सेकुलरिज्म पर विवादित टिप्पणी: तमिलनाडु के राज्यपाल पर भड़की कांग्रेस, बर्खास्तगी की मांग
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने धर्मनिरपेक्षता (सेकुलरिज्म) पर विवादित बयान देकर एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने सेकुलरिज्म को यूरोप का विचार बताया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए राज्यपाल को उनके पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यपाल आर.एन. रवि वही बातें बोल रहे हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और एजेंडा का हिस्सा हैं।
कांग्रेस का कड़ा विरोध
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने राज्यपाल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह व्यक्ति, जिसने संविधान की शपथ ली है, आज तक संवैधानिक पद पर बना हुआ है। उसे तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। यह बयान अपमानजनक और अस्वीकार्य है।” रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल का यह बयान कोई पहला विवादित बयान नहीं है, बल्कि वह मोदी सरकार की नीति के अनुसार काम कर रहे हैं।
राज्यपाल का बयान: “सेकुलरिज्म भारतीय अवधारणा नहीं”
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने रविवार को कन्याकुमारी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सेकुलरिज्म भारत का विचार नहीं है, बल्कि यह यूरोप से आया एक कॉन्सेप्ट है। उन्होंने कहा कि यूरोप में चर्च और किंग के बीच लंबे संघर्ष के बाद धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा का जन्म हुआ। यह विचार भारत से मेल नहीं खाता क्योंकि भारत एक धर्म-केंद्रित राष्ट्र है। राज्यपाल ने दावा किया कि संविधान में सेकुलरिज्म को आपातकाल के दौरान एक असुरक्षित प्रधानमंत्री द्वारा जोड़ा गया था।
इंदिरा गांधी पर निशाना
राज्यपाल ने अपने बयान में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी आलोचना की और उन्हें “असुरक्षित प्रधानमंत्री” करार दिया। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान संविधान में सेकुलरिज्म को जोड़ने का फैसला राजनीतिक लाभ के लिए किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि भारत का संविधान धर्म के साथ सामंजस्य बिठाने की बात करता है, न कि उससे अलग होने की।
इस बयान के बाद कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने राज्यपाल पर जमकर हमला बोला है, और उनकी बर्खास्तगी की मांग तेज हो गई है।