नेपाल भड़क तो गया लेकिन सच में उसके भारत के साथ रिश्तों की मजबूत कड़ी हैं गौतम बुद्ध

नेपाल भड़क तो गया लेकिन सच में उसके भारत के साथ रिश्तों की मजबूत कड़ी हैं गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध।

नई दिल्ली
नेपाल की सत्ता में बैठी केपी शर्मा ओली सरकार मौका मिलते ही भारत के साथ उलझने की कोशिश में रहती है। पहले उत्तर प्रदेश में भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या को नकली बताकर विवाद खड़ा किया और अब उसने बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध पर बखेड़ा खड़ा कर दिया। यह सच है कि महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में ही हुआ लेकिन जब उन्होंने अपना सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया तो उनका ‘आध्यात्मिक अवतार’ भारत में ही हुआ। खैर, बुद्ध के बारे में जानने से पहले यह जान लेते हैं कि ताजा विवाद कैसे शुरू हुआ…

बुद्ध पर विदेश मंत्री जयशंकर का बयान
भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के इंडिया @75 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि महात्मा गांधी और भगवान बुद्ध, दो ऐसे भारतीय महापुरुष हैं जिन्हें दुनिया हमेशा याद रखती है। उन्होंने कहा कि अब तक के सबसे महान भारतीय कौन हैं जिन्हें आप याद रख सकते हैं? मैं कहूंगा कि एक गौतम बुद्ध हैं और दूसरे महात्मा गांधी। इसी बयान पर नेपाल ने आपत्ति जताते हुए आधिकारिक विरोध दर्ज करवाया।

नेपाल ने क्या कहा?
जयशंकर के बयान को नेपाली मीडिया में खबरें आईं और कहा गया कि भारतीय विदेश मंत्री ने बुद्ध को भारतीय बताया। नेपाली विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि बुद्ध नेपाली थे, न कि भारतीय। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों से यह साबित हुआ है कि गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ‘यह सु-स्थापित और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर साबित अकाट्य तथ्य है कि बुद्ध का जन्म लुंबिनी, नेपाल में हुआ था।’ नेपाल विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि बुद्ध की जन्मस्थली और बौद्ध धर्म की स्थापना से जुड़े स्थानों में से एक लुम्बिनी, यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में से एक है।

भारत ने दिया आश्वासन
इस पर भारत ने गौतम बुद्ध की जन्मस्थली को लेकर उत्पन्न विवाद को खारिज करते हुए कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की उन पर टिप्पणी ‘हमारी साझा बौद्ध विरासत’ के बारे में थी और इसमें कोई संदेह नहीं है कि बौद्ध धर्म के संस्थापक का जन्म लुंबिनी में हुआ था जो नेपाल में है। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने रविवार को कहा कि शनिवार को एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री की टिप्पणी ‘हमारी साझा बौद्ध विरासत के बारे में थी।’ उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था, जो नेपाल में है।’

नेपाल-भारत के बीच मजबूत डोर हैं बुद्ध
नेपाल भले ही भड़क रहा हो लेकिन हकीकत यही है कि बुद्ध नेपाल और भारत के रिश्तों में एक मजबूत डोर की तरह रहे हैं। बुद्धा का जन्म जरूर लुंबिनी में हुआ, लेकिन उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति के लिए भारत का रुख किया और इस मकसद में उन्हें यहीं कामयाबी भी मिली। 563 ईस्वी पूर्व बैशाख पूर्णिमा के दिन कपिलवस्तु के पास लुंबिनी गांव में पैदा हुए बुद्ध ने सांसारिक दुखों को देखकर 29 वर्ष की अवस्था में घर त्याग कर दिया। वो ज्ञान की खोज में निकल पड़े।

जीवन-मृत्यु के कालचक्र से इतर वो यह संसार के दुखों के कारण और उनके निवारण का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। बुद्ध बिहार के गया आए और वहां पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। वह बैसाख पूर्णिमा की ही दिन था। 35 वर्ष की अवस्था में ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने सांसारिक मोह-माया से इतर आध्यात्मिक जीवन दर्शन की शिक्षा दी। उनके अनुयायी आज पूरी दुनिया में हैं। बुद्ध को जहां ज्ञान की प्राप्ति हुई आज उसे बौद्ध गया के नाम से जानते हैं। बिहार के बौद्ध गया दुनियाभर के बौद्ध अनुयायियों के लिए पवित्र स्थान है।

पीएम मोदी भी करते रहते हैं बुद्ध का जिक्र
महात्मा बुद्ध और उनकी शिक्षाओं को भारत में क्या स्थान दिया जाता रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में बुद्ध का जिक्र करते रहते हैं। पीएम मोदी ने 2014 में नेपाल यात्रा के दौरान नेपाली संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि नेपाल वह देश है जहां विश्व में शांति का उद्घोष हुआ और बुद्ध का जन्म हुआ। बावजूद इसके नेपाल महात्मा बुद्ध पर रार करने से बाज नहीं आया।

नेपाली पीएम ने अयोध्या पर दिया था बेतुका बयान
दरअसल, नेपाल की सरकार अभी चीन के इशारे पर भारत से विवाद के मौके ढूंढती रहती है। यही वजह है कि नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भगवान राम की अयोध्या को नेपाल के बीरगंज के पास होने तक का दावा किया था। जुलाई के दूसरे हफ्ते में उन्होंने कहा था कि भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है जबकि असली अयोध्या नेपाल में है। ओली ने सवाल किया कि उस समय आधुनिक परिवहन के साधन और मोबाइल फोन (संचार) नहीं था तो राम जनकपुर तक कैसे आए? उन्होंने कहा कि हमने भारतीय राजकुमार राम को सीता दी थी, लेकिन भारत में स्थित अयोध्या के राजकुमार को नहीं बल्कि नेपाल के अयोध्या के राजकुमार को दी थी। अयोध्या एक गांव हैं जो बीरगंज के थोड़ा पश्चिम में स्थित है। भारत में बनाया गया अयोध्या वास्तविक नहीं है।

घर में ही हुई फजीहत
नेपाली विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि पीएम ओली का किसी की आस्था को चोट पहुंचाना नहीं था। नेपाली विदेश मंत्रालय ने ओली के बयान पर लीपापोती करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री की टिप्पणी किसी राजनीतिक विषय से जुड़ी नहीं है। उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था और न ही अयोध्या के सांकेतिक महत्व और सांस्कृतिक मूल्य का अपमान करना था।’

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