देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत के बावजूद भाजपा विधायक दल के नेता को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। इसी क्रम में भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए दिल्‍ली में आज भाजपा की अहम बैठक हो रही है।

ये नेता पहुंचे दिल्‍ली

केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार रात को दिल्ली पहुंचे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक भी दिल्ली गए हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व सतपाल महाराज पहले से ही दिल्ली में मौजूद हैं।

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गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर हो रही बैठक 

ये चारों नेता रविवार को केंद्रीय नेताओं के साथ होने वाली बैठक में हिस्‍सा ले रहे हैं। यह बैठक गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर हो रही है।

मंगलवार को बुलाई जा सकती है विधायक दल की बैठक 

वहीं पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों का पहले आज देहरादून पहुंचने का कार्यक्रम था, लेकिन यह टल गया है। समझा जा रहा है कि अब पर्यवेक्षक सोमवार को पहुंचेंगे या फिर मंगलवार को भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई जा सकती है।

केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री के चेहरा तय करेगा : धामी 

वहीं दिल्‍ली में मीडिया से बात करते हुए पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड की जनता ने एक मिथक तोड़ा है और लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनाई है। सरकार गठन की प्रक्रिया चल रही है। केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री के चेहरा तय करेगा।

नवनिर्वाचित विधायकों को संस्कृत में शपथ लेने की दी सलाह

वहीं उत्‍तराखंड में संस्कृत निदेशालय ने प्रदेश के नवनिर्वाचित विधायकों को सलाह दी है कि वह संस्कृत में शपथ लेते हैं तो इससे संस्कृत के प्रचार को बल मिलेगा।

संस्कृत शिक्षा निदेशक एसपी खाली ने विभाग की ओर से विधायक व मंत्री के संस्कृत में शपथ ग्रहण का प्रारूप भी तैयार किया है। जिसपर संस्कृत भाषा में शपथ पत्र लिखा गया है। संस्कृतभारतीय उत्तरांचल की इस पहल का समर्थन करते हुए संस्कृत शिक्षा निदेशक ने आग्रह किया कि नवनिर्वाचित विधायक नई पारी की शुरूआत संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण करके करें।

उन्होंने बताया कि संस्कृत भाषा उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा है, जो हमारी संस्कृति और प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की भाषा है। पूरे विश्व में संस्कृत भाषा के प्रति अत्यन्त श्रद्धा है। लोकसभा में 54 सांसदों ने संस्कृत में शपथ ग्रहण की थी। उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, असम आदि प्रदेशों की विधानसभा में विधायक एवं सांसद संस्कृत में शपथ ग्रहण करते हैं।

उत्तराखंड में पिछली विधानसभा में दो विधायकों व एक मंत्री ने संस्कृत में शपथ ग्रहण किया था। इसलिए आशा है कि इस बार भी अधिक से अधिक नवनिर्वाचित विधायक संस्कृत में शपथ ग्रहण करेंगे।