भारत द्वारा रूस के खिलाफ सुरक्षा परिषद में वोटिंग नहीं करने से अमेरिका हुआ बैचेन!

भारत द्वारा रूस के खिलाफ सुरक्षा परिषद में वोटिंग नहीं करने से अमेरिका हुआ बैचेन!
अमेरिकी राजनयिक डॉलन्ड लु।

नई दिल्ली [दिग्विजय]: रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पर दो बार वोटिंग हो चुकी है, लेकिन भारत ने मतदान में भाग नहीं लेकर गुटनिरपेक्षता की नीति बनाए रखी। हालांकि, अमेरिका को भारत की तटस्थता रास नहीं आ रही।

अमेरिकी राजनीतिज्ञों, कूटनीतिज्ञों एवं बड़े-बड़े थिंक टैंक्स के बीच इस बात की माथापच्ची चल रही है कि अब भारत के साथ रिश्तों को कौन सी दिशा दी जाए। बाइडेन प्रशासन पर इस बात का दबाव बढ़ गया है कि वह रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए भारत पर पाबंदियां लगाए। अमेरिकी राजनयिक डॉनल्ड लु ने कहा कि अमेरिका के विरोधियों का पाबंदियों के जरिए मुकाबला करने के कानून (CAATSA) के तहत भारत के खिलाफ पाबंदियों पर विचार किया जा रहा है।

वास्तव में, रूस के खिलाफ सुरक्षा परिषद में लाए प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत के दूरी बनाए रहने से अमेरिका तिलमिला उठा है। अमेरिकी संसद में पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने एक सुर में भारत के उन 35 देशों में शामिल होने पर आपत्ति जताई जिन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन, सभी भारत को खरा-खोटा बोल रहे हैं। संसद की बहस में भाग लेते हुए भारत-अमेरिका रक्षा सुरक्षा सहयोग का जिक्र बार-बार किया जा रहा है। अमेरिकी सांसद संसद में यह यह जानने का प्रयास कर रहे है कि रूस पर भारत का रुख के बाद क्या उस पर एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस से खरीदने के लिए काटसा के तहत पाबंदिया लगाई जाएंगी?

अमेरिकी डिप्लोमेट लु ने कहा कि बाइडेन प्रशासन पर दबाव तो बढ़ गया है, लेकिन उसने अभी पाबंदियों को लेकर आखिरी फैसला नहीं लिया है। उन्होंने कहा, मैं बस यही कह सकता हूं कि भारत हमारा अब महत्वपूर्ण सुरक्षा साझेदार है और हम इस साझेदारी के साथ आगे बढ़ने को महत्व देते हैं। दरअसल, बाइडेन प्रशासन की मुश्किल यह है कि चीन से संतुलन साधने की दृष्टि से भारत से बड़ा क्षेत्रीय ताकत नहीं है। इस कारण, उसने काटसा के तहत पाबंदियों पर फैसला टालता रहा है।

भारत 2016 से ही रूस के सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बना हुआ है। लु ने अमेरिकी संसद की समिति को बताया है कि भारत ने हाल ही में रूसी मिग-29 विमानों, हेलिकॉप्टरों और एंटी-टैंक हथियारों की खरीद रद्द कर दी है। अगर नए सिरे से पाबंदियां लगाई गईं तो दूसरे देश भी भारत की राह पर बढ़ेंगे। उन्होंने सांसदों से कहा कि रूस अब हथियारों की नई बिक्री और पुराने ग्राहकों को मेंटनेंस सर्विस देने में शायद ही सक्षम हो पाएगा। उन्होंने कहा, ‘मेरे विचार में आने वाले महीनों और वर्षों में मॉस्को से हथियार खरीदना हर किसी के लिए बहुत कठिन हो गया है क्योंकि अमेरिका ने रूस पर कड़े वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए हैं। मुझे लगता है कि भारत भी इससे चिंतित है।’

ध्यान रहे कि रूस के खिलाफ बुधवार को सुरक्षा परिषद में लाए गए निंदा प्रस्ताव के पक्ष में 141 देशों ने मतदान किया जबकि विरोध में पांच मत पड़े। वहीं, कुल 35 देशों ने तटस्थ रहते हुए वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया जिसमें भारत भी शामिल है। भारत ने यह कदम इसलिए भी उठाया क्योंकि अतीत उसे इसके लिए मजबूर कर रहा है। सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ आए प्रस्तावों पर रूस ने छह बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया था जबकि अमेरिका ने हर बार भारत का विरोध किया। अब भारत के वोटिंग से दूरी बनाने मात्र से अमेरिका बिलबिला उठा है।

 

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