शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में श्री नरेंद्र सेवा पखवाड़े के अंतर्गत ‘पंच प्रण’ “अपनी विरासत की जड़ों पर गर्व करें” पर संगोष्ठी का आयोजन

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में श्री नरेंद्र सेवा पखवाड़े के अंतर्गत ‘पंच प्रण’ “अपनी विरासत की जड़ों पर गर्व करें” पर संगोष्ठी का आयोजन

गंगोह [24CN] : दिनांक 29-09-2022 को श्री जे.पी. माथुर चैरिटेबल ट्रस्ट दिल्ली के तत्वाधान में चल रहे श्री नरेंद्र सेवा सेवा पखवाड़े के तेरहवें  दिन शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में देश के यशस्वी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा चिन्हित ‘पंच प्रण’ लक्ष्यों में “अपनी विरासत की जड़ों पर गर्व करें” पर पंचम दिवस पंचम प्रण शैक्षिक सम्मेलन संगोष्ठी कार्यशाला का आयोजन किया गया तथा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग एंड लाइफ साइंसेज विभाग द्वारा जागरूकता रैली एवं नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया, जिसकी थीम “जलवायु क्रिया” रही। श्री नरेंद्र सेवा सेवा पखवाड़े के अंतर्गत चल रहे प्रतिदिन निशुल्क चिकित्सा शिविर एवं योगाभ्यास क्रिया को विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया गया।

आज के कार्यक्रमों की शुरुआत शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह, कुलसचिव प्रो.(डॉ.) महिपाल सिंह द्वारा विश्वविद्यालय के छात्र एवं छात्राओं को पौधे वितरित कर की गई। सभी पौधे इस उद्देश्य से दिए गए है, जिससे भविष्य में इनके द्वारा सभी को फल औषधि एवं स्वच्छ वातावरण प्राप्त हो सके।

आज के कार्यक्रम को दो सत्रों में क्रियान्वित किया गया, जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में श्री पीयूष गोयल (दादरी वाला) एवं डॉ. डी.सी. अग्रवाल जी रहे। कार्यक्रम को शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह, मुख्य अतिथि एवं संस्था के केयर टेकर सूफी जहीर अख्तर द्वारा मां सरस्वती एवं बाबू विजेंद्र जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर आरम्भ किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) प्रशांत कुमार ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया।

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह द्वारा मुख्य अतिथि श्री पीयूष गोयल (दादरी वाला) एवं डॉ. डी.सी. अग्रवाल जी को रूद्राक्ष का पौधा एवं शॉल भेंट कर उनका स्वागत किया गया।

प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि श्री पीयूष गोयल (दादरी वाला) जी ने सभागार में उपस्थित सभी छात्र एवं छात्राओं से योग, कर्त्तव्य, आत्मविश्वास एवं दूरदर्शिता पर चर्चा करते हुए अपने उध्बोधन में कहा कि भारत ने संसार को शून्य के आविष्कार से विश्व को अभिभूत किया है जिसके बिना किसी गणना कि कल्पना भी नहीं किया जा सकता है । शून्य के अतिरिक्त अन्य गणितीय संकल्पना पाई को भारत ने ही विश्व को दिया है। इन सबसे हमें यह शिक्षा मिलती है कि सभी कार्य संभव है यदि उनको दृढ़ता के साथ किया जाये। संसार में प्राणी को माता-पिता एवं गुरु का सम्मान करना चाहिए जिससे वह सभी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। तत्पचात मुख्य अतिथि श्री पीयूष गोयल (दादरी वाला) जी द्वारा किये गए कार्यों को एक प्रदर्शनी के माध्यम से छात्रों को उनके कार्यो से अवगत कराया।

द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. डी. सी. अग्रवाल जी ने सभागार में उपस्थित सभी छात्र एवं छात्राओं को अपनी विरासत पर विचार रखते हुए कहा कि आज की इस चर्चा में, मै आप सभी को अपने अनुभव को साझा करूँगा, जिससे मैंने ये पाया की हम सभी को विरासत को जानना, समझना एवं उसका संरक्षण करना जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विरासत एक भावात्मक, स्थूल, संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्र की ध्वनि आदि हो सकती है। विरासत में संघर्ष, समन्वय व नवीनता का सर समाहित होता है। वर्तमान समय में सभी छात्र एवं छात्राओं को अपने आस-पास की विरासत को जानना चाहिए जिससे वह नए नए शोध में इनका प्रयोग कर सकें।

इस अवसर पर शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह ने कार्यक्रम के आयोजकों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम के अंत में यूटीडीसी डायरेक्टर प्रो.(डॉ.) श्रीकांत गुप्ता ने मुख्य अतिथि श्री पीयूष गोयल (दादरी वाला) एवं डॉ. डी.सी. अग्रवाल जी एवं सभा में उपस्थित सभी सम्मानित अतिथिगणों का धन्यवाद प्रेषित किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

इस अवसर पर डीन रिसर्च प्रो.(डॉ.) राजीव दत्ता, डॉ. गरिमा, डॉ. रिषभ, डॉ. विनय, राजीव उपाध्याय, सरिता, अंकुर, डिप्सी, पारुल आदि शिक्षकगण उपस्थित रहे।

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