भाजपा ने देवबंद विधानसभा में पुनः कुंवर ब्रिजेश सिंह पर जताया भरोसा

  • पिछले पॉच सालों मे नही हुआ नगर व क्षेत्र का विकास, जनता किस पर करेगी विश्वास भविष्य पर निर्भर ।

देवबंद (खिलेन्द्र गांधी):  भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को प्रदेश विधानसभा के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। घोषणा के अनुसार देवबंद सीट पर एक बार फिर वर्तमान विधायक कुवंर ब्रिजेश सिंह को ही भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है, वही सपा में प्रत्याशी के लिए मंथन चल रहा है तथा बसपा ने चैधरी राजेन्द्र सिंह मिरगपुर को पहले ही प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। जबकि कांग्रेस इस क्षेत्र में अपना वजूद तक खो चुकी है ।

भाजपा में मची भगदड़ से भाजपा संगठन घबरा गया और उसने ब्रहस्पतिवार को सभी तात्कालिक विधायक और मंत्रियों को पुनः प्रत्याशी बनाने का विवेक हीन फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को जहां एक समुदाय हर हाल में हटाने के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार है, वही विपक्षी पार्टियॉ भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में है। इस बार का चुनाव एक ऐतिहासिक चुनाव है जिसमें भारतीय जनता पार्टी के लिए भारी चुनौती है ।

उत्तर प्रदेश में बडी संख्या में भाजपा विधायकों से उनके क्षेत्र के ही वोटर नाराज थे तथा जिनकी तमाम जानकारी भाजपा संगठन तक भी पहुंच रही थी मगर अयोग्य घोषित लोगों की बगावत ने संगठन को फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया। भाजपा संगठन का फैसला कि पूर्व के विधायक ही पुनः चुनाव मैदान में होंगें से वोटर को कोई अच्छा संदेश नही गया है ।

बात देवबंद विधानसभा की करे तो भाजपा का वोटर इन पांच सालों के कार्यों से कतई खुश नही है। देवबंद एक ऐतिहासिक नगर है और इसको बसपा सुप्रीमो मायावती ने जिला बनाने का प्रयास किया था मगर नेतृत्व की लापरवाही के चलते शामली जिला बन गया। भाजपा के सत्ता में आते ही वोटरों को उम्मीद जगी कि सत्तर के दशक में स्थापित राजकीय महाविद्यालय में विकास होगा, विज्ञान की कक्षाओं सहित दूसरे विषयों के विभाग खुलेंगे पर नही हुआ। नगर की जनसंख्या डेढ लाख हो गई चारों ओर लगभग दो दर्जन कालोनियां बस गई सीमा विस्तार होना था नही हुआ, वार्डों का परिसीमन होना बहुत जरूरी था नही हुआ। ऐसी बहुत समस्याएं जनता की थी जिनका समाधान होना आवश्यक था मगर नही हुआ। भाजपा नेताओ ने खूब पैसा कमाया मगर अपने वोटरों के लिए कुछ नही किया है। यही कारण था जो जनता स्थानीय जनप्रतिनिधियों से नाराज है और संगठन काम भी कर रहा था मगर भगदड़ मचने से संगठन भयभीत हो गया और अधिकांश पहले लोगों को ही टिकट दे दिया ।

वर्ष 2022 के चुनाव प्रदेश में ऐतिहासिक परिवर्तन लाएगे। यदि भाजपा पुनः सत्ता में आती है तो संगठन को यह नही भूलना चाहिए कि जनता अपने जनप्रतिनिधियों को नही योगी जी के कार्य को वोट दे रही है। यदि सरकार नही आती तो इसके लिए संगठन का गलत निर्णय ही होगा। भाजपा की मोदी सरकार ने कई एतिहासिक फैसले लिए है, उसको दो ओर फैसले करते हुए संसद में जनसंख्या नियन्त्रण तथा जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का कानून भी पास कराना चाहिए। जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का कानून यदि हो जाता है तो फिर जनता की समस्याओं का तीव्र गति से समाधान होगा। देवबंद विधानसभा की जनता सभी पार्टियों के प्रत्याशियों से चाहती है कि वह जीतने पर क्षेत्र की जनसमस्याओं को महत्व देंगे।

भाजपा के बाद अब सपा के प्रत्याशी घोषित होने का इन्तजार है सपा में तीन दावेदार है जिनमे एक शशिबाला पुण्डीर, दूसरा पूर्व मंत्री स्व० राजेन्द्र राणा का बेटा कार्तिकेय राणा और तीसरे पूर्व विधायक माविया अली है। कांग्रेस का क्षेत्र मे वजूद समाप्त हो चुका है। अब देखना है कि भाजपा ने कंुवर ब्रिजेश पर जो दांव खेला है वो सफल हो पाते है या नही? क्योंकि देवबंद क्षेत्र की जनता विधायक जी की कार्यशैली से पहले ही नाराज है।

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