भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर योगी सरकार का चाबुक…दो आइपीएस व 17 पीपीएस को किया जाएगा जबरन रिटायर

भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर योगी सरकार का चाबुक…दो आइपीएस व 17 पीपीएस को किया जाएगा जबरन रिटायर

लखनऊ। दागी व कामचोर पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के बाद अब पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी है। डीजीपी मुख्यालय ने 50 वर्ष आयु से अधिक के दो आइपीएस व 17 पीपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाकारा पुलिसकर्मियों को सेवा से बाहर का रास्ता दिखाने का निर्देश दिया था। पुलिस विभाग में हर जोन स्तर पर स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर पुलिसकर्मियों को चिह्नित किया गया। डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि 50 वर्ष से अधिक आयु के 40528 पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग कराई गई। इस वर्ष अब तक 353 अराजपत्रित पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। बरेली जोन में सबसे अधिक 57, गोरखपुर जोन में 53, लखनऊ जोन में 52, वाराणसी में 47, कानपुर में 39 व मेरठ जोन में 34 पुलिसकर्मियों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई। पीएसी के 13 कर्मियों को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई।

इसी प्रकार अब पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी है। 19 राजपत्रित अधिकारियों की सूची शासन को भेजकर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की सिफारिश की गई है। उल्लेखनीय है कि कई पुलिसकर्मी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की मांग पर अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश दिया है। आरटीआइ एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बीते दिनों राज्यपाल को दिये शिकायती पत्र में आरोप लगाया था कि आइजी सिविल डिफेंस अमिताभ ठाकुर कोर्ट व आरटीआइ के मामलों में बिना अवकाश लिये ड्यूटी के समय उपस्थित होकर उच्च पद व सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करते रहे हैं।

उर्वशी का कहना है कि वर्ष 2012 से अब तक अलग-अलग कोर्ट में करीब 45 निजी आपराधिक मुकदमें दायर किए हैं। उप्र राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट के अनुसार अमिताभ ने वर्ष 2016 से अब तक अपने मोबाइल नंबर से निजी आरटीआइ के 368 सूचनाएं तथा अपने व पत्नी नूतन ठाकुर के नाम से 221 सूचनाएं मांगी हैं। अमिताभ ठाकुर का कहना है कि कोर्ट में वाद दायर करना व आरटीआइ के तहत सूचनाएं मांगना प्रशासनिक अनाचार की श्रेणी में नहीं आता है।

पुलिसकर्मियों के भ्रष्टाचार पर अंकुश को विजिलेंस कमेटी

पुलिसकर्मियों के भ्रष्टाचार की बढ़ती शिकायतों पर डीजीपी ओपी सिंह ने आंतरिक विजिलेंस कमेटी का गठन किया है। कमेटी पुलिसकर्मियों पर लगने वाले वसूले के आरोपों की जांच कराकर कार्रवाई सुनिश्चित कराएगी। एडीजी लोक शिकायत की अध्यक्ष्ता में गठित कमेटी यूपी 100 पर आने वाली पुलिसकर्मियों की शिकायतों की भी मानीटरिंग करेगी। उल्लेखनीय है कि यूपी 100 में प्राप्त होने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों को अब सीधे डीजीपी कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। कमेटी देखेगी कि यूपी 100 में किन क्षेत्र के पुलिसकर्मियों की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। थानों व यूपी 100 के वाहनों पर तैनात पुलिसकर्मियों की शिकायतें किस-किस प्रकार की हैं। भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कमेटी गोपनीय जांच कराएगी। डीजीपी ने कहा कि भ्रष्टाचार की शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। भ्रष्टाचार निवारण संगठन की कार्रवाई में भी तेजी लाई गई है। वर्ष 2018 में संगठन ने भ्रष्टाचार की 80 शिकायतों पर कार्रवाई की थी। इस वर्ष अब तक 72 शिकायतों में सफल ट्रैप हुए हैं। इनमें नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। आंतरिक विजिलेंस कमेटी के जरिये पुलिसकर्मियों के खिलाफ आने वाली शिकायतों में कई स्तर पर कार्रवाई की जाएगी।

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