विधानसभा चुनाव सर पर, राजनीतिक पार्टिया नही घोषित कर पाई प्रत्याशी’

  • क्षेत्र में मुकाबला केवल भाजपा और सपा में ।
  • बसपा में नही है स्थानीय स्तर पर नेता, कांग्रेस तोड चुकी है दम

देवबंद [24CN]: विधानसभा चुनाव आने में चन्द महीने शेष है और सभी राजनीतिक दलों की बिसात भी बिछ चुकी है मगर देवबंद विधानसभा क्षेत्र में इस चुनावी माहौल में भी गर्माहट नजर नही आ रही है। सभी राजनीतिक दलों के स्थानीय नेता अभी इस उहापोह मे है कि उनकी पार्टी किसको चुनावी मैदान में उतारेगी। बहुजन समाज पार्टी मे तो नाम घोषित की सुगबुगाहट है मगर भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में कौन उम्मीदवार होगा इसका अभी तक कुछ अता पता नही है।

देवबंद विधानसभा सीट को राजपूत बहुल सीट का दर्जा आजादी के बाद से ही दिया जाता रहा है मगर गैर राजपूत भी इस सीट पर जीते है। सबसे पहले इस मिथक को मौलाना उस्मान ने विधायक बन कर तोडा था। इनके बाद मनोज चैधरी और माविया अली भी विधायक रह चुके है। जनता चुनाव के लिए तैयार है, मगर उसको ऐसे प्रत्याशी की तलाश है जो आम आदमी की कसौटी पर खरा उतरकर क्षेत्र का विकास करें।

वर्तमान विधायक सत्ता पक्ष के होने के बाद भी जनता की कसौटी पर खरे नही उतरे है और जनता हर हाल में इनसे छुटकारा चाहती है। वैसे देखा जाये तो इनमे कोई कमी नही है परन्तु यह आम आदमी में अपनी पैठ बना पाने में कामयाब नही हो पाये। आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध सभी दलों की लडाई है। जिनका मकसद केवल और केवल नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ को हराना है। विपक्ष ने कुर्सी के लिए मोदी-योगी को खलनायक सिद्ध करने के लिए एडी चोटी के जोर लगाये हुए है। कांग्रेस इस क्षेत्र में अस्तित्व वहीन है और बसपा के पास नेताओं का अभाव है।

इनके बाद समाजवादी पार्टी ही भाजपा की प्रतिद्वंदी पार्टी बचती है, जिसको इस बार सफलता मिलने का चांस बन सकता है यदि उम्मीदवार जनता के बीच काम करने वाला हो। समाजवादी पार्टी में चार चेहरे खासकर जनता के सामने आ रहे है, जो अपने आपको भावी सपा उम्मीदवार मान रहे है। सपा के टिकट की दावेदारी तो दर्जनों लोग कर रहे है मगर प्रमुख दावेदारों में स्व० राजेन्द्र राणा की धर्मपत्नी मीना राणा, इनके पुत्र कार्तिक राणा, माविया अली और शशिबाला पुंडीर है। इन दावेदारों के अतिरिक्त कई राजपूत तथा कई मुस्लिम भी लाईन में है। क्षेत्र की जनता की यदि बात की जाये तो उसका कहना है कि अखिलेश यादव को उम्मीदवार चयन करते हुए इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि जनता के बीच कौन है, कौन आम आदमी के लिए संघर्षरत रहता है तथा आम आदमी के कार्य कराता है। दूसरे सपा को मोदी योगी विरोधियों का भी खुला समर्थन मिलेगा, ऐसी स्थिति मे भाजपा और सपा में ही सीधा मुकाबला होने के प्रबल आसार बने हुए है।

इस चुनावी महासंग्राम में भरतीय जनता पार्टी को विपक्ष से कडी टक्कर मिलने वाली है। भाजपा में टिकट के लिए दर्जनों लोग लाईन में लगे हुए है और टिकट किसको होगा यह कोई नही जानता है। वर्तमान विधायक कु० ब्रिजेश सिंह को क्षेत्र की जनता का समर्थन बहुत तेजी से घटा है। नये चेहरो में क्षेत्र से राजपूत, त्यागी और गुर्जर बिरादरी के लोग प्रयासरत है। यदि भाजपा का उम्मीदवार कोई ईमानदार युवा सामने आ रहा है तो वह इस सीट को बचा सकता है। वर्तमान में क्षेत्र में यह चर्चा जोरों पर है कि गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार हो सकते है। बहरहाल अभी तक भी सपा और भाजपा का उम्मीदवार घोषित न होने से पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा है। कार्यकर्ता चाहता है कि उनकी पार्टी शीघ्र प्रत्याशी की घोषणा करे ताकि उनको चुनावी समर में जनता को पार्टी की नीतियों से अवगत कराने में किसी प्रकार की कठिनाई न हों सके।

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