मौलाना मदनी बोले- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुसलमानों को मिली राहत, ये है मामला

कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों को दफनाने के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुसलमानों ने राहत की सांस ली है।

जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि कोरोना से मरने वालों के शवों को पहले बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बी.एम.सी) ने जलाने को कहा था। लेकिन विरोध के बाद उसने अपने आदेश में परिवर्तन कर लिया था। मौलाना मदनी ने कहा कि जो भी आसमानी धर्म हैं उनके यहां मसला यह है कि अपने मृतक को दफन किया जाए, क्योंकि अल्लाह ने जमीन को ऐसी ताकत दी है कि हर चीज को नष्ट कर देती है।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां कब्र इस प्रकार से बनाने का आदेश दिया गया है कि मृतक के अंदर दफन करने के बाद जो परिवर्तन आते हैं वह बाहर न आ सकें। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कोरोना से मरने वालों की तदफीन डब्ल्यूएचओ व अन्य स्वास्थ्य संगठनों की गाइडलाइन के मुताबिक ही की जा रही है। इसलिए इस पर विवाद खड़ा करना दुरुस्त नहीं है।

बता दें कि मुंबई के उपनगर बांद्रा निवासी प्रदीप गांधी ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों को दफनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उसका कहना था कि कब्रिस्तानों में शवों को दफनाने से क्षेत्र में कोरोना वायरस के फैलने का खतरा है। याचिका को लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद महाराष्ट्र व बांद्रा सुन्नी कब्रिस्तान ने कोर्ट में इसका विरोध किया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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