लोजपा में टूट पर बोले चिराग- मैं बीमार था, मेरे पीठ पीछे रची गई पूरी साजिश

लोजपा में टूट पर बोले चिराग- मैं बीमार था, मेरे पीठ पीछे रची गई पूरी साजिश
  • लोक जनशक्ति पार्टी में बिखराव के बाद चिराग पासवान ने बुधवार को मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा

पटना : लोक जनशक्ति पार्टी में बिखराव के बाद चिराग पासवान ने बुधवार को मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा. चिराग पासवान ने कहा कि पिछले कुछ समय से उनकी तबीयत खराब चल रही थी, इसलिए वह लोगों से रूबरू नहीं हो पाए. लेकिन उनकी बीमारी की आड़ में सारा प्रपंच रचा गया. उन्होंने कहा कि यह 8 अक्टूबर को उनके पिता यानी रामविलास पासवान का निधन हुआ और उसके तुरंत बाद बिहार में विधानसभा चुनाव आ गए. वो एक कठिन समय था, लेकिन चुनाव में हमें लोगों का अपार  समर्थन मिला. हमें 25 लाख से अधिक लोगों ने वोट  किया. उन्होंने कहा कि हम जेडीयू के कारण गठबंधन से अलग हुए थे और अकेले चुनाव लडऩे का फैसला किया था

मैं जेडीयू और नीतीश कुमार की नीतियों में भरोसा नहीं करता

चिराग पासवान ने आगे कहा कि मैं जेडीयू और नीतीश कुमार की नीतियों में भरोसा नहीं करता था, इसलिए उनके सामने नतमस्तक न होने का फैसला लिया. क्योंकि पार्टी में कुछ लोग संघर्ष नहीं करना चाहते, इसलिए उन्होंने दूसरा रास्ता चुना. हमें अपनों का भी साथ नहीं मिला. यहां तक कि चाचा पशुपति पारस ने भी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. चिराग ने कहा कि जब मैं टायफाइड बुखार हुआ था और मैं लगभग चालीस दिनों तक बाहर नहीं आ पाया तो मौके का फायदा उठाकर मेरे पीठ पीछे मेरे खिलाफ साजिश रची गई. उन्होंने कहा कि इस बार होली पर मेरे पिता मेरे साथ नहीं थे तो परिवार कोई व्यक्ति भी मेरे साथ नहीं आया. जिसको लेकर मैंने चाचा पशुपति पारस को एक चिट्ठी भी लिखी.

हमें पहले भी तोडऩे का प्रयास किया गया

चिराग ने कहा कि जेडीयू ने लोजपा को तोडऩे का प्रयास किया है, हमें पहले भी तोडऩे का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि यह एक लड़ाई लंबी है। पार्टी के संविधान के मुताबिक मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं मेरे चाचा कह रहे हैं कि मुझे अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है तो बेहतर होगा कि वह पार्टी के संविधान को पढ़े और समझे। मैं शेर का बेटा हूं ना कभी पापा डरे थे ना कभी मैं डरूंगा. अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को निशाने पर लेते हुए चिराग पासवान ने यह भी लिखा है कि 2019 में रामचंद्र चाचा के निधन के बाद से ही आप में बदलाव देख रहा था. प्रिंस को जब जिम्मेदारी दी गई तब भी आपने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. पापा ने पार्टी को आगे बढाने के लिए मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया तो इस फैसले पर भी आपकी नाराजगी रही. चिराग ने पत्र लिखकर यह बताने की पूरी कोशिश की है. उन्होंने पार्टी व परिवार में एकता रखने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें असफल रहें.

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