमरनाथ यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह झील सर्दियों में जम जाती है। झील के चारों और ऊंची-ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं इसकी खूबसूरती पर चार चांद लगाती हैं। चांदनी रातों में जब ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं की परछाई जब झील पर पड़ती है तो उसमें फन फेलाए हुए शेषनाग की आकृति दिखाई देती है। इस दृश्य को निहारने के लिए श्रद्धालु यहां देर तक खड़े रहते हैं। इसी झील से लिद्दर नदी निकलती है, जो पहलगाम की सुंदरता की पहचान है।
महागुनस दर्रे से पंचतरणी 6 किलोमीटर पैदल
शेषनाग में रात्रि विश्राम करने के बाद श्रद्धालु महागुनस चोटी की ओर रुख करते हैं। इसे महागणेश कहे जाने वाली इस चोटी के पीछे धारणा है कि भगवान शंकर ने यहां पर गणेश जी को छोड़ दिया था। 4200 मीटर से भी अधिक ऊंची चोटी पर स्थित महागुनस दर्रे को पार कर श्रद्धालु दूसरी दुनिया में पहुंच जाते हैं।
पंचतरणी से अमरनाथ गुफा 6 किलोमीटर पैदल
महागुनस दर्रे को पार करने के बाद यात्री पंचतरणी पहुंचते हैं। यहां चारों और भयावह गलेशियर हैं। चारों ओर से कई नदियों का कोतुहल यहां मन को अद्दभुत शांति प्रदान करता है। यहां पर विश्राम करने के बाद श्रद्धालु बाबा बफार्नी की गुफा तक पहुंच कर उनके दर्शन करते हैं।
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