पीएम मोदी बोले, कमजोर से कमजोर वर्ग को भी न्याय का अधिकार मिले

पीएम मोदी बोले, कमजोर से कमजोर वर्ग को भी न्याय का अधिकार मिले
  • पीएम मोदी ने उद्घाटन सत्र में कहा कि देश की इस अमृतयात्रा में Ease of Doing Business और Ease of Living की तरह ही Ease of Justice उतना ही जरूरी है. 

नई दिल्ली: विज्ञान भवन में पहली अखिल भारतीय जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण बैठक (All India District Legal Services Authorities Meet) में पीएम नरेंद्र मोदी उद्घाटन सत्र में शामिल हुए. इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी शिरकत की. इस अवसर पर पीएम मोदी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यह समय हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है. ये समय उन संकल्पों का वक्त है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे. देश की इस अमृतयात्रा में Ease of Doing Business और Ease of Living की तरह ही Ease of Justice भी उतना ही जरूरी है.

लोगों की सुविधा के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग

पीएम ने कहा, ‘e-Courts Mission के तहत देश में virtual courts की शुरूआत हो रही है. Traffic violation जैसे अपराधों को लेकर 24 घंटे चलने वाले कोर्ट ने काम करना आरंभ कर दिया है. लोगों की सुविधा के लिए कोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार किया जा रहा है.’

 

टेक्नोलाजी निभा सकती है अहम भूमिका

आम नागरिक संविधान में अपने अधिकारों से परिचित हैं. वे अपने कर्तव्यों से परिचित हो, उसे अपने संविधान और संवैधानिक संरचनाओं की सूचना हो.  rules और remedies की जानकारी हो, इसमें भी टेक्नोलाजी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है.

न्याययिक प्रक्रिया में तेज गति से हुआ काम

पीएम मोदी ने कहा, ‘किसी भी समाज के लिए ज्यूडिशियल सिस्टम तक पहुंच  जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी जस्टिस डिलिवरी भी है. इसमें एक अहम योगदान ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर का भी होता है. बीते आठ वर्षों में देश के ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है. उन्होंने कहा कि देश में कमजोर से कमजोर वर्ग तक न्याय की पहुंच जरूरी है.

जन-जन तक पहुंचे न्याय – रिजिजू

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा  ‘आज पहली बार अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक दिल्ली में हो रही है. देश में जन-जन तक न्याय की अंतिम मील तक पहुंच आज भी बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है. उन्होंने कहा कि कानूनी सेवाओं के वितरण में समता, जवाबदेही और सुलभ पहुंच इन तीन जरूरतों को  सुरक्षित करने के लिए हम नागरिकों की भागीदारी को अमल में ला सकते हैं.

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