Children Physical Abuse Case: बच्चों को गेम खिलाने के बहाने बुलाता था जेई, जानें-कैसा रहा है उसका प्रोफाइल

Children Physical Abuse Case: बच्चों को गेम खिलाने के बहाने बुलाता था जेई, जानें-कैसा रहा है उसका प्रोफाइल

कानपुर । चित्रकूट में सिंचाई विभाग का निलंबित जेई रामभवन बच्चों को मोबाइल पर गेम खिलाने के बहाने घर पर बुलाकर शिकार बनाता था और रुपयों का लालच देता था। अब सीबीआइ के सच उजागर करने पर उसके मोहल्ले के कुछ बच्चे भी दबी जुबां करतूत से पर्दा उठा रहे हैं। हालांकि, अभिभावक खुद चुप्पी साधने के साथ ही बच्चों का मुंह बंद कराने का भरसक प्रयास कर जेई को सीधा-साधा बता रहे हैं।

पचास से ज्यादा बच्चों को बनाया शिकार

चित्रकूट, बांदा, महोबा और हमीरपुर के 50 से अधिक बच्चों के यौन शोषण का आरोपित निलंबित जेई रामभवन ने कर्वी नगर के शोभा सिंह का पुरवा (एसडीएम कालोनी) में किराये के मकान को अपना अड्डा बना रखा था। उसके पास से बरामद हुए आठ लाख नकदी, 12 मोबाइल फोन व अन्य सामग्री से यह सच सामने आया है। इस संगीन मामले में उसके खिलाफ कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है।

अभिभावक बच्चों को डरा-धमका रहे हैं, लेकिन कुछ ने बताया कि जेई अंकल, मोबाइल में वीडियो गेम खिलाने के बहाने घर पर बुलाते थे। उनके पास तमाम मोबाइल हैं, जिनमें एक-एक बच्चे को अलग-अलग समय घर पर बुलाकर घंटों मोबाइल पर गेम खिलाने के साथ अश्लील वीडियो भी दिखाते थे। यूट्यूब पर ऑनलाइन वीडियो भी अपलोड करते थे।

किराये के मकान पर ताला

कर्वी के एसडीएम कालोनी स्थित जेई के किराये वाले मकान में ताला पड़ा रहा, जबकि मकान मालिक भी नदारद मिले। मोहल्ले के कुछ लोगों की नजर में जेई सीधे व्यक्ति हैं, उन्हें फंसाया जा रहा है। आरोपित के स्वजन भूमिगत हो गए हैं।

बीस साल पहले मिली थी नौकरी

आरोपित रामभवन ने इंटर तक की शिक्षा नरैनी से ही की, उसके बाद बांदा से पॉलिटेक्निक किया। जानने वाले बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही रामभवन लखनऊ, दिल्ली और प्रयागराज तक प्रतियोगी परीक्षाएं देने जाता था। संभव है कि इसी दौरान वह गलत सोहबत में आ गया और ऐसी राह पकड़ ली। रामभवन की प्राथमिक शिक्षा कक्षा आठ तक हनुमान क्रमोत्तर पाठशाला नरैनी से हुई। हाई स्कूल राजकुमार इंटर कॉलेज से किया तथा पॉलिटेक्निक बांदा से किया। नौकरी सन् 2009 -10 में पाई। बताया जाता है कि पढ़ाई के दौरान प्रतियोगी परीक्षा के लिए लखनऊ, दिल्ली, इलाहाबाद (प्रयागराज) भी आना जाना रहा। कयास लगाया जाता है कि इसी दौरान महानगरों में वह किसी ऐसे संपर्क में आया, जहां से पैसों की ललक ने गलत रास्ते पर डाल दिया।

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