गरीबी के कारण नहीं भर पाया IIT फीस, सुप्रीम कोर्ट ने मजदूर के बेटे को दिलाया दाखिला
नई दिल्ली: आर्थिक तंगी के कारण समय पर IIT एडमिशन की फीस न भर पाने वाले एक गरीब छात्र को न्याय दिलाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसका एडमिशन कराने का आदेश दिया है। यह छात्र उत्तर प्रदेश का निवासी है और उसके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने छात्र को IIT धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की सीट पर दाखिला सुनिश्चित कराया है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, छात्र का एडमिशन IIT धनबाद में हो चुका था, और उसे 24 जून शाम 5 बजे तक अपनी सीट सुरक्षित करने के लिए ऑनलाइन फीस जमा करनी थी। लेकिन, उसके पिता को पैसे इकट्ठा करने में समय लग गया। उन्होंने किसी तरह फीस के पैसे तो जुटा लिए, लेकिन वह समय सीमा से पहले, 4:45 बजे तक भी शुल्क जमा नहीं कर सके, जिससे छात्र का एडमिशन रुक गया।
पिता ने कोर्ट में लगाई गुहार
दाखिला न होने के कारण आहत छात्र के पिता ने पहले एससी/एसटी आयोग, फिर झारखंड और मद्रास हाईकोर्ट तक अपील की, लेकिन जब कोई राहत नहीं मिली तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की मदद करते हुए उसे न्याय दिलाया।
सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ ने IIT धनबाद को निर्देश दिया कि छात्र को उसी सीट पर दाखिला दिया जाए, जो उसे पहले आवंटित की गई थी।
कोर्ट ने विशेष शक्तियों का किया इस्तेमाल
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह आदेश दिया। इस अनुच्छेद के तहत न्यायालय को ऐसे मामलों में पूर्ण न्याय करने का अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने कहा कि इस आदेश से अन्य किसी छात्र को कोई नुकसान न हो, इसके लिए छात्र के लिए एक नई सीट का प्रबंध किया जाए।
फैसला सुनाते समय सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम ऐसे प्रतिभाशाली युवा को अवसर से वंचित नहीं कर सकते।” उन्होंने छात्र को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “ऑल द बेस्ट।” इस दौरान याचिकाकर्ता और उनके वकील कोर्ट में मौजूद थे। उनके वकील ने बताया कि कई वरिष्ठ वकील भी उनकी फीस इकट्ठा करने के लिए आगे आए हैं।