मुजफ्फरनगर: किसानों का 12 अरब रुपये से अधिक बकाया दबाकर बंद हुईं चीनी मिलें, केवल 62 प्रतिशत भुगतान

मुजफ्फरनगर जनपद की आठ चीनी मिलों पर किसानों का 12 अरब रुपये से अधिक बकाया है। जिले की चीनी मिलों में किसानों ने इस वर्ष 33 अरब 66 करोड़ 80 लाख 71 हजार का गन्ना डाला है। चीनी मिलें अब तक 20 अरब 79 करोड़ 98 लाख का भुगतान कर चुकी है। किसानों का चीनी मिलों पर 12 अरब 76 करोड़ 92 लाख 65 हजार बकाया है।

जिले की चीनी मिलों ने इस सत्र का गन्ना किसानों का लगभग 62 प्रतिशत भुगतान किया है। 38 प्रतिशत भुगतान मिलों पर बकाया है। इस बार जिले में खतौली चीनी मिल ने सबसे ज्यादा सात अरब 69 करोड़ 69 लाख 60 हजार रुपये का गन्ना खरीदा।
मिल किसानों का 66 प्रतिशत से अधिक भुगतान कर चुकी है। मिल किसानों के खातों में पांच अरब छह करोड़ 86 लाख रुपये डाल चुकी है। गन्ना खरीद में जिले में दूसरे नंबर पर रही टिकौला चीनी मिल पांच अरब 69 करोड़ में से चार अरब 44 करोड़ यानि 78 प्रतिशत भुगतान कर चुकी है। तीसरे नंबर पर गन्ना खरीद करने वाली चीनी मिल तितावी ने किसानों का 56 प्रतिशत भुगतान किया है।

मिल ने पांच अरब 57 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा और तीन अरब 11 करोड़ रुपये का भुगतान किया। पेराई में चौथे नंबर पर रही मंसूरपुर मिल ने किसानों का 70 प्रतिशत भुगतान किया है। चार अरब 99 करोड़ रुपये के मुकाबले तीन अरब 42 करोड़ रुपये किसानों को दिए हैं।

पेराई में पांचवें नंबर पर रही भैसाना चीनी मिल ने किसानों से चार अरब 75 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा। मिल ने सबसे कम एक अरब 56 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस मिल का भुगतान केवल 30 प्रतिशत ही किया है। खाईखेड़ी मिल का भुगतान 59 प्रतिशत, रोहाना का 62 प्रतिशत और मोरना का 72 प्रतिशत हो गया है।

चीनी मिल            बकाया
खतौली               260 करोड़
तितावी               242 करोड़
भैसाना               333 करोड़
मंसूरपुर               137 करोड़
टिकौला              124 करोड़
खाईखेड़ी             90 करोड़
रोहाना                41 करोड़
मोरना                      45 करोड़

निरंतर जारी है भुगतान : डीसीओ
मुजफ्फरनगर जिला गन्ना अधिकारी आरडी द्विवेदी का कहना है कि चीनी मिलें किसानों का भुगतान लगातार कर रही है। सत्र के दौरान पहली बार दो हजार करोड़ से ऊपर का भुगतान हुआ है। 62 प्रतिशत भुगतान चीनी मिलें कर चुकी हैं। भुगतान की प्रक्रिया निरंतर जारी है। प्रशासन का दबाव है कि जल्द से जल्द भुगतान किया जाए। भुगतान में तेजी लाई जाएगी।

 

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