कोविड़-19 के पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव विषय पर वेबिनार का आयोजन

कोविड़-19 के पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव विषय पर वेबिनार का आयोजन
  • जल पुरूष डा. राजेन्द्र सिंह ने की शिरकत

गंगोह: शोभित विश्वविद्यालय द्वारा “कोविड़-19 के हमारें पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरूष डा. राजेन्द्र सिंह ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कुवर शेखर विजेन्द्र जी ने की। जल पुरूष के नाम से प्रसिद्ध “राजेन्द्र सिंह” का जन्म 6 अगस्त 1959 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के डौला गाव में हुआ था। राजेन्द्र सिंह भारत के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता है। वह जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रसिद्ध है। उन्होनें तरूण भारत संघ (गैर-सरकारी संगठन) के नाम से एक संस्था बनाई है। राजेन्द्र सिंह को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके योगदान के लिए पुरस्कृत भी किया जा चुका है। उन्हे सामुदायिक नेतृत्व के लिए वर्ष 2011 में रेमन मैगसेसे पुरस्कार दिया गया था। वर्ष 2015 में उन्होने स्टाक होम जल पुरस्कार जीता, यह पुरस्कार “पानी के लिए नोबेल पुरस्कार” के रूप् में जाना जाता है। राजेन्द्र सिंह के जीवन यात्रा पर जीवनी भी लिखी गयी है, जो ‘जोहड़‘ के नाम से है। इतना ही नही युवा फिल्म निर्माता निर्देशक रवीन्द्र चौहान राजेन्द्र सिंह के जीवन एवं समर्पित जल संरक्षण के प्रयासों की संघर्षगाथा को दस्तावेजी फिल्म “जल पुरूष की कहानी” नामक फिल्म का निर्माण भी कर रहे है।

कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं के रूप में शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो (डा.) डी0 के0 कौशिक, शोभित विश्वविद्यालय मेंरठ के कुलपति प्रो0 (डा.) ए0 पी0 गर्ग, प्रतिकुलपति प्रो0 (डा.) रणजीत सिंह, नार्थ कैरोलिना यु0एस0ए0 से एसोसिएट प्रो0 (डा.) रजत पंवार उपस्थित रहे।

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डा. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि कोविड़-19 के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हैं जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर पडे़ है। उन्होने आगे कहा कि बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है कि कोविड़-19 के पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव भी है। उन्होनें शोभित विश्वविद्यालय की प्रंशसा एवं अभिनन्दन किया कि विश्वविद्यालय ने इस तरह की पहल को अंजाम दिया। उन्होने आगे कहा कि जिस देश में कोविड़-19 नामक वायरस को जैविक हथियार के रूप में विकसित किया जिससे कि समस्त विश्व के लिए एक हथियार के रूप में उपयोग में लाया जा सके। उस जैविक हथियार ने सर्वप्रथम उसी देश को अपना शिकार बनाया।

डा. सिंह ने पंचतत्वों पर बोलते हुए कहा कि पांचो तत्वों में भगवान का वास है। आदि सनातन में ही भारतीय आस्था एवं पर्यावरण की रक्षा छिपी हुई है। यह महामारी हमें एक सीख देती है कि प्रकृति में वही रह पायेगा, जो प्रकृति प्रदत्त संसाधनों एवं सिद्धान्तों के अनुकूल रहेगा। उन्होनें कहा कि यह समय की विडम्बना ही है कि एक समय जो भारत समस्त विश्व के लिए विश्व गुरू था, वही आज दूसरों से सीख रहा है। आधुनिक भारत में संयुक्त परिवार की अवधारणा को समाप्त कर दिया है। परिणमस्वरूप बच्चों को परिवार के बुजुर्गों के साथ जीवन जीने का अवसर नही मिलता है, और वे बहुत ही उपयोगी एवं संस्कारवान शिक्षा से वंचित रह जाते है।

अब आधुनिक युग में हम प्रकृति का सम्मान नही करते है। इसी कारण कोरोना जैसी महामारी का इतना विस्तार हुआ। यदि हम आगे भी नही संभले और प्रकृति से अपना रिश्ता तोड़ लेंगे तो प्रकृति के साथ सांमजस्य स्थापित नही हो पायेगा और भविष्य में भी इस तरह की महामारिया फैलेंगी। हमे हमारे ही निहित स्वार्थ एवं लालच ने आज हमें इस अवस्था में पहुचाया है। आज अनेक प्राकृतिक आपदाओं की संभावना एवं खतरा पूर्व से कही अधिक बढ गया है। उनके अनुसार यदि एक मजबूत एवं खुशहाल भारत बनाना है तो हमें नेचुरल रूरल इकोनोमी को सुदृढ बनाना होगा। अंत में उन्होने कहा कि अगर हम अपने गाव को स्वावलंबी बनाना है तो हमें गाँव की पानी, गाँव की जवानी और गाँव की किसानी को ठीक करना होगा। क्योकि हमारी प्रकृति के अन्दर लोगों की आवश्यकाताओं को पूरा करने की क्षमता है किन्तु लोगों के निहित स्वार्थ की पूर्ती करना उसकी क्षमता से बाहर है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कॅुवर शेखर विजेन्द्र जी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो समाज के कल्याण के लिए चिंता करता है एवं कार्य करता है, वह समाज का सन्यासी ही होता है। कुलाधिपति महोदय ने डा. राजेन्द्र सिंह जी के सुझाव को मानते हुए शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में प्रकृति के पोषण के लिए अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने की घोषणा की जिसके मानद अध्यक्ष जलपुरूश डा. राजेन्द्र सिंह ही होंगें।
शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो0 (डा.) डी0 के0 कौशिक ने कहा कि कोविड़-19 के चलते दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर घटा है, लेकिन अब इस स्तर को ही कैसे आगे भी मंेन्टेन किया जाये इस पर उन्होनें अपनी चिंता व्यक्त की और विचार भी व्यक्त किये।

वेबिनार में शोभित विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रो0 ए0 पी0 गर्ग ने कहा कि हमें राइट आफ नेचर के बारें में बात करनी चाहिए। जिससे स्वस्थ वायु, जल, मिट्टी, प्रकाश आदि मिल सके।

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के प्रतिकुलपति प्रो0 (डा.) रणजीत सिंह ने डा. राजेन्द्र सिंह से पूछा कि एक समाज का जागरूक नागरिक होने के नाते भी और एक विश्वविद्यालय के रूप में भी हमें ऐसे कौन से कदम उठाने चाहिए अथवा पहल करनी चाहिए जिससे कि पर्यावरण एवं प्रकृति को अधिक सुन्दर और स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाया जा सके। प्रतिकुलपति के प्रश्न का उत्तर देते हुए डा. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि आज देश में कोई भी विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक संस्थान ने प्रकृति के पोषण एवं संरक्षण पर कोई भी पाठ्यक्रम नही कराते है। इस सम्बन्ध में विश्वविद्यालयों की बडी अग्रणी भूमिका हो सकती है यदि वे प्रकृति के पोषण एवं संरक्षण से सम्बन्धित पाठ्यक्रम शुरू कराते है।

वेबिनार को डा. एस0 के0 गुप्ता ने माडरेट किया। कार्यक्रम में अन्य छात्र-छात्राएं, शिक्षक, पर्यावरणविद आदि लोगो ने डिजिटल माध्यमों से कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

 

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