रामपुर: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां के खिलाफ जिस अधिकारी ने मुकदमा दर्ज कराया था, उसने अदालत में जज के सामने कहा कि उन्होंने जिलाधिकारी के दबाव में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

आजम खां ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस दौरान उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने के कई मामले दर्ज हुए थे।

ऐसे ही एक मामले में उन्हें 27 अक्टूबर 2022 को तीन साल की सजा हो गई। इस पर उनकी विधायकी भी चली गई और विधानसभा उपचुनाव में भाजपा नेता आकाश सक्सेना विधायक बन गए।

आजम खां ने सजा के विरोध में अपील दायर की थी, जिसे स्पेशल जज एमपी एमएलए कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और आजम खां को बरी कर दिया।

इस मामले में अदालत ने रिपोर्ट दर्ज कराने वाले सहायक कृषि रक्षा अधिकारी अनिल कुमार चौहान के बयान भी दर्ज किए। अनिल लोकसभा चुनाव के दौरान वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी थे। उन्होंने आजम खां के भाषण की वीडियो देखने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अदालत में उन्होंने बयान दिया यह रिपोर्ट उन्होंने डीएम के दबाव में दर्ज कराई थी।

जिलाधिकारी तब आंजनेय कुमार सिंह थे, जो अब मुरादाबाद के मंडलायुक्त हैं। आजम खां ने जहां भाषण दिया था, वहां पर मौजूद नहीं थे। इसी मामले में गवाह सहायक विकास अधिकारी चंद्रपाल सिंह ने भी बयान दिया।

उन्होंने यह बात मानी कि आजम खां उनकी पत्नी और बेटे ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह की कई शिकायतें की थी इस कारण जिलाधिकारी और आजम खां के बीच विवाद था।

अदालत ने माना कि आजम खान ने जो भाषण दिया, उसमें सत्तापक्ष की आलोचना थी और जिला अधिकारी के कार्य करने के तरीके की आलोचना की गई थी। उससे कोई नफरत नहीं फैली।

मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान रामपुर के जिलाधिकारी थे। जिला निर्वाचन अधिकारी भी थे। उनका दायित्व था कि अगर चुनाव के दौरान गलत भाषणबाजी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई कराई जाए। उनके आदेश पर ही रिपोर्ट कराई गई थी।