क्या डिफॉल्टर होने जा रहा है अमेरिका? वित्त मंत्री ने चेताया

नई दिल्ली: अमेरिका इतिहास में पहली बार डिफॉल्टर बन सकता है, अमेरिका में वित्तीय संकट गहराता जा रहा है। अमेरिका के पास केवल सत्तावन अरब डॉलर का कैश रह गया है। अमेरिका रोज मोटी रकम ब्याज के रूप में दे रहा है। आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका को 1.3 अरब डॉलर इंटरेस्ट के रूप में देने पड़ रहे हैं। देश में अब इस संकट का असर दिखने लगा है। अमेरिकी शेयर बाजार ने मंगलवार को इस संकट पर पहली बार प्रतिक्रिया दी और चार घंटे में 400 अरब डॉलर का नुकसान हो गया। वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने चेतावनी दी है कि अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो एक जून को देश डिफॉल्टर बन सकता है। जैसे-जैसे यह तारीख करीब आ रही है, शेयर बाजार में गिरावट आ रही है।
अमेरिका की उधार लेने की क्षमता को इसकी सुपरपावर माना जाता है। अगर वह पहली बार ऐसा नहीं कर पाता है तो इससे उसकी इमेज पर असर होगा। दुनियाभर में निवेश के लिए अमेरिका को सबसे बेहतर जगह माना जाता है। अमेरिका सरकार की तरफ से हमेशा कर्ज की मांग रहती है। इससे ब्याज दरें कम रहती हैं और यह डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी बनाता है। अमेरिकी सरकार के बॉन्ड्स दुनियाभर में सबसे आकर्षक माने जाते हैं। इस कारण अमेरिका की सरकार डिफेंस से लेकर, स्कूल, रोड, इन्फ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और साइंस पर दिल खोलकर खर्च करती है। अगर अमेरिका ने कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट किया तो सभी आउटस्टेंडिंग सीरीज ऑफ बॉन्ड्स प्रभावित होंगे। इनमें ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स में जारी किए गए बॉन्ड्स, गवर्नमेंट टु गवर्नमेंट क्रेडिट, कमर्शियल बैंकों और इंस्टीट्यूशनल लेंडर्स का साथ हुए फॉरेन करेंसी डिनॉमिनेटेड लोन एग्रीमेंट शामिल है।
अमेरिका डिफॉल्ट हुआ तो…
अगर अमेरिका डिफॉल्टर घोषित हो जाता है तो इसके भयावह परिणाम होंगे। व्हाइट हाउस के इकनॉमिस्ट्स का कहना है कि इससे देश में 83 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी। स्टॉक मार्केट आधा साफ हो जाएगा। जीडीपी 6.1 परसेंट गिर जाएगी और बेरोजगारी की दर पांच फीसदी बढ़ जाएगी। देश में इंटरेस्ट रेट 2006 के बाद टॉप पर पहुंच गया है, बैंकिंग संकट लगातार गहरा रहा है और डॉलर की हालत पतली हो रही है। देश में मंदी आने की आशंका 65 फीसदी है। अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो उसका मंदी में फंसना तय है। इसका पूरी दुनिया पर असर देखने को मिल सकता है।
डेट लिमिट वह सीमा होती है जहां तक फेडरल गवर्नमेंट उधार ले सकती है। 1960 से इस लिमिट को 78 बार बढ़ाया जा चुका है। पिछली बार इसे दिसंबर 2021 में बढ़ाकर 31.4 ट्रिलियन डॉलर किया गया था। लेकिन यह इस सीमा के पार चला गया है। एक ब्लॉग पोस्ट के मुताबिक अगर डेट सीलिंग नहीं बढ़ाई गई तो देश में कयामत आ जाएगी। इकॉनमी को भारी नुकसान होगा। जॉब ग्रोथ में अभी जो तेजी दिख रही है, वह पटरी से उतर जाएगी। लाखों रोजगार खत्म हो जाएंगे।
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