राहुल-प्रियंका की संभल जाने की सारी कोशिशें नाकाम, गाजीपुर बॉर्डर से वापस लौटे दिल्ली; बोले- हम लड़ते रहेंगे
‘यह विपक्ष के नेता के अधिकारों के खिलाफ है’
राहुल ने आगे कहा, ”यह विपक्ष के नेता के अधिकारों के खिलाफ है, उन्हें मुझे जाने देना चाहिए। यह संविधान के खिलाफ है, हम सिर्फ संभल जाना चाहते हैं, लोगों से मिलना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि वहां क्या हुआ। मुझे मेरे संवैधानिक अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। यह नया भारत है, यह संविधान को नष्ट करने वाला भारत है, हम लड़ते रहेंगे
प्रियंका गांधी ने कहा- राहुल को संभल जाने की अनुमति दी जानी चाहिए
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, उनका संवैधानिक अधिकार है उन्हें मिलना चाहिए। उन्हें (संभल) जाने की अनुमति दी जानी चाहिए थी।” उन्होंने कहा, “राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, उनका संवैधानिक अधिकार है उन्हें इस तरह से रोका नहीं जा सकता। उनका संवैधानिक अधिकार है उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए कि वो पीड़ितों से मिलने जाए। उन्होंने ये भी कहा कि वह यूपी पुलिस के साथ अकेले चले जाएंगे लेकिन यह भी करने के लिए तैयार नहीं हुए। पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है।”
अखिलेश यादव ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने कहा, “कहीं न कहीं प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है। इसीलिए अब तक स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। उन्हें पता है कि अगर कोई प्रतिनिधिमंडल जाकर लोगों से मिलेगा तो सच्चाई सामने आ जाएगी। वे चाहते हैं कि जितनी देरी होगी, भाजपा के लिए उतना ही अच्छा होगा।”
कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा, “सरकार हमें क्यों रोक रही है? वे क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें किस बात का डर है? विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें यह देखने का अधिकार है कि देश में क्या चल रहा है। संभल में जो घटना हुई वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। लोगों की हत्या हुई है, कौन जिम्मेदार है? अगर नेता प्रतिपक्ष मौके पर नहीं जाएंगे तो वह इस मुद्दे को संसद में कैसे रखेंगे? हम संभल के हालात देखना चाहते हैं लेकिन सरकार हमें क्यों रोक रही है? क्या यह तानाशाही नहीं है? राहुल गांधी जरूर संभल जाएंगे और पीड़ित परिवारों से मिलेंगे और उनकी आवाज उठाएंगे।”करीब दस दिन पहले रविवार को जामा मस्जिद में हो रहे सर्वे के दौरान बवाल हो गया था। जहां भीड़ में शामिल उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव फायरिंग कर दी थी। ऐसे में चार लोगों की मौत हो गई थी। इस बवाल के दौरान क्षेत्र की इंटरनेट व्यवस्था को भी बंद करा दिया गया था, जिससे अफवाहों काे फैलने से रोका जा सके। वहीं दूसरी तरफ बाहरी व्यक्तियों के शहर में आने पर पाबंदी लगा दी गई थी और इसके लिए जिले की सीमाओं को सील कर पुलिस प्रशासन की ओर से चौकसी बढ़ा दी गई थी।
वाहनों के साथ संदिग्ध लोगों की हो रही जांच
ऐसे में वाहनों की चेकिंग के साथ ही संदिग्ध लोगों की जांच व तलाशी कराई जा रही थी। इस दौरान कांग्रेस व सपा समेत कई अन्य राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि मंडल ने भी संभल में आने की घोषणा की थी, लेकिन उन्हें संभल में लागू निषेधाज्ञा के बारे में बताते हुए यहां पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया था। इस बारे में पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने बताया कि जिले की सीमाओं पर चौकसी को बढ़ा दिया गया है, क्योंकि 10 दिसंबर तक किसी भी बाहरी व्यक्ति के संभल में आने पर रोक है।
20 पाबंदी के बाद भी पहुंचे कांग्रेस नेता
बता दें, पुलिस प्रशासन की पाबंदी के बाद भी मंगलवार को कांग्रेस नेता संभल पहुंच गए थे और मृतकों के स्वजन से बातचीत कर उनका हाल जाना। कांग्रेस नेताओं के संभल पहुंचने और उनके पीड़ितों के स्वजन से मिलने के बारे में खुफिया विभाग व पुलिस को कोई जानकारी नहीं हो सकी। शहर में हुए बवाल के बाद शांति व सुरक्षा-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से जगह जगह पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। साथ ही सुरक्षा व शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन की ओर से बाहरी व्यक्तियों के आने पर पाबंदी लगा दी गई थी। जहां पहले 30 नवंबर तक यह पाबंदी थी, लेकिन बाद में प्रशासन की ओर से इसे बढ़ाकर 10 दिसंबर तक दिया गया था।