देश में पहली बार प्लाज्मा के सामने आए ट्रायल, 48 घंटे में दिख रहा असर

कोरोना वायरस को लेकर देश में पहली बार प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल परिणाम सामने आए हैं। संक्रमण की चपेट में आने के बाद गंभीर स्थिति में उपचाराधीन मरीजों में प्लाज्मा देने के सफल परिणाम मिले हैं। दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में 29 मरीजों पर हुए ट्रायल में प्लाज्मा देने के 48 घंटे के बाद ही सुधार देखने को मिला है। सात दिन में मरीजों को सांस लेने में तकलीफ की परेशानी में सुधार आया। साथ ही ऑक्सीजन के स्तर में भी 9 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हुई। ट्रायल में प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना संक्रमण की चपेट में आए गंभीर मरीजों के लिए सुरक्षित माना है।

अध्ययन में यह भी बात सामने आई है कि संक्रमित के स्वस्थ होने के बाद लिया प्लाज्मा (कंविलिसेंट प्लाज्मा) अन्य तरह (जिन्हें कोरोना नहीं था) के प्लाज्मा (एफएफपी) की तुलना में ज्यादा असरदार है। 29 में से 14 मरीजों को कंविलिसेंट प्लाज्मा (सीपी) दिया था, जबकि बाकी रोगियों को एफएफपी प्लाज्मा दिया गया था, लेकिन इन दोनों समूह में शामिल मरीजों की रिकवरी सबसे ज्यादा कंविलिसेंट प्लाज्मा के जरिए देखने को मिली है। कंविलिसेंट प्लाज्मा जिन्हें दिया गया वह एफएफपी की तुलना में जल्दी ठीक होकर अपने घर चले गए।
दरअसल, कोरोना वायरस से संक्रमित और गंभीर अवस्था में उपचाराधीन मरीजों को प्लाज्मा देने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) देश के कई अस्पतालों को अनुमति दे चुका है। सबसे पहले केरल में संक्रमित मरीजों को कंविलिसेंट प्लाज्मा दिया गया था। इसके बाद दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल ने भी कुछ मरीजों को यह थेरेपी दी, जिसमें सभी मरीजों में इसके सफल परिणाम रहे। देश में पहली बार आधिकारिक तौर पर दिल्ली सरकार ने प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल परिणाम को सार्वजनिक किया है।

प्लाज्मा देने से आया सुधार
श्वसन दर :
-जब संक्रमित मरीज को कंविलिसेंट प्लाज्मा दिया गया तो उनकी श्वसन दर प्रति मिनट 35.36 थी। प्लाज्मा देने के पहले 48 घंटे में श्वसन दर में 8.22 और सात दिन में 14.92 सुधार देखने को मिला। एक सामान्य व्यक्ति में यह दर प्रति मिनट 12 से 20 तक होती है।

ऑक्सीजन की मात्रा :
-सामान्य व्यक्ति में ऑक्सीजन की मात्रा करीब 95 फीसदी रहती है। जब सीपी दिया गया तब मरीज के यह मात्रा 85 फीसदी थी। पहले 48 घंटे में 6.61 और सात दिन में 9.92 फीसदी सुधार देखने को मिला।

ऑर्गन फेलियर :
-सीपी देने के 48 घंटे में संक्रमित मरीज में ऑर्गन फेल होने की आशंका में 1.8 कमी आई, जबकि सात दिन बाद यह 4.5 तक दर्ज की गई। यह उन मरीजों की स्थिति है जिनमें प्लाज्मा देने से पहले ऑर्गन फेल होने की आशंका 7.71 तक थी

लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि पहले चरण का ट्रायल खत्म होने के बाद फिर से 200 मरीजों पर ट्रायल की अनुमति मिली है। अब तक 35 मरीजों को प्लाज्मा दिया जा चुका है, जिनमें से 29 की ट्रायल रिपोर्ट जारी हुई है।

उन्होंने बताया कि अगर किसी को कोरोना संक्रमण होता है और एक निश्चित समय के बाद वह स्वस्थ हो जाता है तो उसका प्लाज्मा लेकर गंभीर स्थिति में मौजूद संक्रमित मरीज को दिया जाता है। यह प्रक्रिया कंविलिसेंट प्लाज्मा (सीपी) के नाम से जानी जाती है। यह तभी दिया जा सकता है जब दाता की निगेटिव रिपोर्ट आने के 14 दिन पूरे हो चुके हों। ठीक इसी तरह एफएफपी प्लाज्मा भी होता है, लेकिन यह किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के रक्त से निकाला जा सकता है।

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