Farmer Protests: किसानों के समर्थन में राजनिवास तक मार्च नहीं कर पाए राहुल गांधी व प्रियंका

Farmer Protests: किसानों के समर्थन में राजनिवास तक मार्च नहीं कर पाए राहुल गांधी व प्रियंका

नई दिल्ली । तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की किसानों की मांग के समर्थन में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने चंदगी राम अखाड़े से राजनिवास तक मार्च शुरू कर दिया है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए बैरिकेड पर मोर्चा संभाल लिया है। इस दौरान आंसू गैस छोड़ने के साथ पानी के बौछार की तैयारी भी पुलिस ने की थी, लेकिन इसकी जरूरत नहीं पड़ी। यहां मौजूद राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ वापस चले गए, लेकिन प्रियंका ने लोगों को संबोधित नहीं किया। बता दें कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का धरना शुक्रवार को 51वें दिन में प्रवेश कर गया। इस बीच कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन के लिए प्रदेश कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता चंदगीराम अखाड़े पर इकट्ठा हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी सहित  कांग्रेस के तमाम नेता, जिला अध्यक्ष और ब्लॉक स्तरीय नेता भी यहां मौजूद हैं।

वहीं, इससे पहले बृहस्पतिवार को तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार किसानों की उपेक्षा नहीं, बल्कि उन्हें खत्म करने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों को वास्तव में वापस लिया जाना चाहिए और सरकार इन्हें वापस लेने को मजबूर हो जाएगी। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि उनकी पार्टी उनके साथ खड़ी रहेगी।

राहुल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह कृषि कानूनों के मामले में अपने दो या तीन मित्रों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘वे किसानों की जमीनें और उनकी उपज छीनना चाहते हैं और वे उसे अपने मित्रों को देना चाहते हैं। आप किसानों का दमन कर रहे हैं और मुट्ठी भर उद्योगों की मदद कर रहे हैं।’ प्रधानमंत्री पर कोरोना महामारी के दौरान आम लोगों की मदद नहीं करने का आरोप लगाते हुए राहुल ने पूछा, ‘आप किसके प्रधानमंत्री हैं?

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार सोचती है कि वे इस देश की संस्कृति को नष्ट कर सकती है। उनका मानना है कि वे तमिल लोगों की भावनाओं को दबा सकते हैं, वे मानते हैं कि वे तमिल लोगों की भाषा को कुचल सकते हैं। मैं यहां यह संदेश देने आया हूं कि कोई भी तमिल भावना को नहीं कुचल सकता।

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