प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जवाहर नवोदय विद्यालय मैनपुरी की छात्रा के कथित खुदकुशी मामले में सख्त रुख अपनाया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुकुल गोयल को प्रयागराज में एक दिन रुकने का आदेश देते हुए कहा कि गुरुवार 16 सिंतबर की सुबह 10 बजे वह तथा एसआइटी के सदस्य पूरी जानकारी के साथ हाजिर हों।

बुधवार को प्रकरण की सुनवाई के दौरान डीजीपी मुकुल गोयल भी तलब हुए थे। हाई कोर्ट ने उनसे पूछा कि आपने एफआइआर पढ़ी है। नहीं पढ़ी है तो यहीं पढ़िए। डीजीपी ने एफआइआर पढ़ी और उसके बाद भी संतोषजनक जवाब न दे सके तो कोर्ट ने नाराजगी जताई। खंडपीठ ने कहा कि डीजीपी को केस की पृष्ठभूमि तक का पता नहीं। ऐसे में अदालत के पास कल तक के लिए सुनवाई टालने के अलावा अन्य विकल्प नहीं। कोर्ट ने पूछा है कि विवेचना कर रही पुलिस पर क्या एक्शन लिया गया? एसपी मैनपुरी छह माह पहले सेवानिवृत्त हो गए, उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही पूरी क्यों नहीं की जा सकी। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह को याची का पक्ष रखने के लिए कहा है।

बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था एसपी को : खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी की कि एसपी का तबादला करने के बजाय बर्खास्त या जबरन सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए था। अदालत ने छात्रा के पंचनामे की वीडियो रिकार्डिंग देखी। कहा कि एफआइआर दर्ज हुए लगभग तीन माह बीत चुके हैं और पुलिस आरोपितों का बयान तक नहीं ले सकी है।

पोस्टमार्टम में छेड़छाड़ का अंदेशा जताया : खंडपीठ ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने से लगता है कि उसमें छेड़छाड़ की गई है। गले में फांसी के निशान संदेह पैदा कर रहे हैं। राजस्थान के एक केस में पैसे लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का हवाला देते आशंका जताई कि इस मामले में भी ऐसा संभव है। कोर्ट ने सवाल किया कि यदि ऐसा किसी पुलिस अधिकारी की बेटी के साथ हुआ होता तो क्या करते? कोर्ट ने डीजीपी से कहा कि कार्रवाई करें, नहीं तो अदालत कड़ा कदम उठाएगी।

ये है मामला : मैनपुरी की एक किशोरी भोगांव स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 11 की छात्रा थी। 16 सितंबर, 2019 को छात्रा का शव हास्टल के कमरे में फंदे पर झूलता मिला था। स्वजन ने दुष्कर्म और हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। छात्रा के स्वजन ने पुलिस जांच पर भरोसा न होने की बात कहकर सीबीआइ जांच की मांग की थी। इसे लेकर उन्होंने भूख हड़ताल भी की। दो माह बाद आइजी कानपुर मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित किया गया जिसमें एसपी मैनपुरी और सीओ एसटीएफ को भी शामिल किया गया। एसआइटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में घटना को खुदकुशी माना है।