देवबंद पालिका चुनाव विश्लेषण……………….

  • नगरपालिका चेयरमैन चुनाव मे भाजपा का होगा कडा मुकाबला
  • पूर्व विधायक की पत्नी व पूर्व चैयरमेन का पुत्र चुनाव मैदान में
  • यदि भाजपा यह सीट जीतती है तो वर्षो का देवबंद पालिका का बदल जाएगा इतिहास

देवबंद (खिलेन्द्र गांधी): नगर पालिका परिषद चुनाव में जहां एक और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विपिन कुमार गर्ग हैं वही उनके मुकाबले पूर्व चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी के बेटे जमालुद्दीन और पूर्व चेयरमैन तथा पूर्व विधायक माविया अली की पत्नी जहीर फातमा भी चुनावी मैदान में ताल ठोक कर खडी है।

आगामी 4 मई को होने वाले पालिका चुनाव में इस बार दिलचस्प होने के आसार है। क्योंकि प्रत्येक बार ही देवबंद का चुनाव हिंदू और मुसलमान को लेकर होता आया है, परंतु इस बार उत्तर प्रदेश और केंद्र में भाजपा की सरकार होने के कारण हिंदू समाज का मनोबल बढ़ा हुआ है। वैसे तो मुस्लिम समाज में उम्मीदवार कितने ही हो परंतु देवबंद मे चेयरमैन मुस्लिम ही उनकी एकता के बल पर बनता आया है। चर्चा है कि प्रत्येक वर्षं चुनाव से पूर्व आने वाले चुनाव में  शुक्रवार की नमाज में निर्णय करके घोषणा कर दी जाती है। कि अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए सभी को समाज के चुने हुए व्यक्ति को ही वोट करना है। उसी आधार पर वोट करके आजादी के बाद से आज तक देवबंद नगर में हिंदू चेयरमैन नहीं बन पाया है। मजे की बात यह है कि गंगा जमुनी तहजीब, हिंदू मुस्लिम एकता की बात करने वाले लोग भी अलग-अलग अपने धर्मों के खेमों मे खड़े नजर आते हैं।

इस बार का चुनाव कुछ खास मुद्दों पर लड़ा जाएगा, जिसमें वर्तमान चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी जिनके ऊपर जनता को उनके किये गये वादो पर भरोसा नहीं हो पा रहा है इनके मुकाबले पर पूर्व में चेयरमैन रहे माविया अली के शासन को लोग थोडा ज्यादा मानते हैं। उनको लोग अभी भी इसलिये पसंद करते हैं क्योंकि उन्होने अपने कार्यकाल में रेलवे रोड, भायला रोड और श्री त्रिपुर माॅ बाला देवी कुंड मंदिर मार्ग को बनाया था। यही बात लोगों के दिमाग में घर कर गई है। जबकि पिछले 5 वर्षों में रहे चेयरमैन कोई भी ऐसा कोई ठोस कार्य नहीं करा पाए है जिसको लेकर उनको जनता वोट कर सकें और उस कार्य का उन्हे श्रेय दिया जा सके। रही बात भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की पहले तो हिंदू प्रत्याशी यहा जीतना संभव नजर नहीं आता दूसरे भारतीय जनता पार्टी में बड़ी फूट के चलते भी संदेह बना है।

इसके अलावा पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल में वहां बैठे सभासदों में हिंदू सभासदों ने तो कोई जनहित कार्य किया ही नहीं मगर दुर्भाग्य शासन द्वारा नामित पांच सभासदों के द्वारा भी अपने लगभग 6 – 7 महीने के कार्यकाल में एक भी फली तक नही फोडी गई। इतना ही नहीं इनके द्वारा नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज तक नहीं उठाई गई और लोगो का तो यहंा तक कहना है कि चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी के द्वारा 2-4 सभासदों को छोड़कर सभी को अपना निजी प्रतिनिधि बना लिया गया था यही कारण था की पूरे 5 वर्षों में कभी भी, किसी भी सभासद ने चेयरमैन के द्वारा लाए गए प्रस्ताव में उंगली तक नहीं उठाई। हाल यह रहा है की सफाई कर्मचारियों, वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन मिला या ना मिला मगर ठेकेदारों को कमीशन के लिए भुगतान तुरंत कर दिया गया। वर्तमान चेयरमैन प्रत्याशी विपिन गर्ग वर्तमान में नामित सभासद रह चुके हैं और यह भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष भी हैं इनके अलावा दूसरे नामित सभासद गजराज राणा जो पूर्व में नगर भाजपा के अध्यक्ष तथा जनता के सबसे चहेते नेता रहे हैं वह भी इन छह महीने के कार्यकाल में शांत ही रहे इनके अलावा तीन सभासद और थे वह भी चुप्पी साधे रहे इन लोगों की चुप्पीयों के पीछे क्या राज था यह तो यही जानते है। फिलहाल वर्तमान में यदि नगर पालिका से भ्रष्टाचार और मनमानी को दूर करा सकता है तो वह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार से अच्छा कोई उम्मीदवार नहीं है। नगर की जनता यह भी जानती है कि आजादी से 2022 तक नगर पालिका देवबंद में कोई भी हिंदू चेयरमैन नहीं बना है इस बार हिंदू चेयरमैन बनने के चांस अधिक हैं यदि नगर का तमाम हिंदू दृढ़ संकल्प कर ले उसको अपने ही उम्मीदवार को जिताना है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि देवबंद का इतिहास बदल सकता है।

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