शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार श्रृंखला के दूसरे एपिसोड का आयोजन

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार श्रृंखला के दूसरे एपिसोड का आयोजन

गंगोह  [24CN] : शोभित यूनिवर्सिटी गंगोह एवं हरिजन सेवक संघ के सयुंक्त तत्वाधान में  10 जुलाई 2021 को सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार श्रृंखला “आधुनिक युग में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता: सतत पर्यावरण और गांधी जी”  के दूसरे एपिसोड का आयोजन किया गया। हरिजन सेवक संघ वह संगठन है जिसकी स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने १९३२ में की थी तब इसके अध्यक्ष् श्री गहन घनश्याम दास जी बिड़ला थे। यह वेबिनार प्रत्येक शनिवार को आयोजित की जाएगी। इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य आधुनिक पीढ़ी को विशेषता युवा पीढ़ी को गाँधी जी के दर्शन, उनकी विचारधारा, उनके जीवन मूल्यों, सत्य के प्रति उनकी निष्ठा से अवगत करना है।

कार्यक्रम की अध्यक्षयता करते हुए शोभित यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने कहा की शोभित यूनिवर्सिटी गंगोह और हरिजन सेवक संघ (1932 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित) द्वारा आयोजित “आधुनिक युग में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता: सतत पर्यावरण और गांधी जी पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता करना एक सम्मान की बात थी। “पृथ्वी के पास हमारी जरूरत के लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन हमारे लालच के लिए नहीं।” महात्मा गांधी जी द्वारा अक्सर उद्धृत यह वाक्यांश प्रकृति और पर्यावरण के लिए उनकी चिंता को दर्शाता है।

पर्यावरणीय स्थिरता सबसे ज्वलंत मुद्दा है जिसके साथ हम में से प्रत्येक बहुत निकट से जुड़ा हुआ है। जनसंख्या विस्फोट, बड़े पैमाने पर गरीबी, नवीकरणीय संसाधनों का अधिक उपयोग, जल प्रदूषण के लिए उर्वरकों का अति प्रयोग, तेजी से औद्योगिकीकरण, ग्लोबल वार्मिंग, रेगिस्तान का निर्माण, वनों की कटाई, वायु प्रदूषण के कारण हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन, औद्योगिक और सिंथेटिक अपशिष्ट, और परमाणु खतरे जो हैं प्रकृति में अधिक मानव निर्मित सभी हमारे ग्रह को अपूरणीय क्षति पहुंचा रहे हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षयता करते हुए शोभित यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने कहा की शोभित यूनिवर्सिटी इंडिया और हरिजन सेवक संघ (1932 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित) द्वारा आयोजित “आधुनिक युग में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता: सतत पर्यावरण और गांधी जी” पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार श्रृंखला के दूसरे एपिसोड की अध्यक्षता करना एक सम्मान की बात थी।

वेबिनार की सयुंक्त रूप से अध्यक्षता कर रहे हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष डॉ. शंकर सान्याल जी ने भी सम्बोधित किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता पूर्व संसद सदस्य, महान वयोवृद्ध गांधीवादी पदमश्री प्रो (डॉ) रामजी सिंह जी ने कहा की महात्मा गांधी की राय में, विकास की किसी भी योजना में, मनुष्य को केंद्र में होना चाहिए। गांधी सर्वोदय में विश्वास करते थे और इसलिए सभी का कल्याण उनकी सोच का आधार था; इसलिए स्थिरता के प्रति उनके समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण ने ‘मानव जीवन की बेहतरी’ और ‘सभी मानवीय जरूरतों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति सुनिश्चित करने’ पर जोर दिया। सभी प्रकार के शोषण से बचकर मनुष्य का कल्याण अंतिम लक्ष्य है, गांधी ने महसूस किया कि मानवीय गरिमा को स्थापित करने की आवश्यकता है।

रामजी सिंह (जन्म 1927, भारत) एक पूर्व संसद सदस्य और जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। वह एक प्रख्यात गांधीवादी हैं और उन पर कई पुस्तकों के लेखक हैं। वह गांधीवादी अध्ययन संस्थान, वाराणसी, भारत के निदेशक भी थे। जनवरी 2020 में उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार: सामाजिक कार्य के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनका जीवन एक गांधीवादी शिक्षाविद के साथ-साथ एक कार्यकर्ता होने का मिश्रण रहा है। सिंह ने महात्मा गांधी को 20वीं सदी का बोधिसत्व घोषित किया है।

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो (डॉ. रंजीत सिंह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. प्रशांत कुमार ने किया एवं सभी अतिथियों का धन्यवाद् ज्ञापन सोमप्रभ दुबे ने किया.

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